राजगढ़ः भारत हिन्दू राष्ट्र था, है और रहेगा-कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा

 


राजगढ़,31 दिसम्बर (हि.स.)। श्रीरामलला प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की वर्षगांठ के अवसर पर जिले के छापीहेड़ा नगर में बुधवार को विराट हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में मुख्य रुप से सुप्रसिद्ध कथावाचक पं.प्रदीप मिश्रा ने ओजस्वी संबोधन दिया। विशाल जनसमूह के बीच धर्म, संस्कृति, समरसता और राष्ट्र चेतना का सशक्त संदेश दिया गया।

कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत हिन्दू राष्ट्र था, है और रहेगा। उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति किसी से भेद नही करती, बल्कि सबको जोड़ने वाली जीवन पद्वति है। वृक्ष, नदी, मंदिर और शमशान सभी के लिए समान है, यही सनातन की मूल भावना है। कथावाचक पं. मिश्रा ने पंच परिवर्तन को जीवन में अपनाने का आव्हान करते हुए कहा कि प्रत्येक परिवार को 15 दिन में एक बार पूरे परिवार के साथ बैठकर भोजन करना चाहिए, आपसी प्रेम और संवाद बढ़ाना चाहिए तथा जाति- पात और उंच-नीच का भेद मिटाकर समरस समाज का निर्माण करना चाहिए। उन्होंने सप्ताह में एक दिन सामूहिक रुप से एकत्र होने और प्रतिदिन मंदिर दर्शन की परंपरा को अपनाने पर बल दिया।

कार्यक्रम में साध्वी रंजना दीदी ने कहा कि हिन्दू ही सनातन संस्कृति का मूल आधार है। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज को जातिगत भेदभाव से उपर उठकर एकजुट होना होगा। जहां हिन्दू समाज कमजोर हुआ है, वहां उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। देश तभी आगे बढ़ेगा जब समाज कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ चलेगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध ने संघ की संघर्षमय 100 वर्षों की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि अनके बाधाओं और चुनौतियों के बावजूद संघ निरंतर समाज परिवर्तन और राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगा हुआ है। संघ आज समाज की सज्जन शक्ति को साथ लेकर राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति हेतु कार्य कर रहा है।

सम्मेलन स्थल पर पंच परिवर्तन, सेवा भारती तथा महापुरुषों के चित्रों की भव्य प्रदर्शनी लगाई गई। सम्मेलन में प्रवेश करने वाले प्रत्येक श्रद्वालु ने पंचकुंडी यज्ञ में समिधा अर्पित कर समरस यज्ञ में सहभागिता की। हजारों महिलाओं के साथ निकाली गई शोभायात्रा ने पूरे नगर को धर्ममय वातावरण से भर दिया। हिन्दू सम्मेलन की तैयारी को लेकर पिछले 15 दिनों से नगर में अखंड रामायण पाठ, सुंदरकांड, शोभायात्राएं, स्वच्छता अभियान और धार्मिक कथाओं का आयोजन किया गया, जिससे नगर में आस्था और सामाजिक चेतना का वातावरण बना। संत, संघ पदाधिकारियों और कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा के संदेशों ने समाज में एकता, समरसता और सनातन जागरण का संकल्प मजबूत किया।

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हिन्दुस्थान समाचार / मनोज पाठक