कालिदास समारोहः कलाकारों ने भगवान शिव के विभिन्न रूपों को दर्शाया
उज्जैन, 5 नवंबर (हि.स.)। मध्य प्रदेश के उज्जैन में अखिल भारतीय कालिदास समारोह में बुधवार रात्रि पंचम सांस्कृतिक संध्या में अकादमी के भरत विशाल रंगमंच पर संस्कृत नाटक शिवभावणकम् को मंचित किया गया। संस्कृत, अंग्रेजी,बंाग्ला, हिंदी और मलयालम भाषा में पारंगत कोलकाता के प्रयोगधर्मी नाट्य निर्देशक पियाल भट्टाचार्य के नवाचारों से युक्त इस नाटक ने प्रेक्षकों पूरे समय बांधे रखा।
शिवभावणकम् नाटक की एक विशिष्ट शैली है, जिसमें कलाकार भगवान शिव के विभिन्न रूपों को दर्शाते हैं। कलाकार पारंपरिक वेशभूषा और मुखौटे पहनते हैं। इस में पारंपरिक संगीत का उपयोग किया जाता है, जो भगवान शिव की महिमा को दर्शाता है। इसमें अभिनय एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें कलाकार भगवान शिव के चरित्र को जीवंत बनाते हैं और भक्ति की भावना को बढ़ावा देते हैं। यह नाट्य शैली केरल की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें नृत्य, संगीत और अभिनय की कलात्मक अभिव्यक्ति होती है। वर्तमान में इसमें नवाचार के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि यह नाट्य शैली आधुनिक समय के अनुसार विकसित हो सके।
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हिन्दुस्थान समाचार / ललित ज्वेल