रतलाम: दरकार है रतलाम को लाल बत्ती की
रतलाम, 5 दिसंबर (हि.स.)। जनमानस में पहले चर्चा थी कि हमारा विधायक कौन होगा और किस पार्टी की प्रदेश में सरकार बनेगी यह तो फैसला हो चुका है। अब चर्चा है कि हमारे जिले से लाल बत्ती किसको मिलेगी और कौन मंत्री बनेगा? चर्चाओं का यह दौर काफी तेजी से चल रहा है। जिले की चार विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी विजयी हुई है और इसी की सरकार प्रदेश में बहुमत से बनी है। इसलिए अपेक्षा है कि इस बार तो जिले से कोई मंत्री बनेगा ही ?
जावरा के विधायक डा.राजेन्द्र पाण्डेय चौथी बार, रतलाम विधायक चैतन्य काश्यप तीसरी बार और आलोट के विधायक प्रो.चिंतामणि मालवीय जो पहले इसी क्षेत्र से सांसद रह चुके है इस बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और अच्छे मतों से विजयी हुए है। यह तीनों ही राज्यमंत्री मंडल के सदस्य बनने के योग्य है।
मुख्यमंत्री पर भी दारोमदार है
प्रदेश में मुख्यमंत्री कौन बनता है इस पर भी मंत्रीपद का दारोमदार निर्भर है। चर्चा में सबसे अधिक लोकप्रिय वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान है जो मोदीजी के नेतृत्व में प्रदेश में विकास की कई गाथा लिखी। अनेक योजनाएं प्रभावशील की, जिनमें लाड़ली लक्ष्मी योजनाएं भी काफी प्रसिद्ध हुई और कुछ हद तक भाजपा को मिला बहुमत इसी योजना का परिणाम भी बताया जा रहा है। शिवराजजी ही ऐसे मुख्यमंत्री है जो प्रदेश में सर्वाधिक लोकप्रिय है और जो पद पर रहते हुए घंटों काम करते है। लोग आश्चर्य करते है कि इस व्यक्ति में कितनी ऊर्जा है जो लगातार जनता से संपर्क करने में, योजना बनाने में, उसे क्रियान्वित कराने में अग्रणी रहता है।
डा. पाण्डेय और काश्यप प्रबल दावेदार
जहां तक रतलाम जिले का सवाल है राजेन्द्र पाण्डेय , चेतन्य काश्यप यह दोनों ही ऐसे नेता है जो मंत्री मंडल में अपना दावा रखते है। पिछली बार भी इन दोनों के ही नाम चले, लेकिन दोनों ही मंत्री नहीं बन पाए, लेकिन इस बार तो दोनों को ही मंत्री बनाया जाना चाहिए, क्योंकि अन्य जिलों में भी एक ही जिले से दो-दो मंत्री बनाए गए है।
2013 के बाद कोई मंत्री नहीं बना
एक लम्बे अरसे से रतलाम जिले से किसी को मंत्री नहीं बनाया है। सुश्री उमा भारती के मंत्री मंडल में विधायक धुलजी चौधरी को राज्यमंत्री बनाया गया था, फिर बाबुलाल गौर के मंत्री मंडल में जिन मंत्री को हटाया गया था उनमें चौधरीजी भी थे। शिवराज सरकार में रतलाम के विधायक रहे हिम्मत कोठारी कई विभागों के मंत्री रहे और आलोट के विधायक रहे स्व. मनोहर ऊंटवाल भी राज्य मंत्री रहे । इसके बाद 2013 से जिले में कोई भी मंत्री पद हासिल करने में सफल नहीं हो पाया है।
मुख्यमंत्री भी रहे और मंत्री भी रहे जिले से
रतलाम का सौभाग्य है कि जावरा के डा. कैलाशनाथ काटजू मुख्यमंत्री रह चुके है। बाद में डा. लक्ष्मीनारायण पाण्डे ने उन्हें विधानसभा चुनाव में पराजित किया था। जावरा के ही महेन्द्रसिंह कालुखेड़ा, भारतसिंह,सैलाना के प्रभुदयाल गेहलोत, रतलाम ग्रामीण के मोतीलाल दवे मंत्री रह चुके है। इसके पूर्व डा. देवीसिंह भी स्वास्थ्य और जेल मंत्री रहे। कहने का आशय है कि रतलाम बहुत कम समय मंत्री विहिन रहा है,लेकिन 2013 के बाद हुए दो विधानसभा चुनाव में कोई मंत्री नहीं बन पाया, जबकि 2013 में जिले में पांचों विधानसभा पर भाजपा का कब्जा था और 2018 में तीन सीटे भाजपा ने जीती थी। लेकिन कोई मंत्री नहीं बन पाया।
