नागदा: बिरला ग्रेसिम उद्योग के प्रदूषण का मामला जनसुनवाई में उठा

 


नागदा, 25 जून (हि.स.)। उज्जैन जिले के औद्योगिक नागदा में एसडीओ (राजस्व) के समक्ष मंगलवार को आयोजित जनसुनवाई कार्यक्रम में बिड़ला घराना के ग्रेसिम उद्योग के प्रदूषण का मामला छाया रहा। यह मसला नागरिक अधिकार मंच के संयोजक एवं व्यापक घोटाले के पिटीशनर अभय चौपड़ा ने उठाया।

ग्रेसिम उद्योग की कथित जहरीली गैस से फैल रही कथित गंभीर बीमारियों की और जन सुनवाई अधिकारी (एसडीओं (राजस्व) एसएन सोनी का ध्यान आकर्षित किया। लिखित शिकायत में मंच के संयोजक ने शहर में पांव पसार रही गंभीर बीमारियां किडनी , हदयरोग, कैंसर पर चिंता जाहिर करते हुए इसका कारण औद्योगिक प्रदूषण बताया। लगभग 15 मिनट तक धाराप्रवाह प्रस्तुत दलील में यह मसला अधिकारी सुनने के लिए बाघ्य हुए।

यह भी उठाई मांग

यह मांग भी उठाई कि शहर में इस प्रकार की बीमारियो से प्रभावित लोगों का उपचार ग्रेसिम के सीएसआर फंड से निःशुल्क कराया जाए। शासकीय अस्ताल में किडनी एवं हदयरोग के विशेषज्ञों की नियुक्ति की जाए। नागदा के औद्योगिक प्रदूषण की जांच स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तर पर होना चाहिए । प्रदूषण विभाग द्धारा समय-समय पर लिए जा रहे सैपल का रिजल्ट सार्वजनिक करने की मांग भी की गई। प्रकरण को सूनने के बाद जनसुनवाई अधिकारी ने मामले की जांच करा कर उचित कार्यवाही का अधिनस्थ को निर्देश दिया। इस शिकायत में कुल 19 बिंदुओं पर जनसरोकार से संबधित मसले उठाए गए है। ग्रेसिम उद्योग के द्धारा जल प्रदूषण नियंत्रण को लेकर प्रबंधन द्धारा बनाए गए जीरो डिस्चार्च प्लांट को लेकर भी कई प्रकार के सवाल खड़े किए गए। ग्रेसिम के गंदे नाले की ओर भी ध्यान आकर्षित किया गया।

मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड उज्जैन के संभागीय अधिकारी एच. के तिवारी का कहना है कि नागदा के औद्योगिक प्रदूषण के मापदंडों की निगरानी लगातार 24 घंटे प्रदूषण बोर्ड भोपाल के कार्यालय से होती रहती है। समय-समय पर जन एवं वायु प्रदूषण के सैपल भी लिए जाते है जिनको सार्वजनिक किया जाता है।

हिन्दुस्थान समाचार/डा.हंसा वैष्णव