'सामाजिक न्याय' के मंत्र को स्थापित करने का मकसद ही राजनीति का मुख्य आधार : सुदेश महतो

 




सिल्ली विधानसभा स्तरीय अखिल झारखंड बुद्धिजीवी मंच की बैठक सम्पन्न

रांची, 24 जनवरी (हि.स.)। आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहा कि 'सामाजिक न्याय' के मंत्र को स्थापित करने का मकसद ही राजनीति का मुख्य आधार है। इस मंत्र को स्थापित करने में समाज के अगुवा और खासकर बुद्धिजीवियों की भूमिका अहम हो जाती है। हमारी कोशिश है कि सभी मिलकर इस चुनौती को आसान करें। सुदेश कुमार महतो बुधवार को सोनाहातु प्रखंड स्थित सती घाट में आयोजित सिल्ली विधानसभा स्तरीय अखिल झारखंड बुद्धिजीवी मंच के सम्मेलन में बोल रहे थे। इसमें बुद्धिजीवी मंच के हजारों सदस्य और पदाधिकारी शामिल हुए।

सुदेश कुमार महतो ने कहा कि राजनीतिक और सामाजिक चेतना समय और स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं लेकिन उद्देश्य बिल्कुल साफ हो और इसमें समाज के हर वर्ग का भला निहित होना चाहिए। गांवों में कोई भी जमीन परती ना रहे, इसका संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि अभिमान का परित्याग करना होगा। चिंता यह होनी चाहिए कि आप समाज को क्या देकर जा रहे हैं, जिससे लोग आपको याद रखें।

इस मौके पर सम्पूर्ण निष्ठा के साथ पार्टी के विचारों एवं सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने एवं समाज में अपना बहुमूल्य योगदान देने वाले बुद्धिजीवी मंच के उन सदस्यों के परिजनों को सम्मानित भी किया गया, जो पार्टी के बीच अब नहीं रहे हैं। उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए मरणोपरांत उनके परिजनों को सुदेश महतो द्वारा प्रशस्ति पत्र दिये।

100वीं जयंती पर याद किए गए कर्पूरी ठाकुर

सोनाहातु स्थित सती घाट में आयोजित सिल्ली विधानसभा स्तरीय बुद्धिजीवी मंच की बैठक से पूर्व पार्टी अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने सामाजिक न्याय के प्रणेता जननायक बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती के अवसर पर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कर्पूरी जी को भारत रत्न मिलना उनके द्वारा आजीवन समाज के गरीब एवं पिछड़े वर्ग के कल्याण की दिशा में किए गए अभूतपूर्व कार्यों के साथ ही देश के सभी गरीबों, पिछड़ों-वंचितों का भी सम्मान है। कर्पूरी जी गरीबों, दलितों, पिछड़ों के पक्षधर थे और आजीवन अन्याय तथा अत्याचार का प्रतिकार करते हुए उनके उत्थान के लिए सजग प्रहरी का कार्य करते रहे। वे संपूर्ण जीवन सदन के अंदर एवं बाहर बिहार के दीन-हीन एवं शोषित जनता के लिए आवाज बुलंद करते रहे, संघर्ष करते रहे। उनकी कथनी एवं करनी में काफी सामंजस्य था। उनका रहन सहन, आचार विचार, कृतित्व एवं व्यक्तित्व किसी तपस्वी से कम नहीं था।

हिन्दुस्थान समाचार/ वंदना/दधिबल