लाल आतंक के अंत से नये मध्य प्रदेश का उदयः विधायक गौरव सिंह पारधी

 


भोपाल, 17 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा में बुधवार को आयोजित विशेष सत्र के दौरान कटंगी से भारतीय जनता पार्टी के विधायक गौरव सिंह पारधी ने आंतरिक सुरक्षा और नक्सल उन्मूलन पर एक अत्यंत सारगर्भित और ओजस्वी वक्तव्य प्रस्तुत किया। अपने संबोधन में उन्होंने प्रदेश की धरती से नक्सलवाद के पूर्ण खात्मे और तकनीक से सुसज्जित 'नये मध्यप्रदेश' की तस्वीर सदन के पटल पर रखी।

मोदी की नीति और मोहन की रीत से मिली विजय

विधायक पारधी ने अपने उ‌द्बोधन का आरंभ 2014 के कठिन दौर को याद करते हुए किया, जब देश के 126 जिले नक्सलवाद की चपेट में थे और बाहरी ताकतें आंतरिक सुरक्षा को चुनौती दे रही थीं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2015 में एक निर्णायक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की। 2016 की नोटबंदी, डिजिटलाइ‌जेशन और नक्सलवाद को पोषित करने वाले एनजीओ (NGO) की आर्थिक कमर तोड़ने जैसे साहसिक फैसलों ने इस समस्या पर कड़ा प्रहार किया।

विधायक पारधी ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने नक्सलवाद के उन्मूलन का जो 'महा-संकल्प' लिया था, वह अब सिद्ध हो चुका है। उन्होंने सदन को स्मरण कराया कि मई 2025 में मुख्यमंत्री ने स्वयं बालाघाट आकर 64 वीर पुलिसकर्मियों को 'आउट ऑफ टर्न' प्रमोशन देकर सम्मानित किया था। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दद्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर मंडला, डिंडोरी और बालाघाट में चलाए गए अभियानों ने नक्सलवाद की जड़ों को उखाड़ फेंका है।

मध्य प्रदेश की धरती अब 'नक्सल मुक्त'

सदन में गर्व के साथ घोषणा करते हुए पारधी ने कहा कि आज मध्य प्रदेश की पावन धरा पर एक भी नक्सली शेष नहीं है। उन्होंने बताया कि पुलिस और सुरक्षाबलों के निरंतर दबाव के कारण एमएमसी (मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़) जोन में सक्रिय अनेक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। नक्सलवाद से इस संघर्ष में इंस्पेक्टर आशीष शर्मा जैसे जांबाजों की शहादत को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि यह शांति उनके बलिदान का ही प्रतिफल है।

पारधी ने स्पष्ट किया कि मध्य प्रदेश ने पहले डकैतों की समस्या को समाप्त किया और अब जंगलों से नक्सलवाद का सफाया किया है। भविष्य की चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि अब हमारी तैयारी 'साइबर सुरक्षा' की है। तकनीक, संकल्प और एक नई तस्वीर के साथ, यही वह 'नया मध्यप्रदेश' है, जिसके निर्माण के लिए मोहन सरकार कटिबद्ध है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर