खंडवा : नकली पुलिस बनकर लूट करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह के दो सदस्य गिरफ्तार
भोपाल/खंडवा, 17 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के थाना पदमनगर पुलिस ने नकली पुलिस बनकर लूट की घटनाओं को अंजाम देने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो सदस्यों को गिरफ्तार करने में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। यह गिरोह मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी नकली पुलिस बनकर वारदातों को अंजाम देते थे।
पुलिस ने बुधवार काे बताया कि 12 नवंबर को फरियादी हसमतराय गुरवानी (65) निवासी कावेरी स्टेट, थाना पदमनगर ने रिपोर्ट दर्ज कराई कि दो अज्ञात बाइक सवार व्यक्तियों ने स्वयं को पुलिसकर्मी बताकर उनसे सोने की एक चेन एवं दो अंगूठियां यह कहकर उतरवा लीं कि पास में लूट की घटना हुई है। विरोध करने पर फरियादी पर हमला कर फरार हो गए।
इस संबंध में बीएनएस के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना प्रारंभ की गई।
पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय के निर्देशन में, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (शहर) महेन्द्र तारनेकर एवं सीएसपी खंडवा अभिनव कुमार बारंगे के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी निरीक्षक प्रवीण आर्य के नेतृत्व में विशेष टीम गठित की गई। टीम द्वारा शहर एवं आवागमन मार्गों पर लगे 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का विश्लेषण किया गया, जिससे तीन संदिग्धों की पहचान की गई।
15 दिसंबर को संदिग्धों के फुटेज अन्य जिलों में प्रसारित किए गए।
विश्वसनीय मुखबिर से सूचना प्राप्त हुई कि आरोपी नर्मदापुरम जिले के ईरानी गैंग से जुड़े हैं। इसके आधार पर पदमनगर पुलिस की टीम को नर्मदापुरम भेजा गया, जहाँ तकनीकी साक्ष्य एवं मुखबिरों की मदद से दो आरोपी गटरा उर्फ अप्पा हुसैन उर्फ अयान, पुत्र अफसर हुसैन, (25) निवासी वार्ड क्रमांक 32, ईदगाह मोहल्ला, थाना कोतवाली, जिला नर्मदापुरम तथा कासिम, पिता अफसर सैय्यद, (30) निवासी ईदगाह मोहल्ला, नर्मदापुरम, मूल निवासी साई बाबा मंदिर के पीछे, अंबीवली मंगलनगर, कल्याण, मुंबई (महाराष्ट्र) को गिरफ्तार किया गया।
पूछताछ में आरोपियों ने अपने साथी इकबाल हुसैन के साथ मिलकर उक्त वारदात को अंजाम देना स्वीकार किया तथा लूटा गया माल उन्होंने अपने साथी इकबाल हुसैन को देना बताया।
आरोपियों ने महाराष्ट्र के नागपुर, अमरावती एवं मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के शाहगंज क्षेत्र में भी इसी तरह की घटनाओं को अंजाम देना स्वीकार किया है।
आरोपियों द्वारा सुनियोजित तरीके से स्वयं को पुलिसकर्मी बताकर वारदात को अंजाम दिया जाता था। वे अकेले या उम्रदराज राहगीरों को रोककर किसी हालिया अपराध या चेकिंग का हवाला देते हुए विश्वास में लेते थे। इसके बाद सुरक्षा जांच के बहाने पीड़ित से सोने के आभूषण उतरवाकर कागज में रखने को कहते थे। जैसे ही आभूषण उनके हाथ में आते, आरोपी मोटरसाइकिल से तेजी से फरार हो जाते थे।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा