जबलपुर : पहले ही ऑर्डर हो जाती थी किताबें स्कूलों की लिस्ट आती थी बाद में
जबलपुर, 10 जुलाई (हि.स.)। फर्जी कॉपी किताबें और अवैध फीस वसूली को लेकर नई-नई बातें सामने आ रही हैं। जिनमें पुस्तक विक्रेता 2 महीने पूर्व ही किताबों का आर्डर कर देते थे परंतु स्कूल की लिस्ट बाद में जारी होती थी। इसके साथ ही स्कूलों द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से अपनी फीस में वृद्धि की जाती रही है। कलेक्टर द्वारा की गई निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान मामला अदालत में पहुंचा है इसके साथ ही धीरे-धीरे परत दर परत खुलासे होते जा रहे हैं। पुस्तक विक्रेताओं प्रकाशकों द्वारा जो पुस्तकों के ऑर्डर एवं बिल अदालत में जमा कराए गए हैं इनमें प्रत्येक बिल में 125 किताबें मंगाई जाने का उल्लेख है। इस 125 के आंकड़े पर न्यायालय ने सवाल पूछा है कि आखिर 125 किताबें ही क्यों मंगाई जाती है। तब इसके बाद शासकीय अधिवक्ता ने एक तथ्य और रखा की स्कूल संचालकों द्वारा किताबों की जो सूची जारी की जाती है उसके दो माह पूर्व ही पुस्तक विक्रेता इन पुस्तकों का ऑर्डर दे देते थे। उनके द्वारा ऐसा किया जाने से स्कूलों के साथ स्पष्ट मिली भगत नजर आती है। सबसे अहम बात यह है की पुस्तक विक्रेता द्वारा 125 किताबों के ऑर्डर तो न्यायालय को बताए गए परंतु दो माह पूर्व किए जाने वाले ऑर्डर पर अदालत में स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए।
स्कूल संचालकों के अधिवक्ता द्वारा यह कहा जा रहा है कि जिस बड़ी हुई फीस को अवैध वसूली बताया गया है इसकी बाकायदा अभिभावकों को रसीद दी जाती थी इसके जवाब में शासन ने यह बताया गया की मध्य प्रदेश निजी विद्यालय अधिनियम 2017 के अंतर्गत यह नियम स्पष्ट है कि कोई भी स्कूल जब उसका सालाना खर्च मुनाफे का 90% से अधिक हो तब वह फीस में वृद्धि कर सकता है। और इतना ही नहीं यदि स्कूल 10% तक की फीस वृद्धि भी करता है तो उसके लिए जिला समिति को आवेदन देना होता है। इस समिति के अध्यक्ष जिला कलेक्टर होते हैं इसके बाद यदि 10% से अधिक फीस वृद्धि करना हो तो यह आवेदन राज्य समिति के पास भेजा जाता है एवं 15% से अधिक वृद्धि करना हो तो यह इस आवेदन में केंद्र समिति से अनुमति लेना आवश्यक हो जाता है। इस अनुमति के साथ की गई फीस वृद्धि की जानकारी राज्य शासन के पोर्टल से लेकर स्कूल को अपने सूचना पटल तक में दर्शाना होती है। परंतु आरोपी स्कूल संचालकों ने ऐसा कुछ नहीं किया। तथ्यों को छुपा कर फीस बढ़ाई गई है इसके साथ ही शासकीय अधिवक्ता के अनुसार अभिभावकों से की गई फीस वसूली नियम विरुद्ध है और वह अवैध वसूली के दायरे में आती है।
हिन्दुस्थान समाचार / विलोक पाठक / राजू विश्वकर्मा