खिंचतान में कोई मंत्री नहीं बन पाया
लोगों का कहना है कि जिले के विधायकों में एकजूटता नहीं होने के कारण भी मंत्री पद से जिला वंचित रहा। इस बार सबका सौच है कि कम से कम दो मंत्री जिले के होना चाहिए, ताकि रतलाम के विकास को लगी दीमक को हटाया जा सके।
बंद उद्योगों की जमीनों पर कब्जा
जावरा शुगरमील के बाद कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ। वहीं रतलाम में कई उद्योग थे जो बंद पड़े है। कोई नया उद्योग यहां स्थापित नहीं हो रहा है जिसके कारण बैरोजगारों की लम्बी फोज है। यदि शासन चाहता तो और जनप्रतिनिधि दबाव बनाते तो रतलाम के बंद उद्योगों को चालू किया जा सकता था। बंद उद्योगों की कई जमीनों पर वर्तमान उद्योगों ने येेन-केन प्रकारेण कब्जा कर लिया। अल्कोहल प्लांट की जमीन का क्या होगा यह भविष्य की गर्त में है। सज्जनमील और जेवीएल की जमीन बेच दी गई और कई मामले न्यायालय में चल रहे है।
अधुरे निर्माण खण्डर में परिवर्तित
सुभाषनगर, सागोद रेल पुलिया का काम कछुए की चाल से चल रहा है। चांदनीचौक का मार्केट अधुरा है जो पैशाब घर के रुप में काम आ रहा है। राजीव गांधी सिविक सेंटर में कई मकान बने हुए है जो खण्डर में परिवर्तित हो रहे है। नए उद्योगों का सपना जरूर दिखाया जा रहा है लेकिन पता नहीं यह कब स्थापित होंगे जब आज की युवा पीढ़ी बुजुर्ग हो जाएगी।
जनता की पहुंच से दूर बन रहे है कार्यालय
रतलाम का कलेक्टर कार्यालय, आरटीओ कार्यालय, मेडीकल कालेज इतनी दूर बन गया है कि जो आम आदमी की पहुंच से बाहर है। आने-जाने की सस्ती सुविधा न होने से आम आदमी परेशान है। अब चर्चा है न्यायालय भवन भी बाहर चला जाएगा। कई विद्यालय, महाविद्यालय भी शहर से दूर है। विद्यार्थी कैसे पहुंचते है यह उनसे ही पूछा जा सकता है। नगर का विस्तार जरूरी है, लेकिन ऐसा विस्तार भी कोई काम का नहीं जो आम आदमी के लिए कष्टप्रद हो।
जमीनों की बंदरबाट
10 से 15 साल गुजर गए लेकिन समितियां नहीं बन पाई। धार्मिक न्यास की जमीनों और संपत्तियों पर अतिक्रमण हो रहा है। लेकिन इस पर भी कोई ध्यान नहीं । जिसके मन में जो आया वह कर रहा है, ग्रीन बेल्ट की जमीन भी बिना प्लानिंग के फ्री कर दी गई। खेती की जमीन पर भी कालोनियां और प्लाट कट रहे है। नजूल की जमीनों पर भी लोगों का कब्जा है। राजमहल का अधिग्रहण होना चाहिए। राजमहल की संपत्ति पर भी लोगों का कब्जा है वह भी अभी तक हट नहीं पा रहा है। कई सलाहकार समितियां खाली पड़ी है जिन पर अफसरों का राज है।
नई सरकार से आस
ऐसी अनेक समस्याएं है जो जनदबाव में जनप्रतिनिधि के मंत्री होते हुए पूरी हो सकती है। नई सरकार पदारोहण हो रही है। सरकार को चाहिए कि वह अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को कार्य करने का मौका दे। सत्ता का विक्रेन्द्रीकरण करें और ऐसे लोगों को प्रशासन की निगरानी के लिए तैनात करें जो पार्टी की छवि बनाते हुए जनता जनार्दन की निष्ठा और ईमानदारी से सेवा कर सके।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी