परिवहन सेवाओं में अग्रणी मप्र: मंत्री ने बताया कैसे दो वर्षों में सरल, पारदर्शी और तकनीक-आधारित व्यवस्था से बड़े कदम उठाए गए
भोपाल, 22 दिसंबर (हि.स.)। आम नागरिक को सुगम, पारदर्शी और समयबद्ध सेवाएँ उपलब्ध कराना किसी भी सुशासन की पहचान होती है। इसी उद्देश्य को साकार करते हुए मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने विगत दो वर्षों में परिवहन विभाग में व्यापक सुधार किए हैं। परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीयन जैसी सेवाओं को पूरी तरह ऑनलाइन और फेसलेस बनाकर प्रदेश ने देश में एक नई मिसाल कायम की है। राजधानी भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय सभागार में आयोजित “विकास और सेवा के दो वर्ष” पर केंद्रित पत्रकार वार्ता में परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने सोमवार को बताया कि परिवहन विभाग की सेवाओं को आम जनता के लिए सरल, सुलभ और तकनीक-आधारित बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कार्य हुए हैं।
परिवहन विभाग की प्रक्रियाओं को सरल बनाने और नागरिकों को अधिक सुविधा देने के उद्देश्य से प्रदेश में वाहन परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, लर्नर लाइसेंस, वाहन पंजीयन सहित अनेक सेवाएँ ‘वाहन’ और ‘सारथी’ पोर्टल के माध्यम से प्रदान की जा रही हैं। इन पोर्टलों के माध्यम से आवेदन, शुल्क भुगतान और स्थिति की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई है, जिससे नागरिकों को बार-बार कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। परिवहन मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि विभाग की समस्त सेवाओं को फेसलेस रूप में प्रदान करने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन गया है।
ऑनलाइन सेवाओं को और अधिक सुलभ बनाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा एमपी ऑनलाइन सेवा केंद्रों को भी मान्यता दी गई है। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले नागरिक आसानी से परिवहन सेवाओं का लाभ उठा पा रहे हैं। वर्तमान में प्रदेश में 1.25 लाख से अधिक सेवा केंद्रों के माध्यम से लोग परिवहन विभाग से संबंधित सेवाएँ प्राप्त कर रहे हैं। इससे डिजिटल खाई को पाटने और अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुँचाने में उल्लेखनीय सफलता मिली है।
परिवहन मंत्री ने बताया कि यात्री बसों के परमिट जारी करने में आ रही व्यावहारिक समस्याओं के समाधान के लिए संभागीय आयुक्त राजस्व की अध्यक्षता में प्रादेशिक परिवहन प्राधिकरण का गठन किया जा चुका है। इस व्यवस्था से बस परमिट से जुड़े निर्णय अधिक सुव्यवस्थित, समयबद्ध और व्यावहारिक रूप से लिए जा रहे हैं, जिससे बस ऑपरेटरों के साथ-साथ यात्रियों को भी राहत मिल रही है।
इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में भी परिवहन विभाग ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यप्रदेश में मोटरयान कर में पूर्ण छूट का प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त सीएनजी वाहनों पर मोटरयान कर में 1 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने के उद्देश्य से वाहन स्क्रैप नीति को भी प्रभावी बनाया गया है, जिसके अंतर्गत पुराने वाहन को स्क्रैप कराने पर नए वाहन की खरीद पर 50 प्रतिशत तक कर में छूट का प्रावधान किया गया है। इन कदमों से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिल रहा है, बल्कि आधुनिक और सुरक्षित वाहनों के उपयोग को भी बढ़ावा मिल रहा है।
चालक प्रशिक्षण और सड़क सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए प्रदेश में प्रादेशिक, संभागीय और जिला स्तर पर त्रिस्तरीय चालन प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इन प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से नए और अनुभवी चालकों को वैज्ञानिक और व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में मदद मिलेगी।
मंत्री सिंह का इस दौरान यह भी कहना रहा कि वाहनों की फिटनेस जाँच को मानव हस्तक्षेप से मुक्त और पूर्णतः पारदर्शी बनाने के लिए प्रदेश के ग्वालियर, इंदौर, भोपाल, जबलपुर, सतना, सिंगरौली, उज्जैन और देवास जिलों में कुल 16 ऑटोमेटेड टेस्टिंग स्टेशनों का संचालन शुरू किया गया है। इन केंद्रों पर आधुनिक मशीनों के माध्यम से वाहनों की जांच की जा रही है, जिससे फिटनेस प्रमाणन में निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित हुई है।
वर्तमान में सड़क परिवहन अधिनियम 1950 के अंतर्गत निजी बस ऑपरेटर निर्धारित मार्गों पर समय-सारणी की अनुमति प्राप्त कर सार्वजनिक परिवहन बसों का संचालन कर रहे हैं। इस व्यवस्था की नियमित मॉनिटरिंग परिवहन विभाग के अधिकारियों और ट्रैफिक पुलिस द्वारा संयुक्त रूप से की जा रही है, ताकि यात्रियों को सुरक्षित, समयबद्ध और सुव्यवस्थित परिवहन सेवा मिल सके। इससे अनियमित संचालन, ओवरलोडिंग और समय-सारणी के उल्लंघन जैसी समस्याओं पर प्रभावी नियंत्रण संभव हुआ है।
प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश यात्री परिवहन एवं इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक राज्य स्तरीय होल्डिंग कंपनी की स्थापना की जा चुकी है। इस कंपनी के माध्यम से यात्रियों को बेहतर, सुरक्षित और आधुनिक परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध कराने की योजना है। बस सेवा योजना के तहत प्रथम चरण में इंदौर शहर के 50 से 60 किलोमीटर की परिधि में प्रमुख मार्गों की पहचान कर उन्हें अधिसूचित किए जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है। इस योजना से शहरी और उपनगरीय क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को नई गति मिलने की उम्मीद है।
प्रदेश की सभी बसों की सुचारू और रियल-टाइम निगरानी के लिए इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम स्थापित किए जाने का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। इस प्रणाली के माध्यम से बसों की लोकेशन, गति, समय-सारणी और संचालन की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा सकेगी, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा दोनों में वृद्धि होगी। उल्लेखनीय है कि सचिव परिवहन मनीष सिंह, परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी