अशोकनगर : चंदेरी-राजघाट के पास स्थापित होने जा रहा परमाणु ऊर्जा विद्युत संयंत्र, औद्योगिक इकाइयों खुलने की संभावनायें बढ़ी

 


अशोकनगर, 15 दिसम्बर (हि.स.)। अशोकनगर जिले में परमाणु ऊर्जा विद्युत संयंत्र लगने जा रहा है, जिसे भारत सरकार द्वारा मंजूरी प्रदान की गई है। चंदेरी-राजघाट बांध स्थित खाकलोंन गांव में करीब डेढ़ माह पहले हवाई सर्वे भी हो चुका।

उक्त संयंत्र को न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड, भारत सरकार के द्वारा जो मंजूरी प्रदान की गई है, वह ग्राम खाकारोंन मुंगावली से 23 किलोमीटर दूर एवं राजघाट बांध से 4.5 किलोमीटर दूर निश्चित हुई है, जो कि चंदेरी तहसील के अंतर्गत आती है और यह जिले में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित पत्थरों की खदानों का वह इलाका है जहां न्यूक्लियर पावर प्लांट के स्थापित किए जाने हेतु प्रारंभिक सर्वे किया जा चुका है।

उक्त जानकारी लगने पर जिले वासियों में खुशी की लहर है, कि हमारे जिले में एक विशाल 1200 मेगावाट क्षमता का न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित होने जा रहा है। यह बड़ी सौगात भारत सरकार द्वारा प्रदान की जा रही है, इससे संपूर्ण जिले की दशा एवं दिशा बहुत व्यापक रूप से बदल जाएगी क्योंकि न्यूक्लियर पावर प्लांट के स्थापित होने के साथ कई औद्योगिक इकाइयां भी स्थापित होगी जिससे जिले में औद्योगिकरण व्यापार, व्यवसाय एवं रोजगार के बहुत अवसर प्राप्त होंगे।

जिले में न्यूक्लियर पावर प्लांट स्थापित होने के संबंध में कलेक्टर सुभाष कुमार द्विवेदी ने अनभिज्ञता जाहिर की है वहीं ग्राम खाकरोन के सरपंच बलवीर सिंह यादव का कहना है कि, इस न्यूक्लियर पावर प्लांट के लिए डेढ़ महीने पहले हेलीकॉप्टर से सर्वे किया जा चुका है और आगामी समय में और व्यापक रूप से इसका सर्वे कार्य किये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। यह क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी सौगात मिलने जा रही है जिससे हम सभी ग्रामवासी एवं जिलेवासी बहुत गौरवान्वित हो रहे हैं।

ग्राम खाकरोन का ही चयन क्यों?

यहां पत्थरों की खदानों का बहुत बड़ा इलाका है, इस गांव के निकट राजघाट बांध जो विशाल जल स्रोत है वह स्थापित है जो नाभिकीय ऊर्जा के विखंडन के पश्चात भाप बनाने के लिए पानी की आवश्यकता हेतु आवश्यक होता है, क्योंकि न्यूक्लियर पावर प्लांट उन्हीं जगह स्थापित होते हैं जहां विशाल जल राशि की उपलब्धता होती है। इसलिए ग्राम खाकरोंन का चयन किया गया है, जहां पथरीला इलाका है और पास में राजघाट बांध की विशाल जल राशि उपलब्ध है।

नाभिकीय ऊर्जा प्लांट क्या होता है

इसमें मुख्यत: यूरेनियम 235 का इस्तेमाल किया जाकर इसका नियंत्रित विखंडन किया जाता है और इससे जो ऊष्मा प्राप्त होती है उसे पानी में प्रवाहित कर उसकी भाप उत्पन्न की जाती है और इस भाप के माध्यम से बिजली उत्पादन की टरबाइन काम करती हैं जिससे विद्युत का उत्पादन किया जाता है।

नाभिकीय संयंत्रों से नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा से पानी को अतितप्त वाष्प में बदला जाता है। अतिऊर्जावान इस वाष्प से टरबाइन एवं जनित्र की सहायता से विद्युत उत्पादन होता है। पहले वाष्प की ऊष्मीय ऊर्जा का गतिज ऊर्जा में रूपांतरित कर टरबाइन को घुमाया जाता है। इस टरबाइन से जुडी हुई जनित्र से विद्युत उत्पादन होता है।

हिन्दुस्थान समाचार / देवेन्द्र ताम्रकार