इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन पथ पर लौटे सागर के असद खान, अब कहलाएंगे अथर्व त्यागी

 




सागर, 29 दिसंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के सागर जिले से धर्म और आस्था से जुड़ी एक अहम और चर्चा में रहने वाली खबर सामने आई है। सागर जिले के मकरोनिया क्षेत्र निवासी असद खान ने इस्लाम धर्म त्यागकर सनातन धर्म को अपनाया है। उन्होंने वाराणसी पहुंचकर वैदिक रीति-रिवाजों और विधि-विधान के साथ हिंदू धर्म में घर वापसी की। धर्म परिवर्तन के बाद असद खान अब अथर्व त्यागी के नाम से पहचाने जाएंगे।

अस्सी घाट पर धार्मिक अनुष्ठान

वाराणसी के प्रसिद्ध अस्सी घाट पर पंडितों के सान्निध्य में पूरे धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए गए। सबसे पहले पंचगव्य स्नान कराया गया, इसके बाद गंगा स्नान कर उनका शुद्धिकरण किया गया। इसके पश्चात मुंडन संस्कार, हवन-पूजन और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सनातन धर्म में विधिवत प्रवेश कराया गया।

बाबा के दर्शन व शिवलिंग अभिषेक

धार्मिक अनुष्ठानों के क्रम में अथर्व त्यागी ने काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन किए और शिवलिंग पर अभिषेक किया। शाम को वे गंगा आरती में शामिल हुए, जहां उन्होंने मां गंगा की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। अंत में भंडारे के आयोजन के साथ उनकी घर वापसी की प्रक्रिया पूर्ण हुई।

असद खान उर्फ अथर्व त्यागी का क्या है कहना?

अथर्व त्यागी का कहना है कि वे लंबे समय से इस्लाम धर्म की कुछ परंपराओं और धार्मिक बंधनों को लेकर मानसिक असहजता महसूस कर रहे थे। मूर्ति पूजा का विरोध, खान-पान से जुड़े नियम और धार्मिक प्रतिबंध उन्हें भीतर से विचलित करते थे। उनका कहना है कि उन्हें शुरू से ही भगवान महाकाल और सनातन परंपरा में गहरी आस्था रही है, लेकिन पारिवारिक और सामाजिक दबाव के कारण वे अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं कर पाते थे। धर्म परिवर्तन को लेकर अथर्व त्यागी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने यह निर्णय किसी दबाव, प्रलोभन या मजबूरी में नहीं लिया है। यह पूरी तरह उनका निजी और आत्मिक फैसला है। सनातन धर्म अपनाने के बाद उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक शांति का अनुभव हो रहा है।

“आज से मैं असद खान नहीं, अथर्व त्यागी हूं। यह फैसला मैंने अपनी आस्था और आत्मिक शांति के लिए लिया है।”

क्षेत्र में चर्चा का विषय

सागर से वाराणसी तक की यह आध्यात्मिक यात्रा अब क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। अथर्व त्यागी का कहना है कि यह उनके विश्वास, आत्मिक संतोष और नई शुरुआत का प्रतीक है, जिसे वे जीवनभर आत्मसात करेंगे।

हिन्‍दुस्‍थान समाचा/मनीष कुमार चौबे

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हिन्दुस्थान समाचार / राजू विश्वकर्मा