देवासः ''श्री लीला समारोह'' के अंतिम दिवस निषादराज गुह्य लीला का हुआ मंचन

 


देवास, 16 जनवरी (हि.स.)। प्रदेश शासन संस्कृति विभाग द्वारा जिला प्रशासन के सहयोग से सयाजी द्वार देवास पर तीन दिवसीय श्री लीला समारोह आयोजित किया गया। समारोह के तीसरे और अंतिम दिन मंगलवार की संध्या को आकाश बरवडे(बैतूल) के निर्देशन में निषादराज गुह्य लीला का मंचन किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में देवास के धर्म प्रेमी नागरिको इस “श्री लीला समारोह” का आनंद लिया।

लीला नाट्य निषादराज गुह्य में बताया गया कि भगवान राम ने वन यात्रा में निषादराज से भेंट की। भगवान राम से निषाद अपने राज्य जाने के लिए कहते हैं लेकिन भगवान राम वनवास में 14 वर्ष बिताने की बात कहकर राज्य जाने से मना कर देते हैं। आगे के दृश्य गंगा तट पर भगवान राम केवट से गंगा पार पहुंचाने का आग्रह करते हैं लेकिन केवट बिना पांव पखारे उन्हें नाव पर बैठाने से इंकार कर देता है। केवट की प्रेम वाणी सुन, आज्ञा पाकर गंगाजल से केवट पांव पखारते हैं। नदी पार उतारने पर केवट राम से उतराई लेने से इंकार कर देते हैं।

कहते हैं कि हे प्रभु हम एक जात के हैं मैं गंगा पार कराता हूं और आप भवसागर से पार कराते हैं इसलिए उतरवाई नहीं लूंगा। लीला के अगले दृश्यों में भगवान राम चित्रकूट होते हुए पंचवटी पहुंचते हैं। सूत्रधार के माध्यम से कथा आगे बढ़ती है। रावण वध के बाद श्री राम अयोध्या लौटते हैं और उनका राज्याभिषेक होता है। लीला नाट्य में श्री राम और वनवासियों के परस्पर सम्बन्ध को उजागर किया गया।

उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा श्री राम कथा के चरित्रों पर आधारित श्रीहनुमान, भक्तिमति शबरी और निषादराज गुह्य लीलाएं विशेष रूप से परिकल्पित कर तैयार कराई गई है। अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व इन लीलाओं का आयोजन कराया जा रहा है। जिसमें 35 कलाकारों द्वारा विभिन्न प्रकार से अलग-अलग रूप धारण कर लीलाओं का प्रदर्शन किया जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश