मप्रः तकनीकी शब्दावली और भारतीय भाषाओं में शिक्षण’’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

 


भोपाल, 4 अक्टूबर (हि.स.)। भारत सरकार के उच्चतर शिक्षा विभाग अंतर्गत वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली नई दिल्ली एवं अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल के संयुक्त तत्वाधान में भोपाल के पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षण संस्थान स्थित सभागार में ‘‘तकनीकी शब्दावली और भारतीय भाषाओं में शिक्षण’’ विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी का शुक्रवार को शुभारंभ हुआ।

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि भोपाल स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक प्रो. गोवर्धन दास ने कहा कि अधिकतर जनरल अंग्रेजी में है, परंतु भारतीय शिक्षण पद्धति बहुत पुरानी है। हम अपनी भाषाओं में शिक्षा देकर अपनी भाषा का विकास कर सकते हैं। नालंदा जैसे विश्वविद्यालय हमारे देश में थे। हमारी संस्कृति, सभ्यता व ज्ञान को नुकसान पहुंचाया गया है, परंतु भारत पुनः विश्वगुरु बनने की राह पर है।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि प्रो. गिरीश नाथ झा ने कहा कि शिक्षा में वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली का व्यवहार होना चाहिए तथा मानक शब्दावली का उपयोग करना चाहिए। अपनी भाषा में ज्ञान प्राप्त करना आसान है तथा आयोग के कार्यों आदि के संबंध में विस्तृत जानकारी प्रस्तुत की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. खेमसिंह डहेरिया ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि चिकित्सा एवं अभियांत्रिकी की शिक्षा, हिंदी भाषा में प्रारंभ हो चुकी है तथा इसके अनुवाद को सरल करने की आवश्यकता है। श्री डहेरिया ने कहा कि सभी को हिंदी भाषा को बढ़ाने का प्रयास करना होना। श्री डहेरिया ने कहा कि राष्ट्र के विकास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अहम योगदान है। भारत का ज्ञान पूर्व से प्रेरणा स्त्रोत रहा है। हिंदी को शिक्षा और रोजगार की भाषा बनाने के प्रयास जारी है। श्री डहेरिया ने कहा कि विश्वविद्यालय के माध्यम से हिंदी भाषा में अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। भाषा के शिक्षण में सुधार किये जाने की आवश्यकता है।

देहरादून स्थित उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग पूर्व अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र चमोला ने मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी विज्ञान लेखन में तकनीकी शब्दावली के अनुप्रयोग पर कहा कि भाषा प्रयोगधर्मी है, इसके प्रयोग करने पड़ेंगे। शब्द कठिन या सरल नहीं होते बल्कि परिचित या अपरिचित होते हैं।

इस अवसर पर प्राध्यापक प्रो. नीलाभ तिवारी, प्रो. राजेश गर्ग एवं कुलसचिव शैलेन्द्र कुमार जैन सहित वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के विभिन्न पदाधिकारी व विश्वविद्यालय के अधिकारी, सहायक प्राध्यापक, अतिथि विद्वान, कर्मचारी एवं छात्र/छात्राएं उपस्थित थे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर