मध्य प्रदेश में दो वर्षों में सिंचाई क्षमता में हुई अभूतपूर्व बढ़ोतरी : जल संसाधन मंत्री सिलावट
- जल संसाधन मंत्री सिलावट ने बताईं मप्र सरकार के 2 वर्ष की विभागीय उपलब्धियां
भोपाल, 30 दिसम्बर (हि.स.) । मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की किसानों की खुशहाली की परिकल्पना अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में मध्य प्रदेश में गत दो वर्षों में सिंचाई क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। किसानों की तरक्की और खुशहाली हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। कृषि के अतिरिक्त पेयजल, उद्योगों, विद्युत उत्पादन आदि के लिए जल की उपलब्धता कराये जाने हेतु प्रयासरत हैं। प्रदेश में सिंचाई के रकबे में निरंतर वृद्धि हो रही है। माइक्रो सिंचाई पद्धति में मध्यप्रदेश देश में अग्रणी राज्य है। जल संरक्षण एवं संवर्धन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिये म.प्र. को राष्ट्रीय जल अवार्ड मिला है।
यह जानकारी जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने मंगलवार को 2 वर्ष की विभागीय उपलब्धियों पर आयोजित पत्रकारवार्ता में दी। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव जल संसाधन डॉ. राजेश राजौरा उपस्थित थे। मंत्री सिलावट ने कहा कि यह मध्यप्रदेश का सौभाग्य है कि यहां स्व. प्रधानमंत्री युगदृष्टा अटल बिहारी वाजपेई के नदी जोड़ो के सपने को साकार करने का कार्य प्रारंभ हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने केन-बेतवा बहुउद्देशीय नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का प्रदेश में शुभारंभ किया। इस परियोजना से बुंदेलखंड क्षेत्र की तस्वीर एवं तकदीर बदल जाएगी। हमारे राज्य को उक्त परियोजना से न केवल सिंचाई अपितु पेयजल एवं विद्युत उत्पादन का लाभ भी मिलेगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश की दूसरी महत्वपूर्ण नदी जोड़ो परियोजना है संशोधित पार्वती - कालीसिंध -चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना। इससे प्रदेश के बड़े हिस्से में सिंचाई, पेयजल, उद्योगों आदि के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध हो सकेगा। मंत्री सिलावट ने कहा कि मध्य प्रदेश में आकार ले रही तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना है, जो कि विश्व में अपने आप में एक बहुत अनूठा प्रयास है। तापी बेसिन मेगा रिचार्ज परियोजना अंतर्गत वर्षा के दौरान तापी नदी के अतिरिक्त जल को नियंत्रित तरीके से भू-जल भरण के लिए उपयोग किया जाकर भू-जल स्तर में वृद्धि की जाएगी। परियोजना के क्रियान्वयन के लिये मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्यों के मध्य 10 मई 2025 को सहमति बनी।
मंत्री सिलावट ने कहा कि हमारे लिए हमारे बांधों की सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। बांधों की सुरक्षा के लिये बांध सुरक्षा अधिनियम 2021 के प्रावधानों को लागू करने के लिये विशेषज्ञ समिति का गठन करने वाला मध्यप्रदेश, देश में अग्रणी राज्य है। बांधों की सुरक्षा के लिये ड्रिप परियोजना के अंतर्गत विश्व बैंक के सहयोग से आगामी 5 वर्षों में विभिन्न बांधों की मरम्मत के कार्य कराये जायेंगे।
जल संसाधन मंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पर ड्रॉप मोर क्रॉप की अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। सिंचाई प्रबंधन में मध्यप्रदेश देश में सर्वोच्च स्थान पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कुशल नेतृत्व में हमारा प्रदेश विकसित राज्य बनने की दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।
सिंहस्थ-2028
मंत्री सिलावट ने बताया कि उज्जैन शहर पवित्र मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर बसा है। उज्जैन शहर का पौराणिक और धार्मिक महत्व है। प्रत्येक 12 वर्ष में क्षिप्रा नदी के दोनों तटों पर सिंहस्थ (कुंभ) पर्व पर मेला का आयोजन होता है। सिंहस्थ 2028 से संबंधित सभी कार्यों (कुल राशि रू. 02 हजार 396 करोड़) की स्वीकृति समय सीमा में प्राप्त कर, सिंहस्थ 2028 के पूर्व दिसंबर 2027, तक पूर्ण किया जाना लक्षित है।
सिंहस्थ 2028 के आयोजन हेतु क्षिप्रा नदी को निर्मल-अविरल एवं निरंतर प्रवहमान बनाकर श्रद्धालुओं की भावनाओं के अनुरूप मुख्यमंत्री डॉ. यादव के नेतृत्व में विभिन्न धार्मिक पर्वो पर अनुष्ठान हेतु पर्याप्त स्वच्छ जल उपलब्ध कराये जाने के लिये विभाग द्वारा विभिन्न कार्य कराये जा रहे हैं।
उज्जैन में कान्ह नदी परियोजनाओं का विकास
