भक्ति संगीत और स्वर लहरी से गुंजायमान हुआ मप्र जनजातीय संग्रहालय का सभागार

 






- तीन दिवसीय समारोह में गायन, श्रीकृष्ण लीला और प्रसंगों का हो रहा मंचन

भोपाल, 24 अगस्त (हि.स.)। मध्‍यप्रदेश शासन, संस्‍कृति विभाग द्वारा श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी के उपलक्ष्य में भोपाल सहित प्रदेश के 16 आध्यात्मिक स्थलों पर श्रीकृष्‍ण पर्व का आयोजन किया जा रहा है। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में 23 से 25 अगस्‍त तक आयोजित इस पर्व के दूसरे दिन शनिवार शाम 7:00 बजे से रिमझिम बारिश के बीच गीत और संगीत से सजी सभा में मथुरा और वृन्दावन के कलाकारों ने श्रोताओं को कृष्ण भक्ति से सरोबार कर दिया। मथुरा की वंदना श्री और साथी कलाकारों ने भगवान श्रीकृष्ण महारास लीला प्रस्तुत कर भक्ति रस में डूबे दर्शकों को आत्मा से परमात्मा के मिलन की अनुभूति कराई। प्रकृति और प्रेम का संदेश देती इस प्रस्तुति के बाद वृन्दावन के माधवास रॉक बैंड ने अपने अलहदा अंदाज में पारंपरिक भजनों से लेकर फ्यूजन और कीर्तन के अपने नवाचारी प्रयोगों से श्रोताओं को कृष्ण रस की वर्षा से भिगो दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला और संचालक एनपी नामदेव द्वारा कलाकारों के स्वागत से की गई। भारतीय ज्ञान परम्परा में सदियों से आनंद की अनुभूति और रसानुभूति के लिये कीर्तन सशक्त माध्यम के रूप में विद्यमान है। भगवान कृष्ण ने कहा है कि सभी योगियों में से जो लोग उनमें असीम आस्था रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं, वे कीर्तन के माध्यम से योग के रूप में उनके साथ सबसे अधिक घनिष्ठ रूप से जुड़ते हैं। कार्यक्रम में वृन्दावन के माधवास रॉक बैंड ने श्रोताओं को प्रभु श्रीराम-श्रीकृष्ण के भजनों के माध्यम से कुछ यही संदेश दिया।

नंदरानी, नवकिशोर एवं साथी द्वारा नमस्ते नरसिंहाय प्रह्लादाह्लाद-दायिने (भगवान नरसिंह आरती)…, से आराधना की। इसके बाद मेरे बांके बिहारी लाल तू इतना ना करियो श्रृंगार..., मेरे झोपड़ी के भाग आज खुल जाएंगे राम आएंगे..., गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो..., मीठे रस से भरो री, राधा रानी लागे... जैसे अन्य कई भजनों की प्रस्तुति दी। संपूर्ण प्रार्थना भजनों से कार्यक्रम का समापन हुआ। प्रस्तुति के दौरान मंच पर गगनदीप सिंह, अंकुर बहल, लक्ष्मी, जाह्नवी के साथ की-बोर्ड पर गोपी, गिटार पर नीलेश, ड्रम पर हरिचरण दास, मृदंग पर सनातन, परकशन पर रवि ने संगत की।

दूसरी प्रस्तुति की शुरुआत वंदना श्री एवं साथियों ने श्रीकृष्ण महारास लीला से की। भगवान श्रीकृष्ण की इस दिव्य लीला ने भक्तों के अभिमान का मान मर्दन किया था। इस धरती पर प्रत्येक आत्मा का दिव्य स्वरूप परमात्मा में ही समाहित है। आत्मा के परमात्मा से जब मिलन होता है तो नेत्रों से प्रेम रूपी अश्रु फूट पड़ते हैं। भगवान के वेणु वादन दृश्य से महारास लीला की शुरुआत होती है। भगवान की वंशी की मधुरता समस्त गोपियों का आह्वान करती है। समस्त जीवात्माओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

पर्व में समापन दिवस 25 अगस्‍त को सायं 07 बजे श्रीकृष्‍ण भक्ति संगीत की प्रस्तुति शुभम यादव एवं साथी, भोपाल एवं रासलीला के अंतर्गत भक्त-भगवंत लीला की प्रस्तुति वंदना श्री एवं साथी, मथुरा द्वारा दी जायेगी।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर