सरना कोड के लिए जोरदार आंदोलन की जरूरत: सालखन मुर्मू
खूंटी, 5 नवंबर (हि.स.)। तोरपा प्रखंड के तपकारा कमड़ा में रविवार को सरना धर्म सोतोः समिति का शाखा स्थापना दिवस सह सरना धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। बिरसा तोपनो, जेना तोपनो और दुलारी बारला की अगुवाई में अनुयायियों के साथ सरना स्थल पर भगवान सिङबोंगा की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और खुशहाली की कामना की और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
समारोह में मुख्य अथिति कें रूप में राष्ट्रीय आदिवासी सेंगेल अभियान के अध्यक्ष सालखन मुर्मू और विशिष्ट अतिथि के तौर पर जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया, महादेव मुंडा और डॉ सीताराम मुंडा उपस्थित थे। मौके पर सालखन मुर्मू ने कहा कि सरना विश्व का सबसे पुराना धर्म है, जो प्रकृति पर आधारित है। अब सरना धर्म कोड के लिए करो या मरो के तर्ज पर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जोरदार आंदोलन चलाने की जरूरत है, ताकि हर हाल में सरना धर्म कोड जनगणना परिपत्र में आवंटित हो। उन्होंने आजाद भारत में जनजाति समाज के धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मसले को अब तक अनदेखा किया गया है। अब इसका जवाब भारत सरकार को देने का समय आ गया है। 2011 की जनगणना में लगभग 50 लाख लोगों ने सरना धर्म दर्ज किया है। आजाद भारत में आदिवासी धार्मिक गुलामी का दंश झेल रहे हैं और धर्मांतरण के लिए बाध्य हो रहे हैं।
उन्होंने अपील की कि आठ नवंबर को मोरहाबादी मैदान रांची में होनेवाली सरना धर्म कोड जनसभा में अधिक से अधिक लोग शामिल हां। विशिष्ट अतिथि मसीह गुड़िया ने कहा कि समाज में अशिक्षा व बेरोजगारी है. इसका समाधान सामाजिक संगठनों व सरकार के बीच समन्वय स्थापित कर किया जा रहा है। माता-पिता व सामाजिक अगुओं को शिक्षा के प्रति जोर देना चाहिए, ताकि समाज में शिक्षा का दीप प्रज्वलित हो। कार्यक्रम में महादेव मुंडा, डॉ सीताराम मुंडा, सुमित्रा मुर्मू, मथुरा कंडीर, बिरसा गुड़िया, सुशील गुड़िया, सोमा गुड़िया, सुकरा तिर्कीसहित कई गांवों के सरना धर्मावलंबी शामिल हुए।
हिन्दुस्थान समाचार/ अनिल