भगवान शिव ने मानव जीवन के कल्याण के लिए पिया था विषः पंडित राघव मिश्रा

 




- कुबेरेश्वधाम में शिव महापुराण कथा का श्रवण करने आ रहे देशभर से श्रद्धालु, पंडित राघव मिश्रा बने आकर्षण का केन्द्र

सीहोर, 3 मई (हि.स.)। सृष्टि को रचने वाले शिव भगवान हैं, जिन्होंने मानव जीवन के कल्याण के लिए विष तक ग्रहण किया था। समुंद्र मंथन के दौरान दानवों ने शिव को गुमराह करके अमृत की जगह विष पिला दिया था, परंतु शिव भगवान की महिमा चमत्कारी थी तथा उन्होंने विष का पता होते हुए भी समाज कल्याण दानवों का विनाश करने के लिए जहर पी लिया था। भगवान शिव की अराधना करना आसान है। भगवान शिव जरा सी भक्ति पर ही खुश होकर वरदान दे देते हैं, बस जरूरत है सच्ची भक्ति की।

यह बात जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में जारी संगीतमय पांच दिवसीय शिव महापुराण के चौथे दिन शुक्रवार को प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सुपुत्र कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कही। कथा के चौथे दिन भगवान गणेश का जन्मोत्सव आस्थावान श्रद्धालुओं ने धूमधाम से मनाया, विवाहोत्सव में भक्त झूम उठे, पूरा पांडाल गणपति बप्पा मोरिया के जयघोष से गूंज उठा।

कथा व्यास पंडित राघव मिश्रा ने कहा कि समुद्र मंथन में जब अमृत और विष निकले तो यह प्रश्न उठा कि विष का क्या करें, तब विष को भगवान शिव के पास भेजा गया। इस पर माता पार्वती क्रोधित हुई तो भगवान ने कहा कि जो अमृत पीता है वो देव कहलाता है, जबकि जो विष पीता है, वो महादेव कहलाता है, इसलिए मैं विषपान करूंगा। इस पर माता पार्वती धर्मपत्नी का कर्तव्य निभाते हुए शिव के कंठ में जाकर बैठी और विष को अपने हाथों में झेल लिया, इसीलिए भगवान नीलकंठ कहलाए।

उन्होंने कहा कि जीवन में जिसने भगवान शिव को साध लिया, उस पर सभी-देवी-देवताओं की कृपा और-आशीर्वाद बरसता है। जब-जब भी धरा या देवलोक में कोई भी संकट आया, भूत भावन शंकर भगवान ही तारणहार बने और सबका उद्धार किया। इसलिए भगवान शिव को देवों का देव कहा जाता है। भगवान के जो भी अवतार हुए है, सभी में सर्वकल्याण का भाव है, इसीलिए शिव आराधना से जीवन को सार्थक बनाया जा सकता है।

उपासना के ऐसे ही सरल उपायों का किया वर्ण

उन्होंने कहा कि नारी में धैर्य, शीतलता धारण करने की प्रबलता शिव की पूजा और उपासना से मिलती है। जिस कुंवारी कन्या ने अपने जीवन में शिव की उपासना की, उसे सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। भगवान की कथा को सुनने के बाद उस वृतांत को दूसरों को सुनाने से कथा का दो गुना फल प्राप्त होता है। शिव दुखों का नाश करने वाले देवता है। पं. मिश्रा ने उपासना के ऐसे ही सरल उपायों को कथा में बताया जिनका पालन करने से हम अपने अनेक कष्ट दूर कर सकते हैं।

कथा के समापन पर दिया जाएगा स्वच्छता का संदेश

विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि कुबेरेश्वरधाम पर जारी पांच दिवसीसय शिव महापुराण का समापन शनिवार की शाम को किया जाएगा। कथा दोपहर एक बजे से आयोजित की जा रही है। समापन के अवसर पर पंडित राघव मिश्रा के द्वारा कथा का श्रवण करने आने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छता का संदेश देकर संकल्प दिलाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश / उमेद