उज्जैन जिले में कान्ह नदी पर कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना (क्षिप्रा शुद्धीकरण) 919.94 करोड़ रुपये की लागत से चल रही है। अनुबंधित राशि 866.37 करोड़ रुपये है। कट एंड कवर की लंबाई 18.15 किलोमीटर है, जिसमें खुदाई 9.5 किलोमीटर में प्रगतिशील और लेइंग कार्य 2.5 किलोमीटर में पूर्ण हुआ। 12 किलोमीटर लंबी टनल में 6.35 किलोमीटर खुदाई पूर्ण है। भू-अर्जन (सरकारी 12.9 हेक्टेयर, निजी 2.49 हेक्टेयर) पूरा हो चुका है। परियोजना का कार्य सितंबर 2027 तक पूरा किया जाएगा।
सेवरखेडी-सिलारखेडी सिंचाई परियोजना
उज्जैन जिले के ग्राम सेवरखेडी में क्षिप्रा नदी पर बैराज निर्माण कर पम्पिंग के माध्यम से सिलारखेडी जलाशय में जल एकत्र किया जाएगा। परियोजना से उज्जैन शहर को पेयजल एवं धार्मिक अवसरों पर श्रद्धालुओं के लिए निर्मल जल उपलब्ध होगा। लागत 614.53 करोड़ रुपये, अनुबंधित राशि 445.40 करोड़ रुपये है। कार्य वर्ष 2027 तक पूर्ण होगा।
क्षिप्रा नदी घाट और बैराज निर्माण
क्षिप्रा नदी के दोनों किनारों पर 30 किलोमीटर घाट निर्माण का कार्य 778.91 करोड़ रुपये लागत से प्रगतिशील है। भू-अर्जन (सरकारी 12.71 हेक्टेयर, निजी 36.99 हेक्टेयर) पूरा हो चुका है। खुदाई 18.6 किलोमीटर और सीमेंट कॉकीट 4.3 किलोमीटर में प्रगतिशील है। नबम्बर 2027 तक कार्य पूरा होगा। रोजाना लगभग 5 लाख श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे। इसके अतिरिक्त, उज्जैन जिले में 11 बैराज, इंदौर एवं देवास जिले में 09 बैराज, तथा नगर निगम उज्जैन द्वारा कालियादेह स्टॉप डेम का मरम्मत कार्य भी चल रहा है।
केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजनाएँ
केन-बेतवा राष्ट्रीय परियोजना 44,605 करोड़ की लागत से 8.11 लाख हेक्टेयर सिंचाई के लिए विकसित हो रही है। बुंदेलखंड के 10 जिलों के लगभग 7 लाख 25 हजार किसान परिवार लाभान्वित होंगे। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना 72 हजार करोड़ की लागत से मालवा एवं चंबल के 13 जिलों में 6.16 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा प्रदान करेगी।
भू-जल संरक्षण और जल सुरक्षा
अटल भू-जल योजना बुंदेलखंड के 06 जिलों में 670 ग्राम पंचायतों में क्रियान्वित हुई। मेगा तापी रीचार्ज परियोजना से बुरहानपुर एवं खंडवा जिले में 1.23 लाख हेक्टेयर सिंचाई सक्षम होगी। डैम सेफ्टी रिव्यू पैनल के तहत 27 बांधों की सुरक्षा एवं मरम्मत का काम 5 वर्षों में पूरा किया जाएगा।
अन्य उपलब्धियां
रबी 2025-26 में 7.31 लाख हेक्टेयर नवीन सिंचाई क्षमता का सृजन।
35 लाख किसानों का एकमुश्त बकाया जलकर माफ।
प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं की वास्तविक सिंचाई 100% दर्ज।
दौधन बांध का भूमि पूजन 25 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री द्वारा किया गया।
आगामी 3 वर्षों में बड़े सिंचाई परियोजनाओं का विकास
मध्य प्रदेश में वर्ष 2026 से 2028 तक बड़े पैमाने पर सिंचाई परियोजनाओं का कार्य पूरा होने जा रहा है, जिससे सिंचित क्षेत्र में व्यापक विस्तार होगा। इस वर्ष कुल 6,22,095 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई परियोजनाएं पूरी होंगी। इनमें कयामपुर सीतामऊ सिंचाई (1,12,000 हेक्टेयर), बांदा परियोजना यूनिट 2 (80,000 हेक्टेयर), रामपुरा-मनासा (67,186 हेक्टेयर), सुगालिया (49,800 हेक्टेयर), पार्वती परियोजना (48,000 हेक्टेयर), मल्हारगढ़ सूक्ष्म सिंचाई (46,500 हेक्टेयर) प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त त्यौंथर बहाव, हनोता, रिहन्द दबाव, पंचमनगर, कोठा बैराज, पंच माडको और भनी सूक्ष्म दबाव परियोजनाएं भी शामिल हैं।
वर्ष 2027 की प्रमुख परियोजनाएं
इस वर्ष बीना संयुक्त सिंचाई परियोजना (96,000 हेक्टेयर) के पूरा होने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही सेवरखेड़ी-सिलारखेड़ी एवं कान्ह डायवर्शन क्लोज डक्ट परियोजना भी इस वर्ष समाप्त होंगी।
वर्ष 2028 की प्रमुख परियोजनाएं
वर्ष 2028 में लोअर-ओर परियोजना (1,10,400 हेक्टेयर), चैंटेखेड़ा वृहत सिंचाई (15,300 हेक्टेयर) एवं मूंजरी सूक्ष्म सिंचाई परियोजना (11,575 हेक्टेयर) पूरी की जाएंगी। कुल मिलाकर इस वर्ष 1,37,275 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित होगा। यह तीन वर्षों की योजना मध्यप्रदेश में कृषि और जल संसाधन विकास के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे किसानों को सिंचाई सुविधा और प्रदेश में कृषि उत्पादन में वृद्धि होगी।
हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत