रांची में राष्ट्रीय आदिवासी नीति निर्धारण पर तीन दिवसीय कार्यशाला,25 राज्यों के आदिवासी प्रतिनिधि शामिल

 


रांची, 05 दिसम्बर (हि.स.)। डॉ. रामदयाल मुंडा शोध संस्थान (टीआरआई) में शुक्रवार से राष्ट्रीय आदिवासी नीति निर्धारण विषय पर तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई। टीआरआई और आदिवासी समन्वय समिति की ओर से आयोजित इस सम्मेलन में देश के 25 राज्यों से आदिवासी प्रतिनिधि शामिल हुए।

महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, लद्दाख और अंडमान-निकोबार सहित विभिन्न राज्यों के वक्ताओं ने अपने क्षेत्रों की चुनौतियों पर चर्चा की।

लद्दाख के प्रतिनिधि रिकचिंग ने बताया कि क्षेत्र में 97 प्रतिशत आबादी आदिवासी है, लेकिन तेजी से पिघलते ग्लेशियर उनके जीवन, संस्कृति और अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरणीय संकट और भाषा-संस्कृति संरक्षण के लिए स्थानीय आदिवासी लगातार आंदोलनरत हैं।

अंडमान-निकोबार के जोची विसेंट ने देशभर के आदिवासी समुदायों से एकजुट होकर सामूहिक वार्ता की आवश्यकता पर जोर दिया। वहीं असम के प्रतिनिधि बिरसा मुंडा ने कहा कि असम की 108 जनजातियों में झारखंड से पलायन कर पहुंचे आदिवासियों को अब तक एसटी दर्जा और भूमि पट्टा नहीं मिला है, जिससे उनके मालिकाना अधिकार प्रभावित हो रहे हैं।

सम्मेलन के अध्यक्ष विश्वनाथ तिर्की ने कहा कि इस कार्यशाला के दौरान संविधान में आदिवासियों को मिले अधिकारों के वास्तविक क्रियान्वयन की समीक्षा और अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के जीवन स्तर को मजबूत करने के लिए ठोस रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।--------------

हिन्दुस्थान समाचार / विकाश कुमार पांडे