जबलपुर: बिना धर्म बदले शादी अवैध, हाईकोर्ट ने खारिज की हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की याचिका

 


जबलपुर, 30 मई (हि.स.)। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने गुरुवार को हिंदू युवती और मुस्लिम युवक द्वारा लगाई गई विवाह की अनुमति की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह विवाह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नहीं है। क्योंकि शादी के बाद होने वाले बच्चों को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलेगा, इसके साथ ही शादी की अनुमति देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने यह कहते हुए आवेदन खारिज किया कि मुस्लिम युवक और हिंदू युवती आपस में शादी कर सकते हैं, बशर्ते उन्हें धर्म बदलना होगा। यानी बिना धर्म बदले शादी अवैध होगी।

इसके पहले युवक-युवती ने 25 अप्रैल 2024 को अनूपपुर कलेक्टर ऑफिस में आवेदन दिया था। इसमें पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए शादी की अनुमति मांगी गई गई थी। कलेक्टर ने सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था, साथ ही विवाह की मंजूरी भी नहीं दी थी। गुरुवार को इस मामले में उच्च न्यायालय में जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट ने उक्त आदेश दिया।

हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश कुमार उपाध्याय ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट में दलील दी गई कि भारतीय कानून में विशेष विवाह अधिनियम में इस तरह का विवाह संभव है। वकील ने कोर्ट को बताया कि कपल को पुलिस सुरक्षा दी जानी चाहिए, ताकि वे विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी को रजिस्टर्ड करा सकें। वहीं, सरकारी वकील केएस बघेल ने तर्क दिया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में इसकी इजाजत नहीं है कि कोई मुस्लिम लड़का किसी मूर्ति पूजक हिंदू लड़की से विवाह कर सके। जब तक युवती अपना धर्म छोड़कर मुस्लिम धर्म नहीं अपनाती, तब तक विवाह मुस्लिम विवाह अधिनियम के तहत रजिस्टर नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने कहा कि ऐसे में वह स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन करवाने की मांग पर दखल नहीं देगा। सुनवाई के अंत में कोर्ट ने कहा कि युवक-युवती लिव इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं, लेकिन धर्म बदले बिना शादी मुस्लिम पर्सनल लॉ के खिलाफ है, इसलिए ऐसी शादी को वैध नहीं माना जा सकता।

हिन्दुस्थान समाचार/विलोक पाठक

/मुकेश