मंदसौर: श्री आर्यरक्षित सूरि जैन तीर्थ धाम प्रतिष्ठा महोत्सव में हुआ प्रभु पार्श्वनाथजी के राज्याभिषेक का मंचन

 


मंदसौर 13 दिसम्बर (हि.स.)। चन्द्रपुरा मेन रोड़ पर स्थित नवनिर्मित श्री आर्यरक्षित सूरि जैन तीर्थ धाम पर 9 से 16 दिसम्बर तक 8 दिवसीय भव्यातिभव्य अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन हो रहा है। आचार्य श्री अशोकसागरसूरिश्वरजी म.सा. जो कि इस तीर्थ स्थल के प्रेरक हैं उनकी एवं अन्य 4 विद्वान जैन आचार्यों की पावन निश्रा में 8 दिवसीय प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हो रहा है। इस महामहोत्सव के अंतर्गत बुधवार को पार्श्वनाथ जी के राज्याभिषेक का मंचन किया गया।

महोत्सव के अंतर्गत दिनांक 15 दिसम्बर शनिवार को 55 फीट की ऊंचाई वाले सर्पराज शोभित नवनिर्मित जिनालय में श्री उवसग्गहरं पार्श्वनाथ की मनमोहक प्रतिमाजी व प.पू. युग प्रधन आचार्य श्री आर्यरक्षित सूरिराज की भव्य गुरूमूर्ति व अन्य देव देवी प्रतिमाओं की प्रतिष्ठा होने जा रही ही है। इसके अंतर्गत प्रतिदिन श्री आर्यरक्षित सूरि जैन तीर्थ धाम ट्रस्ट के तत्वावधान में विविध धार्मिक कार्यक्रम एवं अनुष्ठान हो रहे हैं। इस महामहोत्सव के पंचम दिवस बुधवार को प्रभु पार्श्वनाथजी के जन्म के उपरांत प्रियवंदादासी द्वारा जन्म वधावणी, प्रभुजी का नामकरण, उनका पाठशाला गमन एवं राज्य अभिषेक का कार्यक्रम हुआ। तीर्थ स्थल पर बनाये गये विशाल पाण्डाल में प्रभु पार्श्वनाथ के जन्म के समय के उपरांत हुए सभी घटनाक्रमों का वृतान्त का मंचन किया गया। लगभग 3 हजार वर्ष पूर्व वाराणसी नगर में जो वैभव राजा अश्वसेन के दरबार में था और वामादेवी के राजमहल में जो संवाद राजा रानी व दास रानी के मध्य होता था उसका पूरा मंचन बुधवार को आचार्य श्री अशोकसागरसूरिश्वरजी म.सा. की पावन उपस्थिति में किया गया।

इस अवसर पर तीर्थ के मार्गदर्शक आचार्य श्री सोम्यचन्द्रजी म.सा., आचार्य श्री प्रसन्नचन्द्रसागरजी म.सा. व मुनिराज श्री धैर्यचन्द्रसागरजी म.सा. भी पाठ पर विराजित थे। कार्यक्रम में धर्मालुजनों व जन्म बधामणी के पश्चात् नृत्य भी किया गया। बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं के सामने प्रातः 10 से दोपहर 1 बजे तक प्रभु पार्श्वनाथजी के जन्म से लेकर उनके राज्याभिषेक तक के वृतान्त का मंचन किया गया ।

हिन्दुस्थान समाचार/अशोक झलौया

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