भोपालः कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई जिला टास्क फोर्स बैठक
- पल्स पोलियो, सांस अभियान और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम को लेकर हुई चर्चा
भोपाल, 5 दिसंबर (हि.स.)। पल्स पोलियो अभियान, सांस अभियान सोशल अवेयरनेस एंड एक्शन टू न्यूट्रलाइज निमोनिया सक्सेसफुली और राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के लिए जिला टास्क फोर्स बैठक का आयोजन मंगलवार को कलेक्टर आशीष सिंह की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में 10 दिसंबर को आयोजित किए जाने वाले पल्स पोलियो अभियान के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया गया। बाल्यकालीन निमोनिया के लिए आयोजित किए जा रहे सांस अभियान और जलवायु परिवर्तन के बारे में भी बैठक में विस्तार से चर्चा की गई।
बैठक में बताया गया कि भारत वर्ष 2011 से पोलियो मुक्त है। मध्यप्रदेश में 2008 के बाद से पोलियो का कोई केस नहीं आया है। भोपाल जिले में 2003 के बाद से कोई भी नया केस नहीं पाया गया है। पड़ोसी देशों में टाइप वन वाइल्ड पोलियो वायरस अभी भी एक्टिव है। इसलिए हर अभियान के दौरान पोलियों की दवा का पिलाना जरूरी है। अभियान के तहत भोपाल के तीन लाख से अधिक बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जाएगी। टास्क फोर्स बैठक में अंतर विभागीय समन्वय, मानव संसाधन की उपलब्धता एवं जनजागरूकता के लिए कार्ययोजना पर चर्चा की गई।
कलेक्टर द्वारा स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग, नगर निगम, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग, नर्सिंग कॉलेज एवं गैर सरकारी संगठनों के समन्वय से कार्य किए जाने के लिए निर्देशित किया गया। कलेक्टर ने जिला शिक्षा अधिकारी को बच्चों की स्कूल डायरी में पोलियो की तारीख को अंकित करवाए जाने के निर्देश दिए। नगर निगम के वाहनों से पल्स पोलियो जागरूकता के जिंगल प्रसारित किए जाने हेतु निर्देशित किया गया।
कलेक्टर द्वारा एसडीएम की अध्यक्षता में ब्लॉक टास्क फोर्स बैठक आयोजित करने और अभियान के दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ पोलियो बूथ एवं घर घर भ्रमण किए जाने पर निर्देश दिए गए। टास्क फोर्स बैठक में निमोनिया से बचाव एवं जागरूकता के लिए 12 नवंबर से 29 फरवरी तक चलाए जा रहे सांस अभियान की समीक्षा की गई। जिसके तहत निमोनिया के लक्षण की शीघ्र पहचान कर उपचारित किया जा है।
बैठक में बताया गया कि 5 वर्ष तक के बच्चों में सर्वाधिक मृत्यु निमोनिया के कारण होती है। वर्ष 2025 तक निमोनिया से होने वाली मृत्यु को 3 हजार प्रति जीवित जन्म से कम किया जाना है । इसके साथ ही गंभीर निमोनिया के नवीन केस को 2010 की तुलना में 75% से कम लेकर आना है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि के निमोनिया फेफड़े का संक्रमण है। जिससे फेफड़ों में सूजन हो जाती है। निमोनिया होने पर बुखार खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तेज सांस चलना या छाती का धंसना निमोनिया के दो मुख्य चिन्ह है। बैठक में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम के संबंध में गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. सलिल भार्गव द्वारा जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पर्यावरण परिवर्तन के कारण बीमारियां होने की संभावनाएं भी बढ़ती जा रही है। इसलिए अब इस दिशा में आमजन के सहयोग से कार्य किया जाना जरूरी है।
इस संबंध में कलेक्टर ने कहा कि पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। इसके निराकरण के लिए सभी विभागों के समन्वित सहयोग से रणनीति बनाकर कार्य किया जाए। टास्क फोर्स बैठक में स्वास्थ्य विभाग, मेडिकल कॉलेज, गैस राहत विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, नगर निगम, शिक्षा विभाग,नर्सिंग होम एसोसिएशन, गैर सरकारी संगठन के अधिकारी एवं प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ मुकेश