पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य से किया जाएगा समृद्ध: मंत्री परमार
भोपाल, 10 जून (हि.स.)। उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा मंत्री इन्दर सिंह परमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में पुस्तकालयों को भारतीय ज्ञान परम्परा की पुस्तकों से समृद्ध किया जाएगा। मंत्री परमार सोमवार को मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग की भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक में भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भों में आगामी कार्ययोजना पर विस्तृत चर्चा की गई।
मंत्री परमार ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में पाठ्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसरण में भारतीय ज्ञान परम्परा के समावेश के लिए विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्यशालाओं का आयोजन कर विषयविदों की सारगर्भित निष्कर्षगामी सार्थक सहभागिता सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप एवं भारतीय ज्ञान परम्परा से जुड़े साहित्य को प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में उपलब्ध किया जाना सुनिश्चित करें। परमार ने आगामी कार्यशालाओं में शीर्ष समिति के सदस्यों को जुड़कर सार्थक सहभागिता करने को भी कहा।
उन्होंने कहा कि कार्यशालाओं में विषयविद पूर्णरूपेण उपस्थित रहें ताकि पुस्तक लेखन के लिए समयपूर्वक साहित्य सामग्री संकलन हो सके। प्रदेश के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित ऑनलाइन प्रश्नमंच जैसी प्रतियोगिता आयोजित की जाएं।
परमार ने कहा कि भारतीय समाज में स्थापित मान्यता एवं परम्परा वैज्ञानिक दृष्टिकोण केंद्रित एवं जीवनोपयोगी है। भारतीय समाज का चिंतन एवं दृष्टिकोण तकनीक आधारित रहा है। हमारी परंपराओं एवं मान्यताओं में संरक्षण का भाव है, जिन्हें युगानुकुल पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है।
ज्ञातव्य है कि प्रदेश के 27 विश्वविद्यालयों में 20 जून से 31 जुलाई तक भारतीय ज्ञान परम्परा के विविध संदर्भों में कार्यशालाओं का आयोजन होगा। प्रदेश के 10 संभागों के महाविद्यालयों और राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा में अगस्त एवं सितंबर माह में कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा।
बैठक में उच्च शिक्षा आयुक्त निशांत वरबड़े, भारतीय ज्ञान परम्परा शीर्ष समिति के उपाध्यक्ष अतुल कोठारी, हिन्दी ग्रंथ अकादमी के निदेशक तथा समिति सदस्य अशोक कड़ेल एवं महर्षि बाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय कैथल (हरियाणा) के कुलपति रमेशचंद्र भारद्वाज सहित समिति के सदस्य विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलगुरु उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश