पेसा लागू होना संघर्ष की जीत, लेकिन मेसा के बिना प्रक्रिया अधूरी : विजय शंकर नायक

 


रांची, 24 दिसंबर (हि.स.)। आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष विजय शंकर नायक ने कहा है कि झारखंड में पेसा कानून का लागू होना जनता के लंबे संघर्ष, न्यायिक दबाव और जनआंदोलन की ऐतिहासिक जीत है, लेकिन मेसा (म्युनिसिपलिटीज एक्सटेंशन टू शीड्यूल एरिया) के बिना यह प्रक्रिया अधूरी है।

बुधवार को जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में उन्होंने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सर्वोच्चता, जल–जंगल–जमीन पर अधिकार और पारंपरिक स्वशासन की पूर्ण बहाली तभी संभव है, जब शहरी निकायों पर भी मेसा लागू किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल ग्रामीण क्षेत्रों तक सीमित पेसा से आदिवासी अधिकारों की संपूर्ण रक्षा नहीं हो सकती।

विजय नायक ने भारतीय जनता पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड में 14 वर्षों तक सत्ता में रहने के बावजूद भाजपा ने जानबूझकर पेसा कानून को लागू नहीं किया। उन्होंने इसे आदिवासी समाज के संवैधानिक अधिकारों के साथ सीधा अन्याय करार दिया। नायक ने आरोप लगाया कि भाजपा ने ग्रामसभा की शक्तियों को कमजोर किया और पांचवीं अनुसूची की भावना की लगातार अनदेखी की।

उन्होंने कहा कि अब संघर्ष केवल कानून पास कराने तक सीमित नहीं है, बल्कि पेसा को ईमानदारी से जमीन पर लागू कराने और मेसा बिल को पारित कराने की लड़ाई है।

विजय शंकर नायक ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि पेसा आदिवासी समाज की अस्मिता और अस्तित्व से जुड़ा कानून है। इसे कमजोर करने का कोई भी प्रयास बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इस मुद्दे पर आंदोलन आगे भी जारी रहेगा।----------

हिन्दुस्थान समाचार / Manoj Kumar