उज्जैनः महाकालेश्वर मंदिर का प्रसाद पूरी तरह शुद्ध, लैब टेस्ट में हुआ पास
उज्जैन, 6 अक्टूबर (हि.स.)। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर में मिलने वाला लड्डू प्रसाद एकदम शुद्ध मिला है। इस खबर के बाद महाकाल के भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई है। इसने खाद्य सुरक्षा नियमों के 13 मानकों को पास कर लिया है। मंदिरों में अशुद्ध प्रसाद का मुद्दा तिरुपति प्रसाद विवाद के बाद सामने आया था।
उज्जैन संभाग के आयुक्त संजय गुप्ता ने रविवार को जानकारी दी कि लड्डू प्रसाद की भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की मान्यता प्राप्त कुछ प्रयोगशालाओं में 13 विभिन्न प्रकार की जांच की गईं, जिसमें यह प्रसाद शुद्ध पाया गया। प्रसाद में किसी तरह की मिलावट नहीं पाई गई है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया से मान्यता प्राप्त मध्य प्रदेश की अत्याधुनिक लैब में लड्डू प्रसाद की टेस्टिंग की गई। जांच से पता चला है कि लड्डू के लिए इस्तेमाल होने वाले घी और अन्य सामग्री में किसी तरह की मिलावट नहीं है।
उन्होंने बताया कि तिरुपति में उपजे विवाद के बाद महाकालेश्वर लड्डू प्रसाद की जांच की गई। लैब में जांच के दौरान बीआर वैल्यू, शुगर, आरएम वैल्यू, टेवरा, एफएफए, फार्मलीन टेस्ट, बाऊडिन टेस्ट, बीआर वैल्यू, पोलेंस्क वैल्यू, स्पोनिफिकेशन वैल्यू, आयोडिन वैल्यू, बेंगाल ग्राम और स्टार्च सिंथेटिक फूड कलर की जांच की गई। फूड एनालिस्ट प्रदीप तिवारी, टेक्निकल मैनेजर सीईएस एनालिटिकल रिसर्च सर्विस नीलम उपाध्याय के अनुसार प्रसाद की टेस्ट रिपोर्ट सभी मानकों पर अप टू द मार्क है। केमिकल एनालिसिस के बाद घी में मिलावट नहीं पाई गई।
दरअसल, तिरुपति मंदिर में प्रसाद विवाद के बाद आस्था से खिलवाड़ का मुद्दा गर्मा गया था। भगवान महाकाल के दरबार में मिलने वाले प्रसाद की जांच कराई गई। लैब की रिपोर्ट के मुताबिक लड्डू प्रसाद की गुणवत्ता में मिलावट नहीं पाई गई है। गौरतलब है कि रोजाना हजारों श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन पूजन करने पहुंचते हैं। महाकाल लोक निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। श्रद्धालु महाकाल मंदिर समिति के बनाए लड्डू को प्रसाद के रूप में लेकर जाते हैं।
ये परीक्षण हुए
- बीआर वैल्यू
- शुगर
- आरएम वैल्यू
- टेवरा
- एफएफए
- फार्मलीन टेस्ट
- बाऊडिन टेस्ट
- बीआर वैल्यू
- पोलेंस्क वैल्यू
- स्पोनिफिकेशन वैल्यू
- आयोडिन वैल्यू
- बेंगाल ग्राम
- स्टार्च सिंथेटिक फूड कलर
इन चीजों से मिलकर बनता है लड्डू
शुद्ध घी, बेसन, रवा, काजू, शक्कर, किशमिश और इलायची
विशेष अवसर पर 100 क्विंटल रोज खपत
महाकाल के लड्डू यूनिट प्रभारी त्रिपाठी त्रिपाठी के मुताबिक लड्डू भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानी एफएसएसएआई के सभी मानकों को पूर्ण कर बनाए जाते हैं। देश में अन्य खाद्य पदार्थों की जांच एजेंसियां भी यहां के लड्डू प्रसाद की जांच कर शुद्धता का प्रमाण दे चुकी हैं। यही वजह है कि देश में सबसे शुद्ध महाकाल का लड्डू प्रसाद माना जाता है और इसीलिए इसकी मांग भी है। इसके शुद्धता की जानकारी आप प्रसाद पैकेट पर दिए बारकोड से भी प्राप्त कर सकते हैं। सप्ताह में तीन दिन और विशेष दिनों यहां 100 क्विंटल लड्डूओं की रोज खपत होती है।
एफएसएसएआई ने दी है फाइव स्टार रेटिंग
