अनूपपुर: छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना

 


अनूपपुर, 19 नवंबर (हि.स.)। जिले में छठ पूजा व्रत में माताओं ने रविवार को जिले भर के नदी तलाबों में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना कर आशीष मांगा। मुख्यालय स्थित मडफ़ा तालाब (समतपुर) व तिपान नदी के तट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना की।

कोयलांचल नगरी जमुना कॉलरी भालूमाड़ा के श्रमिक नगर बदरा में सूर्य की उपासना का महापर्व बड़े हर्षोल्लास व श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। सूर्यास्त के समय परासी रोड स्थित तालाब में सूर्य को प्रथम अर्घ्य दिया गया। बिजुरी में सूर्य मंदिर स्थित देवी तालाब पर छठ महा पूजन का आयोजन देवी तालाब में पुजारी अवध बिहारी मिश्रा ने समस्त व्रतियों को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिलाकर सूर्य की उपासना का महापर्व बड़े हर्षोल्लास व श्रद्धा पूर्वक मनाया। अमरकंटक में नर्मदा नदी के रामघाट तट व कोटितीर्थ में डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर संतान व परिजनों की सुख समृद्धि की कामना की गई। इस दौरान केए प्रसाद, चैतन्य मिश्रा सहित अन्य जन छठ तालाब पर पहुंच कर छठ माता का आशीर्वाद प्राप्त किया।

छठ सूर्यदेव की बहन सोमवार को षष्ठी पर समर्पित सूर्य उपासना का यह पर्व अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त होगा। इन दोनों समय शाम और सुबह माताएं घाटों पर कमर तक भरे पानी में खड़ी होकर सूर्य को आह्वान करती है। जिसमें उनकी मनोकामना पूर्ण होने पर वह हमेशा सूर्यदेव की उपासना करती रहेगी। पर्व में व्रतियों द्वारा विशेष प्रसाद ठेकुआ, चावल के लड्डू, गुजिया, मिठाई सहित मौसमी फल बांस की बनी हुई टोकरी (डाला) में डालकर देवकारी में रखा जाता है। पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल और पूजा का अन्य सामान लेकर डाला को घर का पुरुष अपने हाथों से उठाकर छठ घाट पर ले जाता है। यह अपवित्र न हो इसलिए इसे सिर के ऊपर की तरफ रखते हैं।

मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और पुत्र की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएं यह व्रत रखती हैं। छठ व्रत के सम्बन्ध में अनेक कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुए में हार गए तब श्रीकृष्ण द्वारा बताए जाने पर द्रौपदी ने छठ व्रत रखा था। तब उनकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला था। लोक परम्परा के अनुसार सूर्यदेव और छठी मइया का सम्बन्ध भाई-बहन का है। लोक मातृका षष्ठी की पहली पूजा सूर्य ने ही की थी। छठ पूजा चार दिवसीय उत्सव है।

पसान में शामिल हुए खाद्य मंत्री

नगर पालिका पसान क्षेत्र के जमुना कॉलरी में छठ तालाब घाट एवं कोतमा कालरी केवाई नदी घाट पर धूमधाम के साथ छठ पर्व को मनाया गया। भक्तों के द्वारा डूबते सूर्य की आराधना करते हुए अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर मप्र कोल विकास प्राधिकरण अध्यक्ष रामलाल रौतेल, भाजपा जिलाध्यक्ष रामदास पुरी, एसईसीएल जमुना कोतमा क्षेत्र के महाप्रबंधक हरजीत सिंह मदान सहित अन्यं छठ घाट तालाब पर पहुंचकर छठ मैया का आशीर्वाद प्राप्त किया।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश शुक्ला/मुकेश