भावांतर योजना में कृषकों को सरसों और मूंगफली का भी लाभ दिया जाएगाः मंत्री सारंग

 


- मौसम आधारित बीमा योजना शीघ्र होगी लागू, किसानों को उर्वरक की होम डिलेवरी का भी प्रयासः सहकारिता मंत्री

भोपाल, 17 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश विधानसभा के बुधवार को आयोजित विशेष सत्र में प्रदेश को विकसित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राज्य बनाने के लिए हुई चर्चा के दौरान सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने कहा कि राज्य सरकार भावांतर योजना में कृषकों को सरसों और मूंगफली का लाभ भी देने की कार्य-योजना बना रही है। प्रदेश में मौसम आधारित बीमा योजना शीघ्र ही प्रारंभ की जायेगी। किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिये होम डिलेवरी सेवा भी शुरू करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्य प्रदेश सरकार विकसित राष्ट्र @2047 बनाने में पूरी तरह प्रयासरत है। सभी के प्रयासों से वर्ष 2047 की तस्वीर और तकदीर उन्नत होगी।

मंत्री सारंग ने कहा कि आजादी से पहले भारतीय कृषि अत्यंत पिछड़ी, निम्न उत्पादकता वाली और मानसून पर निर्भर थी। उस समय 85 प्रतिशत आबादी कृषि पर ही निर्भर थी। आजादी के बाद भी भारत की कृषि स्थिति पिछड़ी और वर्षा पर निर्भर थी। बाद में हरित क्रांति 1960 से उच्च उपज वाले बीज, उर्वरक और सिंचाई के उपयोग से खा‌द्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई, जिससे देश खाद्य सुरक्षा के करीब पहुंचा। हरित क्रांति के जनक डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन ने भारत को खा‌द्यान्न आत्मनिर्भर बनाया। श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन व त्रिभुवनदास पटेल (काका पटेल) सहकारिता से दुग्ध क्रांति लाए। नीली क्रांति के जनक डॉ. हिरालाल चैधरी एवं डॉ. अरुण कृष्णन ने मत्स्य उत्पादन को नई दिशा दी।

उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने तीनों क्रांतियों को सिंक्रोनाइज करने का काम किया है। इससे कृषि क्षेत्र का रकबा, जो वर्ष 2002-03 में 199 लाख हैक्टेयर था, वह वर्ष 2024-25 में 297 लाख हैक्टेयर हो गया है। उ‌द्यानिकी फसलों का रकबा वर्ष 2002-03 में 4.67 लाख हैक्टेयर था, जो कि वर्ष 2024-25 में 26.36 लाख हैक्टेयर हो गया है। उन्होंने कहा कि देश का एकमात्र राज्य जहां भावान्तर योजना लागू है, में प्रशासनिक व्यय कम कर 1600 करोड़ रुपये बचाए गए।

मंत्री सारंग ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, मुख्यमंत्री कृषि उन्नति योजना, रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना, ई-विकास (वितरण एवं कृषि उर्वरक आपूर्ति समाधान), परंपरागत कृषि विकास योजना (पी.के.व्ही.वाय.), नेशनल मिशन ऑन नेचुरल फार्मिंग (NMNF) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित एवं बढ़ावा देने हेतु योजना संचालित है। किसानों का भी जैविक खेती के प्रति रुझान बढ़ा है।

राष्ट्रीय स्तर पर मध्य प्रदेश उत्पादन में अग्रिम पंक्ति मेंसारंग ने कहा कि गेहूं क्षेत्रफल में राष्ट्रीय स्तर पर द्वितीय स्थान, मक्का क्षेत्रफल में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान, चना उत्पादन में द्वितीय स्थान, उड़द उत्पादन में ‌द्वितीय स्थान, मसूर क्षेत्रफल में राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान पर रहा है। उन्होंने कहा कि ई-मंडी प्रांगण की सम्पूर्ण प्रक्रिया का डिजिटाइज़ेशन किया गया है। कृषि अवसंरचना निधि योजना क्रियान्वयन में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर रहा है। सभी 298 उपमंडियों में भी मंडी आरम्भ की गई हैं।

उन्होंने कहा कि नमो ड्रोन दीदी योजनांतर्गत आगामी वर्ष में 1066 किसान ड्रोन, महिला स्व-सहायता समूह को प्रदान कर उन्हे स्वावलंबन बनाया जायेगा। नरवाई प्रबंधन अंतर्गत सीबीजी प्लांट के साथ पराली को वैकल्पिक ऊर्जा स्त्रोत के रूप में व्यवसायिक मॉडल विकसित किया जा रहा है। वर्ष 2026 को कृषि वर्ष मनाये जाने का निर्णय लिया गया है।

मंत्री सारंग ने सहकारी क्षेत्र का सु‌द्धीकरण, कृषि आदान की व्यवस्था, बीज व्यवस्था, सहकारी बैंकों का सुद्धीकरण का जिक्र करते हुए कहा कि 15 कमजोर जिला बैंकों में से 6 बैंकों को शासन द्वारा 300 करोड राशि उपलब्ध कराई गयी। उन्होंने कहा कि सहकारिता विभाग में भर्ती प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ की गयी है। एम पैक्स का 100 प्रतिशत कम्प्यूटराइजेशन किया जा रहा है। सीपीपीपी मॉडल के जरिये सहकारिता में निजी भागीदारी सुनिश्चित की गयी है।

सारंग ने कहा कि गोपालन से कृषकों की आय और गोसंवर्धन पर सरकार काम कर रही है। दुग्ध समृ‌द्धि अभियान के जरिये दुग्ध उत्पादन को दोगुना किया जा रहा है। पशुपालन को लाभ का धंधा बनाने तथा रोजगार के नये अवसर सृजित करने की दिशा में ठोस कदम उठाये जा रहे है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के दुग्ध उत्पादकों के हित में एवं सहकारी प्रणाली और सांची ब्राण्ड को उत्तयन करने के उ‌द्देश्य से एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड तथा संबद्ध दुग्ध संघर्षो के संचालन एवं प्रबंधन के लिए मध्यप्रदेश शासन, एम.पी. स्टेट को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन लिमिटेड एवं संबद्ध दुग्ध संघों तथा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) के मध्य होने वाले सहकार्यता अनुबंध (कोलेबोरेशन एग्रीमेंट) पर सहमति दी गई तथा अनुबंध निष्पादित करने का निर्णय लिया गया। गौ रक्षा केवल संवेदना नहीं, सशक्तिकरण का साधन बननी चाहिए। यह नीति उसी सोच का सशक्त प्रतिबिंब है। इस हेतु मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) विधेयक, 2024 का अनुमोदन किया गया जिसके तहत प्रदेश में गौवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 (संशोधित 2010) को और अधिक कठोर करते हुए मध्यप्रदेश गौवंश वध प्रतिषेध (संशोधन) अधिनियम 2024 में गौवंश के अवैध परिवहन में प्रयुक्त वाहन को राजसात करने का प्रावधान किया गया। उन्होंने कहा कि मत्स्यपालन को उन्नत करने की दिशा में भी लगातार कार्य चल रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर