एक बीघा से एक लाख कमाने वाले किसानों को सम्मानित किया जाएगा- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव
- उर्वरक की आसान उपलब्धता, अद्यतन तकनीक और हाइटेक मंडियों पर सरकार का फोकस
भोपाल, 5 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश में कृषक हितों को सर्वोपरि मानते हुए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग की विस्तृत समीक्षा बैठक ली। बैठक में उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि जिस प्रकार “लखपति दीदी” योजना ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त किया है, उसी तरह ‘लखपति बीघा’ का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ा जाए। उन्होंने कहा कि एक बीघा भूमि से एक लाख रुपए की आय हासिल करने वाले किसानों को विशेष रूप से सम्मानित किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को बिचौलियों से मुक्त कर सीधे बाजार से जोड़ना जरूरी है ताकि उन्हें अपनी उपज का वास्तविक मूल्य मिल सके। इसके लिए व्यवस्थाएं मजबूत की जाएंगी। साथ ही उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए ग्राम स्तर पर विशेष कार्यक्रम चलाए जाएंगे। हर संभाग की नर्सरी को आदर्श मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा और नरवाई प्रबंधन के लिए तीन वर्ष की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। उन्होंने उर्वरक की सुगम उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए तकनीक आधारित नई कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए।
बैठक में किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना, पशुपालन एवं डेयरी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, मुख्य सचिव अनुराग जैन सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। किसानों के हित में किए गए दो वर्षों के नवाचार और आगामी तीन वर्ष की कार्ययोजना का विस्तृत प्रस्तुतिकरण भी किया गया।
कृषि क्षेत्र में प्रदेश की नई ऊँचाइयाँ
बैठक में दी गई जानकारी के अनुसार, दाल, तिलहन और मक्का उत्पादन में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है। खाद्यान्न, अनाज और गेहूँ उत्पादन में प्रदेश देश में दूसरे स्थान पर है। उर्वरक वितरण में वर्ष 2024-25 में 38.10 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 21.41 लाख मीट्रिक टन डीएपी+एनपी के वितरित किए गए। वर्ष 2025-26 में 29.77 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 30 नवंबर तक 19.42 लाख मीट्रिक टन डीएपी+एनपी किसानों तक पहुँचा दिए गए।
फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2023-24 में 1 करोड़ 77 लाख किसानों को 961.68 करोड़ रुपए का दावा भुगतान। वर्ष 2024-25 में 1 करोड़ 79 लाख किसानों को 1275.86 करोड़ रुपए का भुगतान हुआ। वहीं, मुख्यमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत वर्ष 2023-24 में 4,687 करोड़ रुपए, वर्ष 2024-25 में 4,849 करोड़ रुपए, वर्ष 2025-26 में 3,374 करोड़ रुपए की सहायता राशि किसानों को दी गई।
डिजिटल कृषि-ई-मंडी और एमपी फार्म गेट ऐप से किसानों को फायदा
प्रदेश की सभी 259 मंडियों में ई-मंडी प्रणाली लागू हो चुकी है, जिसके लिए राज्य को स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड मिला है। मंडी बोर्ड द्वारा विकसित एमपी फार्म गेट ऐप के माध्यम से किसान अपने घर, खेत या गोदाम से ही उपज बेच पा रहे हैं। इस नवाचार को स्कॉच सिल्वर अवॉर्ड प्राप्त हुआ। पराली प्रबंधन में वर्ष 2023-24 में 1312, वर्ष 2024-25 में 1757, वर्ष 2025-26 में 2479 नरवाई कृषि यंत्र वितरित किए गए। ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के लिए भोपाल और इंदौर में ड्रोन पायलट स्कूल भी शुरू हुए हैं। उर्वरक वितरण के लिए ई-विकास पोर्टल का पायलट प्रोजेक्ट विदिशा, शाजापुर और जबलपुर में सफलतापूर्वक लागू किया गया है और इसे पूरे प्रदेश में विस्तार देने की योजना है।
आगामी तीन वर्ष की विस्तृत कार्ययोजना
सरकार ने किसानों को तकनीक, बाजार और वैज्ञानिक पद्धतियों से जोड़ने के लिए महत्वकांक्षी लक्ष्य तय किए हैं, जैविक/प्राकृतिक हाट बाजार के तहत राज्य की सभी 363 नगरीय निकायों में साप्ताहिक प्राकृतिक और जैविक बाजार स्थापित किए जाएंगे। दबाव सिंचाई (माइक्रो इरिगेशन) में वर्ष 2025-26 : 25,000 हेक्टेयर, वर्ष 2026-27 : 1 लाख हेक्टेयर, वर्ष 2027-28 : 2 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नरवाई प्रबंधन के तहत 2027-28 तक पराली जलाने की घटनाओं में 80% कमी लाने का लक्ष्य भी तय हुआ है।
इसके साथ ही आगामी दो वर्षों में सभी मंडियों को हाईटेक बनाया जाएगा। कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देते हुए “प्रयोगशाला से खेत तक” की दूरी कम करने पर जोर दिया जाएगा। प्रदेश को इन फसलों में पूर्ण आत्मनिर्भर बनाने के लिए क्षेत्र विस्तार की बड़ी कार्ययोजना तैयार की गई है।
उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण में नए कदम
समीक्षा में हाईटेक नर्सरी, सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और किसानों–उद्यमियों की क्षमता संवर्धन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की प्रगति भी प्रस्तुत की गई। उद्यानिकी फसलों का क्षेत्र बढ़ाने और प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देकर किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में बड़े लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने स्पष्ट कहा कि सरकार का लक्ष्य किसानों को केवल आत्मनिर्भर बनाना नहीं, बल्कि उन्हें “लखपति किसान” बनाना है। उर्वरक आपूर्ति से लेकर तकनीकी खेती, डिजिटल मंडियों से लेकर प्रसंस्करण उद्योग तक प्रदेश कृषि क्रांति के नए दौर में प्रवेश कर रहा है। सरकार ने आश्वस्त किया है कि किसान ही विकास की धुरी हैं और उनके हित सर्वोच्च प्राथमिकता पर रहेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / डॉ. मयंक चतुर्वेदी