किसानों की खेती संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान में योगदान दें कृषि विद्यार्थी: राज्यपाल पटेल

 


- कृषि विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह में 4 मानद उपाधि, 7 गोल्ड मैडल एवं 979 उपाधियाँ प्रदान की गईं

ग्वालियर, 15 अक्टूबर (हि.स.)। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कृषि विद्यार्थियों से कहा कि पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीकी कौशल का उपयोग कर किसानों की खेती संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान में अपना योगदान दें। साथ ही वंचित एवं दूरस्थ अंचलों तक उन्नत कृषि तकनीक पहुँचाने के प्रयास भी प्रमुखता से करें। राज्यपाल पटेल मंगलवार को ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उपाधियाँ प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके गुरुजनों व पालकों को बधाई व शुभकामनाएं प्रदान कीं।

यह दीक्षांत समारोह डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर बिहार के कुलाधिपति प्रो. पी एल गौतम व भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुआ। इस अवसर पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला, विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्यगण एवं आचार्य मंचासीन थे।

दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विख्यात कृषि वैज्ञानिक जगदीश कुमार लड्डा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ओपी श्रीवास्तव, अंतरराष्ट्रीय स्तर के कृषि वैज्ञानिक पीएम गौर एवं जैविक खेती में नाम कमा रहे वत्सल दीपक सजदे को कृषि विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि देकर सम्मानित किया गया। साथ ही 7 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक व 4 विद्यार्थियों को सिरताज बहादुर सिन्हा स्मृति नगद पुरस्कार प्रदान किए गए। वर्ष 2023-24 के कुल 979 विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनमें 48 शोधार्थियों को पीएचडी, 666 को स्नातक एवं 265 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की गईं। इस अवसर पर दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

राज्यपाल ने समारोह में कहा कि आत्मनिर्भर भारत और “वोकल फॉर लोकल” की दिशा में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में उद्यमों की संभावनाओं को पहचानने में विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करना चाहिए। साथ ही नए विचारों व नवाचारों के द्वारा सामान्य किसानों को उत्पादक से उद्यमी बनाने के प्रयास करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को किसानों की बुद्धिमत्ता और कृषि प्रोफेशनल्स के कौशल के बीच की साझेदारी का मंच बनकर सबके साथ, सबके विकास व सबके विश्वास की अवधारणा के साथ कृषि के विकास में सहयोग करने के लिये आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि कृषि की अनेक उपलब्धियों के बाबजूद कृषि जोतों का घटता आकार, जलवायु परिवर्तन, तापमान में वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों का लगातार क्षरण अभी भी खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिये किसानों को सक्षम बनाना होगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर अनुसंधान और प्रयास करने की जरूरत होगी।

राज्यपाल ने कृषि विद्यार्थियों का आह्वान किया कि अपनी प्रतिभा का उपयोग समाज की सबसे पीछे की पंक्ति और पिछड़े व्यक्ति की खुशहाली के लिये करें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के लिये आज विशेष महत्वपूर्ण दिन है, लेकिन आप सबको यह भी ध्यान रखना होगा कि आपको यह उपलब्धि दिलाने में समाज का भी कहीं न कहीं योगदान जरूर है। समाज व देश की सेवा कर यह ऋण लौटाया जा सकता है। राज्यपाल ने कहा कि उपाधियाँ प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों का उत्साह और ऊर्जा देखकर मुझे अपार प्रसन्नता हुई है। साथ ही भरोसा भी मिला है कि आप सबके माध्यम से विकसित और स्वर्णिम भारत के निर्माण का सपना साकार होगा।

केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलाधिपति प्रो. पी एल गौतम ने कहा कि देश में कृषि के क्षेत्र में जिस तरह की क्रांति आई है, उससे हम सब गौरवान्वित हैं। लेकिन जनसंख्या वृद्धि, जलवायु परिवर्तन, जल संसाधनों की कमी, खेती की बढ़ती लागत व युवकों का खेती से रूझान कम होना ऐसी चुनौतियां हैं, इनसे निपटने के प्रयास भी विश्वविद्यालयों को करने होंगे। इसके लिये ढांचे को और सुदृढ़ कर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने गुणवत्तायुक्त कृषि शिक्षा, शोध व उसके प्रसार पर बल दिया। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर कृषि आयोग गठित करने की आवश्यकता बताई। प्रो. गौतम ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में हो रहे अनुसंधान और प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में स्थापित हुए नए-नए आयाम की सराहना की।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री भारतीय किसान संघ दिनेश कुलकर्णी ने कहा कि यह बात सही है कि अन्य क्षेत्रों की अपेक्षा कृषि के क्षेत्र में बेरोजगारी न के बराबर है। लेकिन चिंता की बात यह है कि कृषि विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग खेती में करने के बजाय नौकरी की ओर ज्यादा रूख करते हैं। यह विचारणीय है कि कृषि की शिक्षा लेने के बाद विद्यार्थी नौकरी करते हैं और जिन्हें कृषि की शिक्षा नहीं मिली वह खेती करती है। इसलिए इसकी महती आवश्यकता है कि कृषि विद्यार्थी रोजगार पाने वाले नहीं बल्कि उन्नत खेती व खेती से संबंधित उद्यम स्थापित कर रोजगार देने वाले बनें। इससे निश्चित ही औरों को प्रेरणा मिलेगी और खेती लाभ का धंधा बनेगा।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि 2018 से 2023-24 तक की उपाधियों को डिजी लॉकर में अपलोड कर दिया गया है। विद्यार्थियों की अटेंडेंस के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी सिस्टम लगाया गया है। गेहूं की प्रजाति को भी भाभा ऑटोमेटिक ऑटोनॉमिक केंद्र के साथ मिलकर तैयार किया गया है। विश्वविद्यालय में 11 अनुसंधान परियोजनाएं प्रचलन में है जिसमें हवा में आलू बीज उत्पादन के लिए 229 लाख की यह परियोजना है। वहीं सब्जियां के बीज हेतु 416 लाख रुपए की हाइब्रिड बीज के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराने तथा सोलर बेस्ड इंटेंसिव परियोजना ग्वालियर में लागू की गई है। इधर ग्रीन एवं एनर्जी ऑडिट में सफलता प्राप्त कर ली गई है।

इन्हे मिला स्वर्ण पदक

दीक्षांत समारोह में कृषि स्नातक 04 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। जिनमें कृषि महाविद्यालय, ग्वालियर की साक्षी, कृषि महाविद्यालय, सीहोर की श्रुति तोमर, उद्यानिकी महाविद्यालय, मंदसौर के अमित बिरगोदिया एवं गार्गा त्रिपाठी शामिल हैं। कृषि स्नातकोत्तर मंदसौर की श्रेजल तिवारी एवं सीहोर की निमिषा माहेश्वरी एवं पी.एच.डी. में धीरज सिंह, ग्वालियर को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। हिमांशु नागर, विशाल गुप्ता, रामस्वरूप लमरोर एवं निमिषा माहेश्वरी को सरताज बहादुर सिन्हा स्मृति अवार्ड प्रदान किये गये।

हिन्दुस्थान समाचार / मुकेश तोमर