जम्मू में पाक्सो अधिनियम पर दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम का समापन

 


जम्मू, 28 दिसंबर (हि.स.)।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी के संरक्षक) अरुण पल्ली के संरक्षण और जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी की शासी समिति के अध्यक्ष और सदस्यों के मार्गदर्शन में, बाल यौन शोषण से बच्चों के संरक्षण (पीओसीएसओ) अधिनियम, 2012 पर दो दिवसीय अभिविन्यास कार्यक्रम, जो समवाद के प्रशिक्षण मैनुअल बाल यौन शोषण से निपटने के लिए आवश्यक हस्तक्षेप और कौशल - फोरेंसिक के मानसिक स्वास्थ्य और कानूनी आयामों का परिचय और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल के संदर्भ में आयोजित किया गया था, आज कन्वेंशन सेंटर, कैनाल रोड, जम्मू में संपन्न हुआ।

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (जम्मू-कश्मीर न्यायिक अकादमी की शासी समिति के सदस्य) न्यायमूर्ति जावेद इकबाल वानी ने अपने विशेष संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि किसी बच्चे के खिलाफ अपराध केवल एक आपराधिक कृत्य नहीं है, बल्कि विश्वास और गरिमा का गंभीर उल्लंघन है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि ऐसे मामलों में न्याय मानवीय, संवेदनशील और बाल-केंद्रित होना चाहिए और न्यायालय बाल पीड़ितों के लिए विश्वास, सुरक्षा और न्याय की अंतिम आशा का स्थान बनना चाहिए।

न्यायमूर्ति वानी ने कहा कि पाक्सो अधिनियम, 2012 को न्याय प्रणाली द्वारा बाल पीड़ितों के साथ किए जाने वाले व्यवहार को बदलने के लिए अधिनियमित किया गया था, जिसमें हर स्तर पर बच्चे के सर्वोत्तम हित और गरिमा सर्वोपरि रहे।

उन्होंने आगे कहा कि पुनर्वास और मुआवजा अधिनियम के तहत न्याय के अभिन्न अंग हैं, और अंत में कहा कि प्रत्येक पीओसीएसओ मामला संवेदनशीलता की परीक्षा है और प्रत्येक बच्चा न्याय के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का माप है।

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हिन्दुस्थान समाचार / रमेश गुप्ता