रतलाम: गायत्री परिवार का उद्देश्य मानव मात्र में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का है
रतलाम, 10 जनवरी (हि.स.)। अखिल विश्व गायत्री परिवार शांति कुंज हरिद्वार के तत्वावधान में 12 से 15 जनवरी तक विराट 24 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ प्रज्ञापुराण कथा, तुलसी विवाह सहित अन्य आयोजनों को लेकर गायत्री परिवार सहित धर्मालुजनों में अपार उत्साह है। वर्षों बाद इस प्रकार का भव्य आयोजन रतलाम में होना गर्व की बात है। यह बात गायत्री परिवार ट्रस्ट के पातीराम शर्मा, मध्य प्रदेश युवा प्रकोष्ठ के समन्वयक विवेक चौधरी तथा यज्ञ के यजमान जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभु राठौर ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कही।
विश्व में 12 करोड़ से अधिक अनुयायी
श्री चौधरी ने बताया कि प्रभु राठौर की धर्मपत्नी संगीता राठौर के संकल्प से यह आयोजन यहां हो रहा है,जिसमें लगभग 25 हजार से अधिक गायत्री परिवार के लोग भाग लेंगे ही, अन्य धर्मालुजनों की भी सहभागिता इसमें होने वाली है। सारे विश्व में गायत्री परिवार के लगभग 12 करोड़ से अधिक अनुयायी है और जिले में अनुयायियों की संख्या 25 हजार से अधिक है, जो गायत्री परिवार की विभिन्न गतिविधियों से जुड़े है और समय-समय पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में अपनी सहभागिता करते है।
गायत्री परिवार का उद्देश्य मानव मात्र में देवत्व का उदय करना है
श्री चौधरी ने बताया कि गायत्री मंत्र सद्बुद्धि दाता और सिद्ध साधना कर किसी वर्ग विशेष और जाति विशेष को ध्यान में ना रखकर अपितु सम्पूर्ण मानव जाति व पृथ्वी के उद्धार के लिए समर्पित अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पं.श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवतीदेवी शर्मा का सम्पूर्ण जीवन ही यज्ञमय रहा है। सभी के हित में होने वाले हर कार्य को यज्ञ कहा जाता है। गायत्री परिवार का उद्देश्य मानव मात्र में देवत्व का उदय और धरती पर स्वर्ग के अवतरण का है।
आचार्यश्री ने विचार क्रांति का सूत्रपात किया
श्री चौधरी ने अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के बारे में बताया कि आचार्य श्री ने केवल एक धार्मिक संगठन ही नहीं बनाया बल्कि समाज को राष्ट्र को विश्व को और हर वर्ग के मानव को धरती के हर जीव को ध्यान में रखकर युग निर्माण योजना बनाई विचार क्रांति अभियान का सूत्रपात किया । परम पूज्य गुरुदेव का विचार था कि अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है। अखिल विश्व गायत्री परिवार संपूर्ण विश्व के धार्मिक आध्यात्मिक सामाजिक आर्थिक और मानसिक विकास को लेकर कार्य करने वाली संस्था है । समाज में अखिल विश्व गायत्री परिवार के द्वारा युवा जागरण ,नारी जागरण, धार्मिक कुरीति उन्मूलन ,,बाल शिक्षा ,नारी शिक्षा ,पर्यावरण सरंक्षण, कुरीति उन्मूलन एवं नशा मुक्ति जैसे कार्य कर समाज को सही दिशा देकर कार्य करने वाला परिवार है।
आपदा प्रबंधन में मुख्य भूमिका रही
अखिल विश्व गायत्री परिवार आपदा प्रबंधन में अपनी मुख्य भूमिका निभाकर प्राकृतिक आपदा के क्षेत्रों में विशेष रूप से कार्य करने वाली संस्था है। अखिल विश्व गायत्री परिवार डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में सक्रिय कार्यकर्ताओं के साथ परिजनों के साथ कार्य करने वाली संस्था है। अखिल विश्व गायत्री परिवार के 6 प्रमुख संस्थान शांतिकुंज हरिद्वार जहां से ऋषि परंपरा का पुनर्जीवन कर संपूर्ण समाज और मानव जाति के विकास के लिए कार्य किया जाता है । दूसरा देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार विद्यालय है जो आधुनिक शिक्षा को गुरुकुल शिक्षा के साथ जोडक़र संस्कारित युवाओं को गढऩे का कार्य कर रहा है । वैज्ञानिक अध्यात्म और मंत्र एवं यज्ञ के विभिन्न शोधों को करने के लिए ब्रह्मवर्चस शोध संस्थान की स्थापना की गई ।
गायत्री तपोभूमि मथुरा सहित 6 प्रमुख संस्थान है
परम पूज्य गुरुदेव की जन्मभूमि आंवलखेड़ा आगरा में एक महत्वपूर्ण स्मारक बनाया गया है। अखंड ज्योति संस्थान मथुरा यहां से संपूर्ण विश्व को मार्गदर्शन देने के लिए परम पूज्य गुरुदेव के समय से एक पत्रिका सतत हर माह जन जन के वैचारिक और बौद्धिक ज्ञान को बढ़ाने के लिए समर्पित पत्रिका है , गायत्री तपोभूमि मथुरा सहित 6 प्रमुख संस्थान है जिनके अंतर्गत अखिल विश्व गायत्री परिवार के चार हजार से ज्यादा शक्तिपीठ एवं एक हजार से ज्यादा प्रज्ञा पीठ सक्रिय रूप से लोक निर्माण और सामाजिक उत्थान के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत है। आचार्य श्री ने हर एक विषय पर अध्ययन और शोध कर 3000 से अधिक पुस्तकें लिखी एवं चार वेद 18 पुराण 108 उपनिषद योग वशिष्ठ 20 स्मृतियां के दर्शन व 24 किताबों सहित अनेक आर्ष ग्रंथों के जन सुलभ अनुवाद संपन्न किए।
अनेक आयोजन व सम्मान होगा
24 कुंडीय गायत्री महायज्ञ अंतर्गत परिवार निर्माण हेतु प्रज्ञा पुराण कथा और नारियों के सशक्तिकरण हेतु नारी सम्मेलन वह नारी प्रतिभा सम्मान का आयोजन किया जाएगा,युवाओं को दिशा धारा देने हेतु एक विशिष्ट युवा सम्मेलन और युवा प्रतिभा सम्मान का कार्यक्रम किया जाएगा ,सभी धर्मों में एकरस्ता एकरूपता और समानता को देखकर सभी धर्मों से अच्छी शिक्षा लेकर समाज को देने हेतु सर्व धर्म सम्मेलन 14 जनवरी की शाम को संपन्न किया जाएगा । दीप यज्ञ के माध्यम से सभी में अच्छाइयों को ग्रहण करने का संकल्प दिलाया जाएगा एवं 15 जनवरी को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ समाज के वरिष्ठ अनुभवी और सामाजिक निर्माण में नींव के पत्थर के रूप में लगने वाले अग्रजों का सम्मान किया जाएगा ।
हिन्दुस्थान समाचार/ शरद जोशी