ग्वालियरः पहले रविवार को व्यापार मेले में उमड़ा जन सैलाब
ग्वालियर, 28 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में व्यापार मेला शुरू होने के बाद आए पहले रविवार को बड़ी संख्या में सैलानी पहुँचे। मेले के ज्यादातर सेक्टरों में सैलानियों की अच्छी-खासी भीड़ नजर आई। झूला सेक्टर तो सैलानियों से फुल बना रहा। नौनिहालों ने खिलौना कार की तो बच्चों, युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक ने ऊँट की सवारी की। साथ ही मेले के पारंपरिक पकवान खजला, पापड़, नॉन खटाई, सॉफ्टी, पिण्ड खजूर, भेलपुरी, गाजर का हलवा एवं साउथ इंडियन भोजन का लुत्फ उठाया।
दरअसल, केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो दिन पहले इस मेले का उदघाटन किया था। उदघाटन के बाद 28 दिसम्बर इस साल के मेले के लिये पहला रविवार था। पच्चीस दिसम्बर से शुरू हुआ ऐतिहासिक श्रीमंत माधवराव सिंधिया ग्वालियर व्यापार मेला 25 फरवरी तक आयोजित होगा। इस साल के ग्वालियर मेले में मेला प्राधिकरण द्वारा जिला प्रशासन व नगर निगम के सहयोग से बुनियादी सुविधाओं को सुदृढ़ किया है। साथ ही एहतियात बतौर फायर ब्रिगेड इत्यादि का पुख्ता इंतजाम भी किया गया है।
रविवार को बड़ी संख्या में सैलानियों के पहुँचने से मेले के दुकानदार गदगद थे। साथ ही जिनकी दुकानें अधूरी थीं वे अपनी दुकानों को तेजी के साथ सजाने में जुट गए। ग्वालियर मेला पारंपरिक रूप से उन हाथों को काम व मंच देता रहा है जो मिट्टी से सोना बनाते हैं। साथ ही उन सपनों को दिशा देता है, जो आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। इस साल के मेले में भी इसके सजीव दर्शन हो रहे हैं। दस रुपये का हर माल से लेकर लाखों रूपए तक की वस्तुएं व उपकरण ग्वालियर मेले में उपलब्ध होते हैं। ग्वालियर व्यापार मेला जब अपने शबाब पर होता है तब तो लोगों को रोजगार देता ही है। साथ ही जिस दिन से मेले में दुकानें व शोरूम बनना शुरू होते हैं तभी से बहुत से स्थानीय छोटे-छोटे कारोबारियों की कमाई शुरू हो जाती है। इस साल भी शुरू से ही छोटे-छोटे व्यवसायी अच्छी-खासी आमदनी अर्जित कर रहे हैं।
मेले में सैलानियों को खूब भा रही है रेगिस्तान के जहाज ऊँट की सवारीसतरंगी रोशनी में नहाए रोमांचक व आकर्षक झूले ही मेले में मनोरंजन व आकर्षण का केन्द्र नहीं हैं, रेगिस्तान का जहाज यानि ऊँट भी सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। रंग बिरंगे परिधानों में सजे-धजे ऊँट की सवारी करने के लिए बच्चों व युवाओं में होड़ मची है। मेले में पहुँच रहे सैलानियों को रेगिस्तान के जहाज की सवारी खूब भा रही है। इस साल के ग्वालियर व्यापार मेले में राजस्थान के धौलपुर, करौली व सवाई माधौपुर जिलों से पारंपरिक रूप से ऊँट पालने वाले व्यवसायी आए हैं। इससे मेले की रौनक बढ़ गई है।
धौलपुर से ऊँट लेकर मेले में आए शब्बीर खान का कहना है कि हम पिछले 6 सालों से मेले में आ रहे हैं। नए साल के पहले दिन से मनोरंजन व सैर कराने का यह व्यवसाय अच्छा चल रहा है। पिछले साल के मेले के अनुभव के आधार पर शब्बीर बताते हैं कि मुझे मेले में प्रतिदिन हज़ार से लेकर 1200 रुपए की औसतन आमदनी हो जाती है। खेल-खिलौने, खान-पान और परिधानों से सजी-धजी दुकानें के बीच मेले की चौड़ी सड़कों पर ऊँट की सवारी का सैलानी खूब लुत्फ उठा रहे हैं। पैरों के गद्देदार व गोलाकार पंजे होने से ऊँट आसानी से रेगिस्तान में आ जा सकता है और यह रेतीले क्षेत्र में परिवहन का सबसे अच्छा साधन माना जाता है। इसीलिए ऊँट को रेगिस्तान का जहाज कहा जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर