पनुन कश्मीर नेताओं ने कैंपों की बदहाल स्थिति पर जताई गंभीर चिंता

 

जम्मू, 4 दिसंबर (हि.स.)।

पनुन कश्मीर कैंप यूनिट्स और पनुन कश्मीर युवा ने आज मीट द प्रेस कार्यक्रम में विस्थापित कश्मीरी हिंदू समुदाय के बिगड़ते मानवीय नागरिक और अस्तित्व संबंधी संकट पर गंभीर चिंता व्यक्त की। कार्यक्रम में वरिष्ठ नेताओं एम.के. धर, भूषण लाल भट, चंद जी, नितिन धर, डॉ. अर्चना पंडिता, सुनिता भट और एडवोकेट विश्व रंजन पंडिता ने शिविरों की जमीनी स्थिति को विस्तार से मीडिया के सामने रखा।

वरिष्ठ नेता भूषण लाल भट ने कहा कि शिविरों में पीने के पानी की गुणवत्ता लगातार खराब हो रही है, जिसके चलते किडनी फेल्योर और लीवर संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह स्वास्थ्य संकट अब गंभीर रूप ले रहा है और सरकार को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने टूटी छतों, खराब बाथरूम और अस्वच्छ माहौल को लेकर भी नाराज़गी जताई। कैंपों में कनेक्टिविटी भी प्रभावित है और वर्षों से सड़कें मरम्मत के इंतजार में हैं।

नितिन धर ने समुदाय में जन्म दर घटने और मृत्यु दर बढ़ने पर गंभीर चिंता जताई। उनका कहना था कि यह विस्थापन और उपेक्षा का परिणाम है, जो समुदाय के अस्तित्व पर खतरा बन रहा है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा घोषित सहायता राशि को तुरंत लागू करने की मांग की और शिविरों में शिक्षा, रोजगार और अन्य सुविधाओं की कमी को बड़ा अन्याय बताया।

एडवोकेट विश्व रंजन पंडिता ने जोर देकर कहा कि शिविरों की बदहाल स्थिति समुदाय के साथ संस्थागत उपेक्षा की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि पिछले 35 वर्षों से समुदाय ने अपने दम पर संघर्ष किया है और न्याय का पहला कदम इनके नरसंहार की मान्यता है। उन्होंने 1991 की मार्गदर्शन प्रस्ताव के अनुसार कश्मीर में अलग होमलैंड की मांग दोहराई और कहा कि यही समुदाय की सुरक्षा और सम्मान का स्थायी समाधान है।

कार्यक्रम के अंत में नेताओं ने चेताया कि इस संकट को केवल औपचारिक या छोटे-छोटे उपायों से नहीं सुलझाया जा सकता। समुदाय के मानवीय और राजनीतिक अधिकारों पर गंभीरता और संवेदनशीलता के साथ तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।

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हिन्दुस्थान समाचार / अश्वनी गुप्ता