मप्रः अब किसान ग्रीष्म कालीन में करेंगे सोयाबीन की खेती, नई किस्‍म के बीज वितरित

 


इंदौर, 23 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इंदौर द्वारा मंगलवार को “राष्ट्रीय किसान दिवस एवं सोया कृषक मेला” का आयोजन हुआ, जिसमे मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान संस्थान के 150 कर्मचारियों तथा 300 कृषकों ने भाग लिया। इस अवसर पर कृषक संगोष्ठी भी आयोजित हुई जिसमे कृषकों ने अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए अपने विचार व्यक्त किये।

इस परिचर्चा में सोयाबीन में पीला मोज़ेक वायरस बीमारी का प्रकोप प्रमुख समस्या पाई गयी। सफेद मख्खी के नियंत्रण के बारें में संस्थान के वैज्ञानिक डॉ लोकेश कुमार मीना ने बताया कि इस रोग के प्रारंभिक लक्षण दीखते ही कीट सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पुर्वमिश्रित थायोमिथोक्सम+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन का छिडकाव करने से इसका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता हैं। इसी परिपेक्ष में संस्थान के रोग विशेषज्ञ डॉ संजीव कुमार ने अनुशंसित फफूंदनाशक के साथ साथ कीटनाशक से भी बीजोपचार करने की सलाह दी।

इस वर्ष संस्थान के सोयाबीन बीजोत्पादन कार्यक्रम के अंतर्गत अधिकाधिक सोयाबीन उत्पादन प्राप्त करने वाले मध्य प्रदेश के चार सोया कृषक दशरथ शंकरलाल सोनगरा (रतनखेड़ी, जिला-इंदौर), मुकेश बलदेव राठौर एवं सोहन सिंह पटेल, (बेटमा खुर्द, जिला-इंदौर), धर्मेन्द्र सिंह सोलंकी (बारखेड़ा, जिला-उज्जैन) तथा महाराष्ट्र के अमरावती जिले से नरेन्द्र काशिराव शिंगणे और राजस्थान के झालावाड जिले से मुकेश पाटीदार, को सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसन्धान संस्थान के निदेशक डॉ के.एच.सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री, भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी की जन्म तिथि के अवसर पर विगत वर्ष आयोजित “राष्ट्रीय किसान दिवस” के दोरान विगत वर्ष NRC- 150, JS 22-12 एवं JS 23-03 जैसी सोया किस्मो का बीज उपलब्ध किया गया था जिसकी बहुत अच्छी प्रतिक्रिया मिली। इसी परिपेक्ष में इस वर्ष भी इन्ही किस्मों को 5-5 किलो की पैकिंग में कुल 853 थैलिया वितरित की गयी हैं।

उन्होंने कहा की इस बीज को ग्रीष्म कालीन जनवरी-फ़रवरी माह में बोवनी कर अप्रैल तक 10 गुना बीज बढाया जा सकता हे जिसे खरीफ के दौरान वृह्द स्तर पर बोवनी हेतु उपयोग किया जायेगा।

इस अवसर पर कृषि मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली द्वारा संबोधन दिया गया। उन्होंने अपने संबोधन की शुरुआत “अन्न ही ब्रह्म हैं” वाक्य से की तथा खाद्यान्न के साथ-साथ दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि नई योजना “विकसित भारत जी राम जी” में अब कृषकों को खेती में उपयोगी बुआई-कटाई जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में श्रमिकों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगी।

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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा