गुना बस हादसे में जिंदा जल गए थे 13 लोग, डीएनए से हुई 11 मृतकों की पहचान
- पुलिस ने परिजनों को गठरियों में सौंपे मृतकों के अवशेष
गुना, 1 जनवरी (हि.स.)। मध्यप्रदेश के गुना जिले में गत 27 दिसंबर को हुए भीषण हादसे में 13 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई थी। इनमें से 11 शवों की पहचान डीएनए जांच के आधार पर गई। पुलिस ने मृतकों की पहचान होने के बाद सोमवार को उनके शव परिजनों को सौंप दिए हैं। मृतकों के शव और अवशेष परिजन को सफेद गठिरयों में सौंपे गए।
गौरतलब है कि गत 27 दिसंबर की रात गुना जिले में एक डंपर की टक्कर के बाद यात्रियों से भरी बस में भीषण आग लग गई थी। इनमें से कई यात्रियों ने बस की खिड़कियों के कांच तोड़कर अपनी जान बचाई, लेकिन 13 लोगों की जिंदा जलने से मौत हो गई थी, जबकि 16 लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। हादसा इतना विभत्स था कि शव पूरी तरह से जल गए थे। बस से शवों को उठाने में कई शवों के अंग गिर रहे थे। बस के अंदर से जो निकाले गए थे, उनमें से कई शव ऐसे थे जो एक दूसरे से चिपके हुए थे। शव ऐसे जले कि घरवाले तक नहीं पहचान पाए थे।
हालांकि, दो मृतकों की पहचान पुलिस ने पहले ही करके उनके शव परिजनों को सौंप दिए थे। इनमें से मृत मनोहर लाल शर्मा की पहचान उनके परिजनों ने बस की सीट पर मिली जॉकेट के टुकड़ों से की थी। वहीं मृत डंपर चालक वीरेन्द्र सिंह की शिनाख्त हो गई थी। शेष 11 मृतकों की पहचान डीएनए जांच के आधार पर की गई। ग्वालियर एफएसएल में डीएनए जांच की गई। बस हादसे के पांच दिन बाद पुलिस ने 11 मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपे। नए साल के मौके पर जैसे ही परिजनों को शव सौंपे गए, चीख-पुकार मच गई। जिन लोगों ने अपने परिवार के सदस्य को खो दिया, उनके घरों में अभी भी मातम पसरा हुआ है।
प्रभारी पुलिस अधीक्षक मान सिंह ठाकुर ने बताया कि पांच डॉक्टरों की टीम ने दो दिनों में सभी 11 शवों की जांच कर ली थी और रविवार को ही गुना प्रशासन को सभी की डीएनए रिपोर्ट दे दी थी। सभी 11 डीएनए मैच होने के बाद सोमवार को परिजनों को पुलिस ने फोन करके शव ले जाने के लिए बुलाया था। सभी परिजनों को पुलिस की मौजूदगी में शव सौंप दिए गए।
प्रभारी एसपी ठाकुर ने बताया कि अनफिट और बगैर परमिट की सड़क पर दौडऩे वाली इस बस के मालिक भानू प्रताप सिंह सिकरवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश/नेहा