खतियान में लिपिकीय भूल के कारण स्वांसी(पांड़) समाज का अस्तित्व खतरे में
खूंटी, 5 नवंबर (हि.स.)। स्वांसी (पांड़) समाज एकता संघ के बैनर तले स्वांसी समाज की बैठक रविवार को स्थानीय राजस्थान भवन में हुई। संघ के जिलाध्यक्ष सुखलाल स्वांसी की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में अतिथि के रूप में सांसद के जिला प्रतिनिधि मनोज कुमार, विधायक प्रतिनिधि काशी नाथ महतो, सांसद के विभागीय प्रतिनिधि ज्योतिष भगत और खरसावां विधानसभा क्षेत्र से आए स्वांसी समाज के प्रतिनिधि दुलाल स्वांसी मुख्य रूप से शामिल हुए। बैठक में समाज के ज्वलंत मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया।
विभिन्न वक्ताओं ने अपने संबोधन में कहा कि 1932 के खतियान में लिपिकीय भूल के कारण स्वांसी (पांड़) समाज के लोगों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहा है, जबकि स्वांसी समाज को अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। कहा गया कि स्वांसी समाज के वैसे लोग, जिनके खतियान में जाति (कौम) पांड़ दर्ज है। उन्हें जाति प्रमाण पत्र बनवाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस स्थिति में स्वांसी (पांड़) समाज के लोगों का अस्तित्व खतरे में पड़ने लगा है। समाज की आनेवाली पीढ़ियों के लिए यह गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
कहा गया कि इतिहास के पन्नों में दर्ज भगवान बिरसा मुंडा के आध्यात्मिक और राजनीतिक गुरु आनंद पांड़ थे, जो स्वांसी समाज से आते थे, लेकिन आनंद पांड़ को बदलकर आनंद पांडे बताया जा रहा है, जो गलत एवं निराधार है। ऐतिहासिक दस्तावेज से छेड़छाड़ कर आनंद पांड़ को आनंद पांडे बताए जाने से स्वांसी (पांड़) समाज अपने को उपेक्षित महसूस कर रहा है। सभा के बाद इस संबंध में स्थानीय सांसद और विधायक को अलग-अलग ज्ञापन प्रेषित कर मांग की गई है कि खतियान में हुए इस लिपिकीय भूल को सदन के पटल में रखकर सुधार किया जाए, जिससे स्वांसी (पांड़) समाज के मान-सम्मान एवं अधिकार की रक्षा हो सके।
हिन्दुस्थान समाचार/अनिल