गुना : जिले में आई बाढ़ से 20 करोड़ की फसलें तबाह
गुना, 17 सितंबर (हि.स.)। जिले में अगस्त महीने में पार्वती की बाढ़ ने जमकर तबाही मचायी थी। सर्वे के बाद अब इससे हुए नुकसान के परिणाम सामने आने लगे हैं। बाढ़ और अतिवृष्टि से फसल, घर, मवेशी सहित अन्य नुकसान हुए थे। घरों का सर्वे तो पहले ही हो गया था। पिछले कुछ दिनों से फसलों का सर्वे चल रहा था। अब वह भी पूरा हो गया है। सर्वे के बाद अब मुआवजे की प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी।
मिली जानकारी के अनुसार जिले में अतिवर्षा और और नदी व नालों के उफान पर होने की वजह से पांच जनपद पंचायतों के 102 ग्रामों में हजारों किसानों की खेत में खड़ी फसल नष्ट हो गई। जिला और राजस्व अमले की रिपोर्ट के अनुसार 14 हजार हेक्टेयर में किसानों की खड़ी फसलें बाढ़ में बह गई, तो कई जगह अतिवर्षा की वजह से फसल खराब हो गई। राजस्व अमले ने फसल नुकसान को लेकर सर्वें किया, जिसमें सामने आया है कि किसानों की 20 करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हुई हैं। ग्राम पंचायतों में मुनादी करने के बाद किसानों को आर्थिक सहायता देने से पहले पंचायत भवन पर सूची चस्पा की जाएगी।
कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए ने पांच विकासखंडों में अतिवर्षा और बाढ़ में हुई फसलों के नुकसान का आंकलन करने को लेकर सर्वे कराया था। बाढ़ और अतिवर्षा में किसानों की उड़द, सोयाबीन, मक्का, तिली और मूंगफली की फसल खराब हो गई है। कई ग्राम पंचायतों में हालात यह है कि बाढ़ में किसानों की खेत में खड़ी फसल तक बह गई। उधर किसानों का कहना है कि खरीफ की फसल खराब हो जाने के बाद अब रवि की फसल बोवनी करने को लेकर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। उधर, किसानों के घर भी बाढ़ में गिर गए, अब वह आर्थिक सहायता को लेकर तहसील कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
इसलिए आयी फसलों के सर्वे में दिक्कत
इस बार फसलों में हुए नुकसान का सर्वे करने में दूसरी तरह की चुनौती सामने आ रही थी। क्योंकि इस बार नुकसान अतिवृष्टि से नहीं बाढ़ से हुआ है। अतिवृष्टि से एकमुश्त नुकसान होता था। पूरे इलाके में ही नुकसान होता है, जिससे सर्वे में आसानी रहती है। वहीं बाढ़ से पूरा इलाका प्रभावित नहीं होता है। नदी किनारे के खेतों में ज्यादा नुकसान होता है। सर्वे के दौरान भी यही बात सामने आयी है। नदी किनारे के जो खेत पूरी तरह डूब गए थे, उनमें ज्यादा नुकसान है। वहीं उसी गांव में नदी से थोड़ी दूर पर जो खेत हैं, उनमें ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। जब नदी का पानी उतरा, तो खेतों की स्थिति साफ दिखने लगी। सोयाबीन और उड़द में ज्यादा नुकसान है। कई जगह तो 100 प्रतिशत फसल खराब हो गयी है। वहीं कई जगह मक्का में भी नुकसान है, लेकिन वह ज्यादा नहीं है।
हिन्दुस्थान समाचार / अभिषेक