पांकी बराज की लागत 866.11 करोड़, दो शर्त पूरी नहीं होने से कार्य लटका
पलामू, 21 दिसंबर (हि.स.)। विधानसभा सत्र में पांकी विधायक डा. शशिभूषण मेहता ने गुरुवार को अमानत पांकी बराज से संबंधित सवाल सरकार से पूछा। इसके जवाब में विभागीय मंत्री ने कहा कि एकीकृत बिहार के समय वर्ष 1973 में 41.67 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किए गए पांकी बराज निर्माण कार्य की लागत वर्तमान में 866.11 करोड़ हो गई है। वहीं, भारत सरकार से 21 शर्तों के साथ स्टेज-1 क्लीयरेंस प्राप्त है, जिसमें 19 शर्तों का अनुपालन किया जा चुका है। शेष दो शर्त की कार्रवाई पूरी नहीं होने के कारण कार्य लटका है।
विधायक डा. मेहता ने पूछा था कि पांकी स्थित अमानत नदी पर बराज निर्माण के लिए एकीकृत बिहार में 41.67 करोड़ रूपये की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई थी। झारखंड राज्य पुनर्गठन के बाद वर्ष-2021 से इस योजना बराज हेतु तृतीय पुनरीक्षित प्राक्कलन की प्रशासनिक स्वीकृति सरकार के समक्ष लंबित है। वहीं, कार्यलंबित होने के कारण इस योजना में लगे अधिकतर उपकरण अनुपयोगी हो चुके हैं।
सरकार ने जवाब में कहा है कि वर्ष 2003 में लागत 341.10 करोड़ थी, जिसके आलोक में अब तक मुख्य नहर 90 व वितरणी कार्य 10 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। वर्तमान में योजना के लिए 866.11 करोड़ रूपए के तृतीय पुनरीक्षित प्राक्कलन की प्रशासनिक स्वीकृति प्राप्त करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है। वहीं, दो शर्त जो पूरी नहीं की गई है, उनमें क्षतिपूरक वनरोपण हेतु प्रस्तावित गैर वनभूमि का के 10 गांवों में से एक गांव नावाबाजार प्रखंड के चेचरिया में ग्रामीणों के विरोध के कारण सीमांकन का कार्य बाधित होना है। वहीं, दूसरा कार्य पर्यावरण क्लीयरेंस के क्रम में परामर्शी द्वारा तैयार प्रपोजल पर अग्रेतर कार्रवाई होना है।
कुशवाहा डा. शशिभूषण मेहता ने अपनी मांगों के समर्थन में पूरे राज्य से आए आंदोलनरत पंचायत स्वयंसेवकों से मिलकर उनकी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिलीप