मध्यप्रदेश : गंजबासौदा से रायसेन तक मासूमों पर दरिंदगी बढ़ी, फिर बनी बच्‍ची शिकार

 


भोपाल, 5 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ अपराधों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला विदिशा जिले के गंजबासौदा क्षेत्र के एक गांव से सामने आया है, जहां एक नाबालिग बच्ची के साथ छेड़छाड़ की घटना ने पूरे इलाके का माहौल तनावपूर्ण बना दिया है। आरोपि‍त युवक जोहिब खान पर बच्ची से छेड़छाड़ करने का आरोप है। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस गांव पहुंची और नाबालिग पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपि‍त के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।

इसके बाद स्थिति तब और बिगड़ गई जब आरोपित ने अपने साथी शालिक के साथ मिलकर उसी गांव के एक अन्य व्यक्ति के साथ मारपीट भी की। पुलिस ने इस दूसरी घटना को भी गंभीरता से लेते हुए दोनों के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज किया है। दोनों आरोपि‍त वरदात के बाद फरार हो गए थे, जिसके बाद पुलिस उनकी तलाश में लगातार दबिश देती रही, जिस पर अपराधी पुलिस गिरफ्त में आ गया।

गंज बासौदा ग्राम पचमा में नाबालिक युवती के साथ छेड़छाड़ करने वाले जोहेब खान पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 78(1) व 11/12 पास्को एक्ट के तहत अपराध पंजीबद्ध हुआ है। देहात थाना पुलिस पूरे मामले में जांच में जुटी हुई है। गांव में तनाव को देखते हुए आसपास के थानों से अतिरिक्त पुलिस बल बुला लिया गया है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो और माहौल नियंत्रित रहे।

दरअसल उक्‍त गंजबासौदा की यह घटना प्रदेश में हाल ही में हुई कई घटनाओं की कड़ी में एक और दर्दनाक प्रकरण है। कुछ दिन पहले ही रायसेन में एक छह साल की मासूम बच्ची के साथ दिल दहला देने वाली वारदात हुई थी। गोहरगंज थाना क्षेत्र में मासूम को टॉफी दिलाने के बहाने एक 23 वर्षीय युवक जंगल में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बच्ची लहूलुहान हालत में पाई गई। इस घटना ने पूरे प्रदेश में रोष पैदा कर दिया था।

रायसेन घटना के बाद आम जनता का गुस्सा इतना बढ़ गया कि लोग सड़क पर उतर आए और नेशनल हाईवे तक जाम कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाए कि आखिर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद क्यों हो रहे हैं और बच्चियों की सुरक्षा क्यों चौपट है। आरोपि‍त को पकड़ने में पुलिस को कई दिन लग गए। जब आरोपी सलमान को गिरफ्तार कर पुलिस रायसेन ले जा रही थी, तो उसने पुलिस की पिस्टल छीनकर भागने की कोशिश की, जिसके बाद जवाबी कार्रवाई में उसे गोली मारकर काबू किया गया।

उल्‍लेखनीय है कि ये दोनों घटनाएं प्रदेश में बाल सुरक्षा और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। प्रदेश के कई जिलों, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, नाबालिगों के खिलाफ अपराधों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। चिंता की बात यह भी है कि कई मामलों में आरोपी गांव के ही लोग होते हैं, जिन्हें पहचानने या उन पर विश्वास करने के कारण बच्चे और महिलाएं अपने आप को अधिक असुरक्षित पाती हैं। वहीं, इन घटनाओं ने यह भी उजागर किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कानून व्यवस्था की चुनौतियाँ अधिक गहरी हैं। पुलिसबल की कमी, सीमित संसाधन, और कई बार सामाजिक दबाव इन सबके बीच पीड़ित परिवार न्याय पाने के लिए संघर्ष करता है। यही वजह है कि समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना लगातार कमजोर होती जा रही है।

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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी