मप्र में बाल आयोग ने पकड़ा धर्मांतरण का खेल, चिल्ड्रन होम्स के जरिए बनाए जा रहे थे ईसाई

 


भोपाल, 5 जनवरी (हि.स.)। राजधानी भोपाल में चाइल्ड हेल्प लाइन में काम करने वाले लोग ईसाई धर्मांतरण करवाते पाए गए। इनके निशाने पर अधिकांश वे हिन्दू बच्चे होते थे जो इन्हें कहीं भटकते या दुरावस्था में मिलते थे। इन बच्चों को बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने प्रस्तुत न कर इन्हें ईसाई मिशनरी से जुड़ी संस्थाओं में रखवा देते थे। जानकारी में आया है कि भोपाल में यह तब से चल रहा है जब से जेजे एक्ट (किशोर न्याय, बच्चों की देखभाल और संरक्षण अधिनियम) अस्तित्व में आया।

इस पूरे मामले को इस तरह अंजाम दिया जा रहा था कि लोगों की नजरों से बचा रहे और अबोध बच्चों को ईसाई बनाया जाना जारी रहे। भोपाल में गुरुवार देर रात तब हड़कंप मच गया जब 'आंचल चिल्ड्रन होम्स' में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एससीपीसीआर) की टीमें अचानक पहुंच गई और वहां का हाल देखकर दोनों टीमें हैरान थीं। छापामारी में इस एनजीओ के पास से सभी चाइल्ड लाइन संबंधी दस्तावेज़ मिले हैं। साथ ही आंचल चिल्ड्रन होम्स के अधीक्षक (जो चाइल्ड लाइन के डारेक्टर भी थे) तथा इनके साथी निशा तिरकी, नमिता एवं अन्य पाए गए, जो धर्मांतरण के खेल में लगे थे। यह जरूरतमंद बच्चों की रेकी कर इन्हें ईसाई मिशनरी से जड़ी संस्था में भर्ती कराकर उनके मतान्तरण का काम कर रहे थे।

आयोग के छापे में पाया गया कि संस्था का जेजे एक्ट में रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ था। यहां कार्यरत कर्मचारियों में से किसी का भी पुलिस वेरिफिकेशन नहीं पाया गया। इसके साथ अन्य अनियमितताएं पाई गई।

जब देर रात गुरुवार को परवलिया सड़क थाने में थाना प्रभारी द्वारा राष्ट्रीय बाल आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो, राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष द्रविन्द्र मोरे और आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा एवं ओंकार सिंह, भोपाल जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी रामगोपाल यादव के थाने में संस्थान के खिलाफ जब एफआरआई दर्ज नहीं की जा रही थी, तब एनसीपीसीआर अध्यक्ष कानूनगो ने ट्वीट कर जानकारी सार्वजनिक की कि कैसे मध्य प्रदेश पुलिस भी आरोपितों का समर्थन करती दिख रही है।

उन्होंने ट्वीट के जरिए बताया कि राष्ट्रीय और राज्य आयोग ने संयुक्त रूप से भोपाल में एक अवैध ईसाई अनाथालय पर छापा मारा, वहां अनाथ बच्चों सहित 40 से अधिक आदिवासी बच्चियों को रखा गया पाया गया, जिन्हें चर्च ईसाई धर्म में परिवर्तित कर रहा है। लेकिन सभी के साथ 3 घंटे से परवलिया सड़क थाने पर बैठे होने के बाद भी पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही।

इसके बारे में डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि जिस ईसाई मिशनरी संस्था 'आंचल चिल्ड्रन होम्स' में जाना हुआ वहां तीन-तीन साल से रह रहे बच्चों को जो कि अब छह साल एवं इससे अधिक की उम्र के हैं, को देखकर लगा कि कैसे उनके साथ अमानवीय व्यवहार यहां किया जा रहा है। बच्चियां रह रही हैं, लेकिन उसकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था आयोग को नजर नहीं आई।

जेजे एक्ट के प्रभावी होने तथा भोपाल में जब से चाइल्ड लाइन आई है, तभी से ये आंचल चिल्ड्रन होम्स की मदर एनजीओ संजीवनी रेलवे चाइल्ड लाइन का संचालन कर रही है। इसी के वर्कर आउटरिच के दौरान ऐसे जरूरतमंद परिवारों में अपनी पहुंच बनाते हैं, जिन्हें आर्थिक सहयोग की जरूरत है और ये बिना सीडब्ल्यूसी के सामने बच्चों को प्रस्तुत किए इस आंचल चिल्ड्रन होम्स में रखवा देते थे। संस्था में जो बच्चे पाए गए अधिकांश हिन्दू एवं मुसलमान हैं लेकिन उनके लिए कोई पूजास्थल नहीं, सभी से ईशू की ईसाई प्रार्थना ही कराई जाती हुई यहां पाई गई। बच्चों को ताबोर वॉइस जैसे ईसाई मत की पत्रिकाएं पढ़ाई जा रही थीं।

इस संबंध में राज्य आयोग सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि मौके पर चाइल्ड लाइन फाण्डेशन के डारेक्टर, कॉआडिनेटर एवं अन्य कर्मचारी पाए गए। इससे साफ है कि यह संस्था सीधे तौर पर ईसाई धर्मांतरण करा रही है। इस पर पूर्व में भी इसी प्रकार से देशभर में आरोप लगते रहे हैं। इसकी जांच केंद्र एवं राज्य सरकार अवश्य अपने स्तर पर कराएं, ये चाइल्ड लाइन फाउण्डेशन एवं केंद्रीय सरकार के मध्य अनुबंध का उल्लंघन भी है। अन्य स्थानों की चाइल्ड हेल्प लाइन की जांच कर सत्यता सामने आना चाहिए। फिलहाल केंद्र एवं राज्य बाल आयोग के प्रयासों से संस्थान के प्रमुख के खिलाफ महिला बाल विकास जिला अधिकारी द्वारा एफआईआर दर्ज करा दी गई है। अब बच्चों के बयान लेने एवं उनके पुनर्वास का कार्य जारी है।

हिन्दुस्थान समाचार/ मयंक/मयंक/संजीव