अपने भीतर के बचपन को सदैव जिंदा रखोगे तो जीवन होगा आनंदमयः कलेक्टर

 


- शिक्षा महाविद्यालय में अचानक पहुंचे कलेक्टर, अध्ययनरत शिक्षकों से किया संवाद

ग्वालियर, 18 जनवरी (हि.स.)। अपने भीतर के बचपन को सदैव जिंदा रखोगे तो निश्चय ही जीवन आनंदमय होगा। साथ ही इच्छाओं के भ्रम जाल में मत फंसो, क्योंकि इच्छाएँ अनंत होती हैं। आज के दिन को ही सबसे महत्वपूर्ण दिन मानकर और किसी काम को छोटा या बड़ा न समझकर अच्छे से काम को पूरा करने वाले लोगों को आनंद की अनुभूति होती है।

यह विचार कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह ने बीएड एवं एमएड की पढ़ाई कर रहे शिक्षकों से संवाद के दौरान व्यक्त किए। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि शैक्षणिक कार्य के प्रति आप सब गर्व का अनुभव करें। शिक्षादान से बड़ा कोई कार्य नहीं हो सकता।

कलेक्टर सिंह गुरुवार को अचानक शासकीय शिक्षा महाविद्यालय पहुँचे और महाविद्यालय के प्राचार्य को परिचय देते हुए कहा कि मैं ग्वालियर कलेक्टर हूँ। कलेक्टर को अचानक अपने सामने पाकर महाविद्यालय के प्राचार्य भी आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह सके। यहाँ अध्ययनरत शिक्षकों से अपने अनुभवों और जीवन जीने की कला को साझा करने आया हूँ। कलेक्टर सिंह शिक्षा महाविद्यालय की विभिन्न कक्षाओं में पहुँचे और इसके बाद एक हॉल में बैठकर शिक्षकों से जीवन जीने की कला पर विस्तृत संवाद किया।

इस अवसर पर कलेक्टर सिंह ने शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि यदि आप शैक्षणिक कार्य को स्वाभिमान के भाव के साथ करेंगे तो स्वयं तो आनंद की अनुभूति करेंगे ही, साथ ही युवा पीढ़ी को अच्छे संस्कार देकर उन्हें राष्ट्र निर्माण के लिए तैयार कर पायेंगे। उन्होंने विख्यात शायर जनाब निदा फाज़ली के एक अशआर “कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं जमीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता” का जिक्र करते हुए कहा कि इच्छाओं का अनंत आकाश है। इसलिए इच्छाओं को परे रखकर जो जिम्मेदारी मिली है उसी को मन लगाकर और आनंद के साथ अंजाम तक पहुँचाएँ।

संवाद के दौरान शिक्षा महाविद्यालय के प्राचार्य आदर्श कुमार पण्डित एवं एसबी ओझा सहित महाविद्यालय के अन्य आचार्यगण और बीएड – एमएड की पढ़ाई कर रहे लगभग 300 शिक्षकगण मौजूद थे।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश