मप्र में 55 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना, शिक्षा में गुणात्मक सुधार का नया अध्याय

 


- प्रदेश में 8 नए आयुर्वेद महाविद्यालयों की स्वीकृति और 800 आयुष आरोग्य मंदिरों का संचालन प्रारंभ

- उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने मप्र सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर दी विभागीय उपलब्धियों की जानकारी

भोपाल, 29 दिसम्बर (हि.स.)। मध्‍य प्रदेश के उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष मंत्री इन्दर सिंह परमार ने सोमवार को भोपाल स्थित कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में दो वर्षों की विभागीय उपलब्धियों एवं आगामी कार्ययोजनाओं को लेकर आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित किया। मंत्री परमार ने उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा एवं आयुष विभाग के दो वर्षों की उपलब्धियां एवं आगामी तीन वर्षों की कार्ययोजना साझा की। इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा अनुपम राजन, प्रमुख सचिव आयुष डी पी आहूजा, आयुक्त उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा, आयुक्त आयुष उमा आर माहेश्वरी एवं आयुक्त तकनीकी शिक्षा अवधेश शर्मा सहित बड़ी संख्या में मीडिया के पत्रकारगण उपस्थित थे।

उच्च शिक्षा की प्रमुख विभागीय उपलब्धियां और नवाचार

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग अपनी स्पष्ट नीतियों और नवाचारों के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी) के अनुरूप उच्च शिक्षा को गुणात्मक, बहुविषयक, रोजगारोन्मुखी और समावेशी बनाने के लिए विभाग निरंतर कार्य कर रहा है।

शैक्षणिक सुधार और नवीन विश्वविद्यालय

उच्च शिक्षा मंत्री परमार ने बताया कि प्रदेश में शैक्षणिक सत्र 2021-22 से चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पूर्ण रूप से लागू किया गया है । साथ ही, वर्तमान सत्र से एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम और अंतःविषय विकल्प भी शुरू किए गए हैं । तीन नए विश्वविद्यालयों—गुना में क्रांतिवीर तात्या टोपे, खरगोन में क्रांति सूर्य टंट्या भील, और सागर में रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है ।

प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस

मंत्री परमार ने बताया कि प्रदेश के प्रत्येक जिले में एक, कुल 55 महाविद्यालयों को 'प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस' के रूप में उन्नत किया गया है । इसके लिए ₹336 करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृत की गई है और 1845 नवीन पद सृजित किए गए हैं।

रोजगार और प्लेसमेंट, भारतीय ज्ञान परंपरा का संरक्षण

मंत्री परमार ने बताया कि स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन योजना के तहत 378 रोजगारोन्मुखी कार्यक्रमों के जरिए 16,000 से अधिक विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया गया है । अब तक 1,655 विद्यार्थियों का प्रत्यक्ष प्लेसमेंट सुनिश्चित हुआ है । इसके अलावा, आईआईटी दिल्ली के सहयोग से 68 कॉलेजों में एआई और फिनटेक जैसे आधुनिक पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। परमार ने बताया कि पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परंपरा को समाहित करने के लिए विशेष प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं ताकि विद्यार्थी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहें ।

डिजिटल नवाचार, छात्र कल्याण

मंत्री परमार ने बताया कि विभाग ने प्रवेश प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन और मोबाइल-फ्रेंडली बनाया है, जिससे पोर्टल शुल्क समाप्त होने पर विद्यार्थियों को ₹5 करोड़ का सीधा लाभ हुआ है । प्रदेश में 1047 स्मार्ट क्लासरूम, 200 वर्चुअल लैब और 544 ई-लाइब्रेरी विकसित की गई हैं।

वर्ष 2024-25 में 'गांव की बेटी योजना' से 1.34 लाख से अधिक और 'प्रतिभा किरण योजना' से 7,500 से अधिक छात्राएं लाभान्वित हुई हैं । अनुसूचित जाति/जनजाति के लगभग 3.91 लाख विद्यार्थियों को निशुल्क पुस्तकें और स्टेशनरी प्रदान की गई है ।

भर्ती प्रक्रिया एवं सकल नामांकन अनुपात

मंत्री परमार ने बताया कि उच्च शिक्षा विभाग में रिक्त पदों की पूर्ति के लिए लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्ष 2022 में 2053 पदों पर भर्ती की गई और वर्तमान में 2197 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। परमार ने कहा कि आने वाले समय में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को वर्तमान 28.9% से बढ़ाकर 35% तक ले जाने का लक्ष्य है । मध्यप्रदेश अब शिक्षा के क्षेत्र में केवल पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहकर अनुभव, अनुसंधान और व्यावहारिक ज्ञान के पथ पर अग्रसर है।

तकनीकी शिक्षा की प्रमुख विभागीय उपलब्धियां और नवाचार

तकनीकी शिक्षा मंत्री परमार ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव के मार्गदर्शन और कुशल नेतृत्व में मध्यप्रदेश का तकनीकी शिक्षा विभाग प्रदेश के युवाओं को 'आत्मनिर्भर' और 'वैश्विक प्रतिस्पर्धी' बनाने की दिशा में निरंतर अग्रसर है। विकास और सेवा के 2 वर्ष के अंतर्गत विभाग ने शिक्षा की गुणवत्ता, नवाचार और उद्योगोन्मुख पाठ्यक्रमों में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।

प्रवेश और नामांकन में बड़ी उछाल

मंत्री परमार ने बताया कि सत्र 2025-26 में विभाग द्वारा चलाए गए विशेष जागरूकता अभियानों के कारण शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालयों के सकल नामांकन में 21.38% की वृद्धि हुई है। वहीं, ऑनलाइन काउंसिलिंग के माध्यम से विभिन्न तकनीकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या में 25.99% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

छात्र कल्याण और वित्तीय सहायता

मंत्री परमार ने बताया कि प्रदेश के मेधावी छात्रों के भविष्य को सुरक्षित करने हेतु मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में 78,218 लाभार्थियों को ₹750 करोड़ की राशि वितरित की गई। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री जनकल्याण (शिक्षा प्रोत्साहन) योजना के तहत 14,447 विद्यार्थियों को ₹14.55 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।

शैक्षणिक नवाचार और राष्ट्रीय संस्थान

मंत्री परमार ने बताया कि मध्य प्रदेश के लिए यह गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU), गांधीनगर का परिसर अब भोपाल स्थित आरजीपीवी में स्थापित हो चुका है, जहां सत्र 2025-26 से प्रवेश भी प्रारंभ हो गए हैं। साथ ही, शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों के 50 मेधावी विद्यार्थियों को आईआईटी इंदौर और 50 छात्राओं को मैनिट भोपाल में अध्ययन की विशेष सुविधा प्रदान की गई है ।

भविष्य की कार्ययोजना और सुधार

मंत्री परमार ने बताया कि आगामी वर्षों में विभाग एआई, ड्रोन तकनीक जैसे नवीनतम पाठ्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित करेगा। प्रदेश के सभी शासकीय तकनीकी संस्थानों में एक समर्पित 'डिजिटल सेल' का गठन किया जाएगा और विद्यार्थियों की उपस्थिति 'सार्थक ऐप' के माध्यम से रियल-टाइम सुनिश्चित की जाएगी। इसके अलावा, सिंगरौली में ₹76.56 करोड़ की लागत से खनन प्रौद्योगिकी महाविद्यालय का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है। परमार ने कहा कि तकनीकी शिक्षा विभाग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन और कौशल विकास को प्राथमिकता देते हुए विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

आयुष विभाग की प्रमुख विभागीय उपलब्धियां और नवाचार

मंत्री परमार ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में आयुष विभाग निरंतर नई ऊंचाइयों को छू रहा है। विकास और सेवा के 2 वर्ष के अंतर्गत विभाग ने स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण और शिक्षा के विस्तार में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

शिक्षा का विस्तार, अधोसंरचना विकास

मंत्री परमार ने बताया कि प्रदेश में आयुष शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 8 नए आयुर्वेद महाविद्यालयों की स्थापना को स्वीकृति दी गई है। इनमें वर्ष 2024-25 में नर्मदापुरम, मुरैना, शहडोल, बालाघाट, सागर और वर्ष 2025-26 में झाबुआ, शुजालपुर एवं डिंडोरी शामिल हैं। इस विस्तार से प्रदेश में आयुष महाविद्यालयों की कुल संख्या 17 हो जाएगी।

परमार ने बताया कि पन्ना, गुना, भिण्ड, श्योपुर, शुजालपुर और खण्डवा में 50 बिस्तरीय आयुष चिकित्सालयों के भवन निर्माण की स्वीकृति दी गई है। इसके साथ ही, प्रदेश भर में 800 आयुष आरोग्य मंदिरों का सफल संचालन प्रारंभ किया गया है।

मानव संसाधन सुदृढ़ीकरण, जन स्वास्थ्य पहल

मंत्री परमार ने बताया कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से 543 आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारियों, 35 होम्योपैथी और 14 यूनानी चिकित्सा अधिकारियों सहित विशेषज्ञों के नियुक्ति आदेश जारी किए गए हैं। नवीन महाविद्यालयों और चिकित्सालयों के लिए लगभग 2700 से अधिक नए पदों का सृजन किया गया है।

मंत्री आयुष आपके द्वार' योजना के तहत 30 जिलों के जनजातीय क्षेत्रों में 25,993 सिकल सेल एनीमिया ग्रसित व्यक्तियों को घर-घर जाकर आयुर्वेद परामर्श और दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।

आगामी 3 वर्षों की कार्य-योजना

मंत्री परमार ने बताया कि उज्जैन में 'अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान' (एआईआईए) की स्थापना की जाएगी। प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों जैसे खजुराहो, उज्जैन और पचमढ़ी सहित 12 स्थानों पर आयुष हेल्थ एंड वेलनेस केंद्रों का निर्माण किया जाएगा। ई-हॉस्पिटल और ई-औषधि प्रणाली को चरणबद्ध तरीके से सभी आयुष संस्थाओं में लागू किया जाएगा ताकि दवाओं की आपूर्ति और मरीजों की रियल-टाइम मॉनिटरिंग सुनिश्चित हो सके।

मंत्री परमार ने कहा कि समस्त आयुष महाविद्यालयों की स्नातक क्षमता को 100 सीटों तक बढ़ाया जाएगा और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएंगे। परमार ने कहा कि हमारा सौभाग्य है कि भारत में आयुर्वेद और योग की समृद्ध प्राचीन परंपरा है। सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता जनसामान्य को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। आगामी तीन वर्षों में हमारा ध्यान अवसंरचना विकास, वेलनेस टूरिज्म और डिजिटल ई-गवर्नेस के माध्यम से आयुष सेवाओं के आधुनिकीकरण पर रहेगा।

हिन्दुस्थान समाचार / उम्मेद सिंह रावत