रामगढ़ स्वास्थ्य विभाग में घोटाले की होगी सीआईडी जांच, कई अधिकारियों पर शक : उपायुक्त
-3.90 करोड़ का घोटाला अनुसेवक अमजद हुसैन ने किया
-फर्जी डॉक्टरों के नाम पर हो रहा था वेतन का भुगतान
रामगढ़, 27 सितंबर (हि.स.)। जिले के स्वास्थ्य विभाग में घोटाले की जांच अब सीआईडी करेगी। रामगढ़ जिला प्रशासन ने जांच करने के लिए एक अनुरोध पत्र सीआईडी को भेजा है। इस बात का खुलासा शुक्रवार की शाम प्रेस कांफ्रेंस के दौरान रामगढ़ डीसी चंदन कुमार ने किया है।
डीसी ने बताया कि एक महीने पहले एक करोड़ रुपये के घोटाले को लेकर यह मामला सामने आया था लेकिन जांच के दौरान अब तक 3.90 करोड़ तक का घोटाला उजागर हो चुका है। हालांकि, अभी तक यह जांच पूरी नहीं हो पाई है। घोटाले की गहराई बढ़ती जा रही है और जिला प्रशासन का दायरा सीमित है। इसलिए सीआईडी के द्वारा ही इसकी जांच कराई जानी उचित है।
डीसी ने बताया कि एक महीने पहले डॉक्टर राहुल उमरे के पैन कार्ड में वेतन के भुगतान को लेकर शिकायत दर्ज हुई थी। जब जांच की गई तो पता चला की पांच डॉक्टरों और चिकित्सा कर्मियों के नाम पर फर्जी एकाउंट खोलकर अनुसेवक अमजद हुसैन करोड़ों का घोटाला कर रहा था। उस समय सिर्फ एक वर्ष की जांच रिपोर्ट सामने आई थी। इसके बाद रामगढ़ एसडीएम आशीष गंगवार के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम ने इस घोटाले की जांच शुरू की। एक महीने के मैराथन जांच के बाद यह पता चला कि अमजद हुसैन ने वेतन के नाम पर 2.39 करोड़ रुपये का भुगतान अपने और अपनी पत्नी के अकाउंट में किया है।
दूसरा सबसे बड़ा घोटाला फायर इक्विपमेंट लगाने के नाम पर किया गया। सवा करोड़ रुपये एक ऐसी कंपनी को दिए गए, जिसके लिए टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। यहां तक कि उस कंपनी को लगातार एडवांस पेमेंट किया गया, जिसमें नियमों की भारी अनदेखी हुई। डीसी ने बताया कि घोटाले का यह सिलसिला यहीं तक नहीं रुका। वाउचर के भुगतान को लेकर भी काफी गड़बड़ी हुई है। 55 लाख रुपये का घोटाला सिर्फ वाउचर के नाम पर हुआ है। उसका भुगतान अमजद हुसैन के खाते में किया गया है। तीसरा सबसे बड़ा घोटाला टीडीएस के नाम पर हुआ। वेतन का टीडीएस आयकर विभाग के खाते में ना जाकर अमजद हुसैन और उसकी पत्नी के खाते में भेजा गया। यह सारे मामले एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहे हैं।
सीएस प्रभात कुमार के समय में खोला गया था आईडी
डीसी चंदन कुमार ने बताया कि अप्रैल 2021 से सितंबर 2024 तक की जांच की जा चुकी है। हालांकि, इस बीच में भी कई वर्षों के वाउचर और कई अन्य संचिकाएं उपलब्ध नहीं हो पाई है। उन्होंने बताया कि जिन पांच डॉक्टर के नाम पर घोटाला हुआ था उनकी आईडी तत्कालीन सिविल सर्जन प्रभात कुमार के कार्यकाल में बनाए गए थे। इसलिए सबसे बड़ा संदेश वेतन घोटाले में उनके नाम पर हो रहा है। साथ ही उसे दौरान जिला अकाउंट मैनेजर हिना अग्रवाल और अन्य अधिकारियों के हस्ताक्षर मौजूद हैं।
डीसी ने बताया कि भुगतान की प्रक्रिया में तत्कालीन और वर्तमान डीपीएम, डीएएम और सिविल सर्जन की मुख्य रूप से सहभागिता और गंभीर लापरवाही सामने आई है। सभी कृत्य नियमों को ताक पर रखकर अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए किया गया प्रतीत होता है। अभियान निदेशक राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निर्देशों का भी घोर उल्लंघन किया गया है।
डॉ वीणा कुमारी को दिया गया था मेटरनिटी लाभ
डीसी ने बताया कि डॉक्टर वीणा कुमारी के नाम पर किया गया फर्जीवाड़ा एक अनोखे तरीके का है। डॉक्टर वीणा कुमारी रामगढ़ जिले में सिर्फ एक महीने के लिए पदस्थापित थी। इसके बाद उनका ट्रांसफर रांची हो गया था लेकिन रामगढ़ जिले में एनआरएचएम के खाते से लगातार उनके नाम पर भुगतान हो रहा था। यहां तक कि डॉक्टर वीणा कुमारी को मैटरनिटी लीव के दौरान पेमेंट किया गया। साथ ही उनके नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ।
एनआरएचएमके पांच खातों का नहीं मिला डिटेल
डीसी चंदन कुमार ने बताया कि एनआरएचएम के 9 खाते रामगढ़ स्वास्थ्य विभाग में मौजूद हैं। जांच टीम पूरी तरीके से सिर्फ एक खाते की ही जांच कर पाई है। तीन अन्य खातों की जांच भी बड़ी मुश्किल से हो पाई है, जिसे अधूरा ही कहा जाएगा। पांच अन्य खातों का डिटेल ही टीम को नहीं मिल पाया। विभाग की तरफ से ना तो उसकी संचिका मिली, ना चेक बुक, ना लॉग बुक। यदि सभी खातों की जांच की जाए तो यह घोटाला 3.90 करोड़ से बढ़कर एक बड़े आंकड़े को छू जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / अमितेश प्रकाश