व्यापार मेला शुरू होने से पहले ही उमड़े सैलानी, ग्वालियर मेला परिसर में लौटी रौनक

 




ग्वालियर, 21 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में ऐतिहासिक श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला औपचारिक रूप से शुरू होने से पहले ही सैलानियों की चहल-पहल से गुलजार होने लगा है। इस वर्ष मेला 25 दिसंबर से 25 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा, लेकिन इससे पहले ही रविवार को बड़ी संख्या में सैलानी मेले का आनंद लेने पहुंच गए। हालांकि अभी मेला परिसर में दुकानों और शोरूम की सजावट का कार्य जारी है, फिर भी सैलानियों की मौजूदगी से वातावरण जीवंत हो उठा।

रविवार की सुबह शीतल बयार के बीच लोग सॉफ्टी खाते हुए मेले में घूमते नजर आए। कई परिवार अपने बच्चों के साथ झूला सेक्टर पहुंचे, तो कई ने भेलपुरी और अन्य व्यंजनों का स्वाद लिया। परिवार के साथ मेला घूमने आए आदित्यपुरम निवासी मलखान ने बताया कि भले ही मेला पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है, लेकिन साल भर इंतजार के बाद यहां आने का आनंद अलग ही होता है। उन्होंने कहा कि मॉल संस्कृति के दौर में भी मेले का मजा कहीं अधिक है। वहीं गोसपुरा हजीरा से आए वीरभान ने कहा कि ग्वालियर मेला मिलन का केंद्र है, जहां रोजमर्रा की भागदौड़ और तनाव स्वतः ही दूर हो जाता है।

दुकानों और झूला सेक्टर ने लिया आकार

ग्वालियर व्यापार मेले में खेल-खिलौनों, सॉफ्टी, भेलपुरी, खजला-पापड़ और प्रसिद्ध हरिद्वार वाले भोजनालय सहित खान-पान की कई दुकानें लग चुकी हैं। इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी बड़े-बड़े शोरूम तेजी से आकार ले रहे हैं। झूला सेक्टर लगभग पूरी तरह सजकर तैयार हो चुका है। आने वाले दिनों में मेला अपने पूरे शबाब पर नजर आएगा।

सौ वर्षों से अधिक की गौरवशाली परंपरा

ग्वालियर का व्यापार मेला नगर की सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक पहचान का अभिन्न हिस्सा है, जिसने 100 वर्षों से अधिक की यात्रा तय कर ली है। प्रारंभ में यह एक पशु मेले के रूप में शुरू हुआ था, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के किसान और पशुपालक पशुधन का क्रय-विक्रय करते थे। समय के साथ इसमें घरेलू उपयोग की वस्तुएं, हस्तशिल्प और स्थानीय उत्पाद शामिल होते गए और इसका स्वरूप विस्तृत होता चला गया।

स्वतंत्रता के बाद यह मेला व्यापार, उद्योग और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख मंच बन गया। वर्तमान में देश की प्रमुख औद्योगिक एवं वाणिज्यिक इकाइयां, ऑटोमोबाइल कंपनियां, लघु एवं कुटीर उद्योग तथा हस्तशिल्प कलाकार इसमें भाग लेते हैं। यह मेला अब स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशिष्ट पहचान बना चुका है।

संस्कृति, व्यापार और रोजगार का संगम

ग्वालियर व्यापार मेला व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों का भी प्रमुख केंद्र है। लोकनृत्य, सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, मनोरंजन के साधन और विविध व्यंजनों के कारण यह सभी वर्गों के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। मेले में सुरक्षा, स्वच्छता, यातायात और प्रकाश व्यवस्था सहित आधुनिक सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।

शासकीय विभागों के समन्वय से आयोजित यह मेला स्थानीय कारीगरों, छोटे व्यापारियों और स्वरोजगार से जुड़े लोगों को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करता है और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को गति देता है। पशु मेले के रूप में शुरू होकर सौ वर्षों की गौरवशाली परंपरा निभा चुका ग्वालियर व्यापार मेला आज परंपरा और आधुनिकता का सफल समन्वय प्रस्तुत करता है।

वर्ष 2025-26 में ग्वालियर व्यापार मेला 25 दिसंबर से विधिवत प्रारंभ होगा। देशभर के विभिन्न राज्यों से दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों को सजाने में जुट गए हैं, वहीं आकर्षक झूले और प्रसिद्ध व्यंजनों के स्टॉल भी लोगों को लुभाने के लिए तैयार हो रहे हैं। सर्द मौसम में भी ग्वालियर अंचल के लोग इस ऐतिहासिक मेले का आनंद उठाने से पीछे नहीं रहते।-------------

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर