प्रकृति पूजकों को धार्मिक गुलामी के लिए बाध्य करना बंद करो: धर्मगुरु बगरय ओड़ेया

 


खूंटी, 24 दिसंबर (हि.स.)। मुरहू प्रखंड के के बालो गांव में रविवार को सरना धर्म सोतोः समिति का शाखा स्थापना दिवस सह सरना धर्म प्रार्थना सभा का आयोजन रविवार को किया गया। जीतू पाहन, लुथड़ू मुंडा और विश्राम डोडराय की अगुवाई में अनुयायियों के साथ सरना स्थल में भगवान सिंगबोंगा की पूजा-अर्चना कर सुख, शांति और खुशहाली की कामना की गई। मौके पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया।

समारोह में मुख्य अथिति अथिति के तौर पर जिला परिषद अध्यक्ष मसीह गुड़िया और विशिष्ट अथिति कें रूप में डॉ रामदयाल मुंडा के पुत्र गुंजल इकिर मुंडा थे। धर्मगुरु बगरय ओड़ेया ने कहा कि सरना विश्व का सबसे पुराना धर्म है, जो प्रकृति पर आधारित है।. अब सरना धर्म कोड के लिए करो या मरो की तर्ज पर राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा, ताकि भारत सरकार जनगणना परिपत्र में सरना धर्म कोड को अंकित करें।

उन्होंने कहा कि आज देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और दूसरी ओर जनजाति समाज के धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मसले को अनदेखा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरना कोड न देकर आजाद भारत में आदिवासियों को धार्मिक गुलामी और धर्मांतरण के लिए क्यों बाध्य किया जा रहा है? हम भारत के मूल निवासी हैं जिससे धर्म-संस्कृति संरक्षण के दावेदार है। भारत सरकार सरना धर्म कोड यथाशीघ्र लागू करें। मसीह गुड़िया ने कहा कि समाज में अशिक्षा व बेरोजगारी है, जिसे राज्य सरकार सामाजिक संगठनों के साथ समंन्य स्थापित कर इसे खत्म करने का प्रयास कर रही है। सरना, जतरा, हड़गड़ी जैसी सामाजिक-धार्मिक धरोहरों की घेराबंदी कर संरक्षण व संवर्धन दे रही है।

इसके लिए गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। सभी गांव के प्रबुद्ध जन, माता-पिता और सामाजिक अगुओं को ऐसी योजनाओं को लाभ लें और धार्मिक-सामाजिक धरोहरों का संरक्षण करें।

हिन्दुस्थान समाचार/अनिल