ग्वालियर: सुबह बूंदाबांदी तो शाम को हुई रिमझिम बारिश, ठंड बढ़ी

 




- मंगलवार की सुबह पड़ सकता है मध्यम से घना कोहरा

ग्वालियर, 27 नवंबर (हि.स.)। पिछले दो दिन से घुमड़ रहे बेमौसम बादल सोमवार को बरस गए। शहर में सुबह बूंदाबादी हुई तो शाम को बादल रिमझिम बरसे। इससे मौमस में ठंडक घुल गई है। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भी बारिश हुई है। कृषि विज्ञानी इस बारिश को रबी मौसम की फसलों के लिए वरदान बता रहे हैं।

ग्वालियर में बीते रविवार सुबह से ही बादल घुमड़ रहे हैं। इसके चलते सोमवार को सुबह सात बजे के आसपास हल्की बारिश हो गई। इसके बाद दोपहर में हल्की धूप भी निकली। शाम होने से पहले ही फिर से बादलों का घनत्व बढ़ गया और लगभग पांच बजे से रिमझिम बारिश शुरू हो गई जो लगभग सवा छह बजे तक जारी रही। इसके बाद देर शाम तक छुटपुट बूंदाबांदी होती रही। इस दौरान शाम साढ़े पांच बजे तक शहर में 1.2 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

मौसम विभाग के अनुसार इस समय पाकिस्तान के मध्य भाग में पिश्चमी विक्षोभ सक्रिय है। इसके अलावा पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, उत्तरी मध्य प्रदेश में अलग-अलग तीन चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र बने हुए हैं। इन मौसम प्रणालियों के प्रभाव से बंगाल खाड़ी से हवाओं के साथ आ रही नमी की वजह से बारिश हो रही है। इन मौसम प्रणालियों का प्रभाव मंगलवार सुबह तक बना रहने की संभावना है। इस दौरान भी ग्वालियर-चंबल संभाग में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है लेकिन तेज बारिश की संभावना कम है।

मौसम विभाग ने मंगलवार को सुबह मध्यम से घना कोहरा पडऩे की संभावना भी जताई है। मौसम के जानकार बता रहे हैं कि बुधवार तक मौसम साफ हो जाएगा। इसके बाद न्यूनतम तापमान मेंं गिरावट होगी। स्थानीय मौसम विज्ञान केन्द्र के अनुसार पिछले दिन की तुलना में सोमवार को अधिकतम तापमान 0.8 डिग्री सेल्सियस वृद्धि के साथ 27.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो औसत से 0.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है। न्यूनतम तापमान भी 2.4 डिग्री सेल्सियस वृद्धि के साथ 13.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आज सुबह हवा में नमी 91 और शाम को 57 प्रतिशत दर्ज की गई।

रबी फसलों को होगा फायदा :

कृषि विज्ञान केन्द्र ग्वालियर के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. राजसिंह कुशवाह ने बताया कि हालांकि अभी ज्यादा बारिश नहीं हुई है लेकिन आज रात में और बारिश तो हुई यह रबी मौसम की सभी फसलों के लिए एक तरह से वरदान साबित होगी। उन्होंने बताया कि इस बारिश से असिंचित कृषि क्षेत्रों में सरसों, चना, मसूर आदि फसलों की बोवनी में मदद मिलेगी जबकि सिंचित क्षेत्रों में जहां सरसों, चना, मसूर की बोवनी हो चुकी है उनको भी फायदा होगा। धान कटाई के बाद खाली पड़े खेतों में इस बारिश से प्राकृतिक रूप से पलेवा हो गया है। जिससे बिना पलेवा किए किसान गेहूं की बोवनी कर सकेंगे। इससे पलेवा में खर्च होने वाले पानी, बिजली, डीजल आदि की बचत होगी। इसके अलावा सब्जी की फसलों के लिए यह बारिश अमृत वर्षा के समान है।

हिन्दुस्थान समाचार/शरद/मयंक