रीवाः ऐतिहासिक अजब कुंवारी बावड़ी का किया जा रहा जीर्णोद्धार

 


रीवा, 08 जून (हि.स.)। प्राचीन काल में कुंए और बावड़ी पेयजल के प्रमुख स्रोत थे। बावड़ी में संचित पानी के पास तक जाने के लिए सीढि़यों की सुविधा रहती है। इसमें मानव के अलावा अन्य जीव भी सहजता से पानी तक पहुंच जाते हैं। शहरीकरण और सीमेंटीकरण ने पुराने जल स्रोतों को लगभग भुला दिया है। नल और बोतल का पानी पीने वालों के लिए बावड़ी और कुएं केवल कल्पनाओं में हैं। आज भी हजारों बावड़ी ऐसी हैं जो जीव-जंतुओं और मानवों की पानी की आवश्यकता पूरी कर रही हैं।

रीवा शहर में भी कई ऐतिहासिक बावड़ी मौजूद हैं। तत्कालीन बांधवेश नरेशों द्वारा आमजनता के लिए इनका निर्माण कराया गया था। ऐसी ही अजब कुंवारी बावड़ी गुढ़ चौराहे के समीप बीएनपी स्कूल पीछे स्थित है। यह लगभग 350 वर्ष पुरानी है। जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत नगर निगम द्वारा जन भागीदारी से इसका जीर्णोद्धार किया जा रहा है। कलेक्टर प्रतिभा पाल तथा नगर निगम आयुक्त संस्कृति जैन ने शनिवार को इस कार्य का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने कहा कि बावड़ी की साफ-सफाई कराकर इसमें जल संरक्षण और संवर्धन की उचित व्यवस्था करें।

कलेक्टर ने कहा कि आयुक्त नगर निगम बावड़ी के चारों ओर साफ-सफाई करा दें। बावड़ी के ऊपर सुंदर निर्माण कार्य किया गया है। इसमें जहाँ टूट-फूट हो गई है वहाँ सुधार करा दें। आयुक्त नगर निगम ने बावड़ी के सुधार के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी। बावड़ी के जीर्णोद्धार और साफ-सफाई का कार्य लगातार जारी है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, सामाजिक संस्था रियेक्ट तथा शासकीय कन्या महाविद्यालय की छात्राओं ने बावड़ी की साफ-सफाई में सहयोग दिया। नगर निगम के अध्यक्ष श्री व्यंकटेश पाण्डेय तथा पार्षदगण, रियेक्ट संस्था के डॉ मुकेश येंगल, सामाजिक कार्यकर्ता अंजुम बेनजीर, डॉ स्वाती शुक्ला, प्राचार्य कन्या महाविद्यालय डॉ विभा श्रीवास्तव तथा क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण मण्डल एसडी बाल्मीकि ने भी बावड़ी की साफ-सफाई में श्रमदान किया।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश