कम से कम लागत में अधिकाधिक लोगों को रोजगार दें: राज्यमंत्री जायसवाल

 


मंत्री जायसवाल ने की विभागीय योजनाओं की समीक्षा, किसानों की आय बढ़ाने और रेशम पर्यटन विकसित करने के निर्देश दिये

भोपाल, 8 जनवरी (हि.स.)। कुटीर एवं ग्रामोद्योग राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल ने कहा कि विभागीय अधिकारी कम से कम लागत में अधिकाधिक लोगों को रोजगार दें और स्वरोजगारी बनने के लिये जरूरतमंदों को विभागीय प्रोत्साहन और सहयोग भी करें। रेशम की खेती से नये किसानों को भी जोड़ा जाए।

राज्यमंत्री जायसवाल सोमवार को मंत्रालय में विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने निर्देशित किया कि राज्य सरकार के संकल्प पत्र के अनुसार रेशम से समृद्धि योजना के तहत भूमिहीन अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग की ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को रेशम की खेती से जोड़कर उन्हें लखपति बनाने के लिये समयबद्ध कार्ययोजना बनाकर कार्य करें। प्रदेश में रेशम की खेती को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाए। शुरूआत में प्रदेश के किसी एक ब्लाक या तहसील की 500 महिलाओं को रेशम की खेती कराकर उन्हें लखपति बनाने का प्रयास करें। इससे बाकी महिलाएँ भी रेशम की खेती से जुड़ने के लिये प्रेरित होंगी।

राज्यमंत्री जायसवाल ने रेशम आयुक्त से कहा कि वे रेशम पर्यटन एवं कौशल रोजगार उपयोजना के तहत अधिकाधिक रेशम पर्यटन विकसित करें। इसके तहत रेशम कीट उत्पादन केंन्द्रों, प्रसंस्करण इकाईयाँ फार्म हाउस एवं रेशम विक्रय की संपूर्ण प्रक्रिया के बारे में पर्यटकों को बताया जाए। इससे रेशम उत्पादन के प्रति जागरूकता और पर्यटन से आय उपार्जन को बढ़ावा मिलेगा।

बैठक में कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के सचिव ललित दाहिमा, रेशम आयुक्त मदन नागरगोजे, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग के अवर सचिव जीएस आर्य सहित अन्य सभी विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

राज्यमंत्री जायसवाल ने कहा कि रेशम की खेती से किसानों की आय बढ़ाने के लिये सर्वप्रथम उन्हें तकनीकी प्रशिक्षण दें। रेशम उत्पादन के लिये कीट प्राप्त करने, उन्हें विकसित करने और उत्पादन के पश्चात रेशम विक्रय के बारे में किसानों को स्टेप-बाय-स्टेप जानकारी दें, जिससे वे इस दिशा में आगे आएं। प्रदेश में रेशम उत्पादन बढ़ाएँ और अगले एक साल में रेशम का उत्पादन वर्तमान उत्पादन से दोगुना करने के लक्ष्य की दिशा में कार्य करें।

बैठक में बताया गया कि विभाग के पुराने रेशम उत्पादन केन्द्रों को पुन: कार्यशील करने के लिये 196 करोड़ रुपये और नये रेशम उत्पादन केन्द्र विकसित करने के लिये भी बजट की मांग राज्य शासन से की गई है।

रेशम आयुक्त ने बताया कि मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जहाँ नर्मदापुरम जिले के पचमढ़ी में मलबेरी, टसर, ऐरी और मूंगा रेशम कीट का पालन (उत्पादन) किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्राथमिक चरण में प्रदेश के 10 रेशम उत्पादन केन्द्रों को रेशम पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। इन रेशम पर्यटन केन्द्रों में भ्रमण को बढ़ावा देने के लिये एक एप तैयार किया जा रहा है। इच्छुक पर्यटक यहाँ आने के लिये इस एप के जरिये ऑनलाइन बुकिंग करा सकेंगे।

उन्होंने जानकारी दी कि ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स - ओएनडीसी (भारत का देशी अमेजन) के जरिये विभाग किसानों द्वारा उत्पादित रेशम उत्पादों को उनके घरों से एकत्रित कर उत्पादों की विश्वव्यापी मार्केटिंग की जाएगी और विदेशों को रेशम व इससे जुड़े अन्य उत्पादों का निर्यात भी किया जाएगा। मध्यप्रदेश ऐसा नवाचार करने वाला देश का पहला राज्य बनने जा रहा है। उन्होंने बताया कि अनूपपुर जिले की कोतमा तहसील क्षेत्र में शुरुआती तौर पर एक हजार एकड़ भूमि में रेशम कीट एवं उत्पादन केन्द्र प्रारंभ पालन करने की दिशा में ठोस प्रयास किये जा रहे हैं।

हस्तशिल्प एवं हथकरघा की विभागीय योजनाओं की समीक्षा कर राज्यमंत्री जायसवाल ने कहा कि हस्तशिल्प उत्पादों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। विक्रय केन्द्रों का आधुनिकीकरण भी किया जाए। हथकरघा उत्पादों की मांग के अनुरूप इनकी आपूर्ति बढ़ाई जाए। बैठक में आयुक्त हथकरघा, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं मध्यप्रदेश संत रविदास हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध संचालक सूफिया फारूकी ने विभाग की विभिन्न योजनाओं एवं नये कारीगरों के प्रोत्साहन के लिये किये जा रहे कार्यों एवं नवाचारों की जानकारी दी।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/नेहा