जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन ने एक वर्चुअल बैठक की
जम्मू 18 अक्टूबर (हि.स.)। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और जम्मू-कश्मीर विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष अमित कुमार गुप्ता के निर्देश पर शुक्रवार को एक वर्चुअल बैठक की गई। किश्तवाड़ के तहसील वारवान के मुलवारवान गांव में हाल ही में हुई आग की घटना के संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण किश्तवाड़ के सचिव के साथ यह बैठक हुई। बैठक में डीएलएसए किश्तवाड़ के सचिव सलाहुद्दीन अहमद, एलएडीसीए पैनल वकील और पीएलवी शामिल हुए।
अमित कुमार गुप्ता ने कहा इस महत्वपूर्ण और समय पर की गई पहल के पीछे मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण आग की घटना के पीड़ितों के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करके उनके पुनर्वास में अपना दायित्व निभाए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं के पीड़ितों को अक्सर पहचान पत्र, स्वास्थ्य कार्ड, संपत्ति के स्वामित्व के दस्तावेज और अन्य दस्तावेजों के खो जाने के कारण विभिन्न कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ता है जिससे संपत्ति विवाद समय पर मुआवजा न मिलना आदि होता है। उन्होंने कहा हमारा प्रयास पीड़ितों को सरकारी विभागों और एजेंसियों के साथ संपर्क करके ऐसे दस्तावेजों को पुनः प्राप्त करने या फिर से जारी करने में सहायता करना होना चाहिए।
गुप्ता ने किश्तवाड़ के डीएलएसए प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अध्यक्ष मनजीत सिंह मन्हास से एक विशेष टीम के गठन के लिए कहा जो घटनास्थल का दौरा करेगी और पीड़ितों और उनके परिवारों को पुनर्वास प्रक्रिया का समर्थन करने में सहायता करेगी।
उन्होंने पीड़ितों को विभिन्न कानूनों, मुआवजा योजनाओं और अन्य वैधानिक प्रावधानों के तहत उनके कानूनी अधिकारों के बारे में सूचित करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भी कहा जो उनके पुनर्वास में सहायता कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रयासों का मुख्य उद्देश्य अग्निकांड के पीड़ितों की क्षमता को मजबूत करना तथा पीड़ितों को त्वरित सहायता प्रदान करने के लिए सरकारी विभागों और गैर.सरकारी संगठनों के साथ समन्वय करना होगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि जम्मू कश्मीर कानूनी सेवा प्राधिकरण द्वारा की गई पहल को अग्नि प्रभावित परिवारों के अधिकारों की रक्षा के लिए उचित रूप से लागू किया जाएगा साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि पुनर्वास की प्रक्रिया न्यायसंगत, न्यायसंगत और समावेशी हो।
हिन्दुस्थान समाचार / मोनिका रानी