नागदाः पिता की गुहार और अफसर की सूझबूझ से उखड़ती सांसों को मिला जीवनदान

 


नागदा, 30 दिसंबर (हि.स.)। एक पिता की हांफती आवाज, आंखों में पसरा डर और कुछ मिनटों की देरी—इनके बीच उज्जैन जिले के नागदा में एक युवक के सामने जिंदगी और मौत आमने-सामने खड़ी थीं। अगर पिता समय की नजाकत को नहीं समझते और पुलिस अफसर पलभर भी चूक जाते, तो शायद कहानी दूसरी होती। लेकिन गुहार सुनी गई, कदम तेज़ हुए और इंसानियत मौत से आगे निकल गई।

नियमित गश्त के दौरान थाना प्रभारी अमृतलाल गवरी के पास एक पिता घबराहट हालत में पहुंचे। शब्द टूट रहे थे—बस इतना कहा कि उनका बेटा घर में फांसी पर झूल रहा है। पिता की हालत देखकर स्थिति की गंभीरता समझने में थाना प्रभारी को देर नहीं लगी। उन्होंने बिना किसी औपचारिता के तुरंत घटनास्थल का रुख किया। घर पहुंचते ही दरवाजा तोड़ा।

थाना प्रभारी गवली ने हिंदुस्थान समाचार संवाददाता नागदा से बातचीत में बताया यह घटना सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात लगभग 1:00 बजे की है। युवक धैर्य (20) पुत्र सुनील निवासी मिर्ची बाजार फांसी के फंदे पर था। परिजन उसे मृत मान चुके थे, घर में मातम पसरा था और उम्मीद लगभग टूट चुकी थी। लेकिन यहीं से कहानी ने करवट ली।

बहुत पीछे हटी, नई जिंदगी ने ली करवट

थाना प्रभारी ने युवक को नीचे उतारकर ज़मीन पर लिटाया और तत्काल सीपीआर देना शुरू किया। पल-पल भारी था। कुछ क्षणों बाद युवक की छाती में हलचल दिखी। उखड़ती सांसों ने फिर से रास्ता तलाश लिया। मौत पीछे हटी और जिंदगी ने दस्तक दी। युवक को तत्काल उपचार के लिए रतलाम अस्पताल भेजा गया, जहां उसका इलाज जारी है और हालत में सुधार बताया जा रहा है।

डॉक्टरों के मुताबिक समय पर मिली प्राथमिक सहायता ने हालात पलट दिए। इस घटना में पिता की समय पर दी गई सूचना और पुलिस अफसर की तत्परता ने मिलकर एक परिवार को उजड़ने से बचा लिया। परिजनों ने नागदा पुलिस का आभार जताया, वहीं लोग इसे इंसानियत की जीत बता रहे हैं। नागदा की यह घटना बताती है कि पुलिस की पहचान सिर्फ कानून से नहीं, संवेदनशीलता और फैसले की रफ्तार से भी बनती है—और जब यह साथ हों, तो मौत को भी मात दी जा सकती है।

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हिन्दुस्थान समाचार / कैलाश सनोलिया