लड्डू यूनिट प्रभारी पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2003 में सिर्फ बाबा महाकाल को नैवैद्य चढ़ाने के लिए मंदिर परिसर के ही एक कमरे में लड्डू प्रसाद बनाया जाता था। बाद में प्रसाद की शुद्धता को देखते हुए इनकी मांग बढ़ने लगी। इस दौरान 2015 में एफएसएसएआई ने लड्डू प्रसाद की जांच कर इसकी गुणवत्ता के आधार पर फाइव स्टार रेटिंग दी। वहीं, सभी मानकों पर खरे उतरने पर राष्ट्रीय स्तर की अन्य खाद्य एजेंसियों ने भी इसे प्रमाणित किया। इससे इस प्रसाद के प्रति दुनियाभर में विश्वास बढ़ा है। नतीजतन 2016 में चिंतामण गणेश रोड पर महाकाल लड्डू प्रसादम यूनिट शुरू की गई थी।
दाल पीसकर बनाया जाता है बेसन, सांची से खरीदते हैं घी
बाबा महाकाल के भोग और भक्तों का प्रसाद लड्डू श्री महाकालेश्वर मंदिर समिति की चिंतामण क्षेत्र स्थित इकाई में तैयार किया जाता है। लड्डू बनाने की पूरी प्रक्रिया अधिकारियों की देखरेख में की जाती है। लड्डू में शुद्धता बनाए रखने के लिए मंदिर प्रबंध समिति बेसन की बजाए चने की दाल खरीदती है। इस दाल को प्रसाद भवन में ही लगी चक्की में पीसकर बेसन बनाया जाता है, जिसे लड्डू बनाने में उपयोग किया जाता है। इसके साथ ही लड्डू में रवा, काजू, किसमिस और शक्कर का बूरा भी मिलाया जाता है, जिसे मंदिर समिति जांच के बाद ही खरीदती है। लड्डू में उपयोग होने वाला देसी घी प्रदेश की सांची डेरी से खरीदा जाता है। यह डेयरी मध्य प्रदेश सरकार द्वारा अधिकृत है।
टेस्टिंग के बाद ही ड्रायफ्रूट का होता है उपयोग
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के सहायक प्रशासक डॉ. पीयूष त्रिपाठी ने बताया कि महाकाल मंदिर के प्रसाद की शुद्धता के लिए श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति को कई राष्ट्रीय अवॉर्ड मिल चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भोग प्रसाद और फाइव स्टार रेटिंग इसमें प्रमुख है। लड्डू में मिलाए जाने वाले ड्रायफ्रूट को टेस्टिंग के बाद ही उपयोग किया जाता है। कई लड्डुओं को अचानक टेस्टिंग के लिए भेजा गया है, लेकिन बाबा महाकाल के आशीर्वाद से अब तक कोई सैंपल फेल नहीं हुआ। हम अपनी रेटिंग पर कायम रहें, इसके लिए हाइजीनिक तरीके से प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद बनाने से पहले सभी के हाथ धुलवाए जाते हैं, सिर पर टोपी लगवाते हैं और फिर जय श्री महाकाल के उद्घोष के बाद यह प्रसादी बनाई जाती है।
रोज 30 क्विंटल लड्डू बनाए जाते हैं
लड्डू यूनिट प्रभारी कमलेश सिसोदिया ने बताया कि हम आम दिनों में हर दिन 25 से 30 क्विंटल लड्डू बनाते हैं। इनते लड्डुओं की हर दिन खपत भी हो जाती है। वहीं, बाबा महाकाल के विशेष पर्व जैसे सावन सोमवार समेत अन्य मौकों पर 50-65 क्विंटल लड्डू तैयार किए जाते हैं। इनकी भी एक दिन में खपत हो जाती है। लड्डुओं के 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और एक किलो के पैकेट तैयार किए जाते हैं। जिन्हें भक्त 50, 100, 200 और 400 रुपये में खरीदते हैं।
तिरुपति में आस्था से खिलवाड़
महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि श्री महाकालेश्वर मंदिर में दिए जाने वाले लड्डू प्रसाद को राष्ट्रपति ने भी पुरस्कार दिया है। शुरूआत से लेकर अब तक प्रसाद बनाने की प्रक्रिया एक जैसी है। प्रसाद के लड्डू को परंपरा और व्यवस्थाओं के अनुरूप ही तैयार किया जाता है। तिरुपति बालाजी और बाबा महाकाल दोनों ही ऐसे स्थान हैं, जहां भगवान को बेसन के लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। तिरुपति मंदिर के प्रसाद में गड़बड़ी के उजागर होने से करोड़ों लोगों की आस्था पर कुठाराघात हुआ है। इस प्रकार की घटनाएं नहीं होना चाहिए और परंपराओं से खिलवाड़ भी बंद होना चाहिए।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर