लोभ और मोह को त्यागने का प्रयास करें-श्री सुभाष शास्त्री जी

 




कठुआ 09 मई (हि.स.)। श्री ब्राह्मण सभा कठुआ में जारी श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन संत सुभाष शास्त्री जी महाराज ने संगत को अपने प्रवचनों से निहाल किया। कबीर के दोहे से शुरू किए प्रवचनों में सुभाष शास्त्री जी ने कहा कि संत कबीर जी ने कितनी सरलता से मानव जाति को संदेश दिया कि जीवन में कुछ पाना है, कमाना है, तो वह ऐसा होना चाहिए जो मृत्यु उपरांत भी साथ रहे, आप इस धन का संचय करो जो आगे काम दे। आपके इस धन में क्या रखा है। गठरी सर पर रखकर किसी को भी आज तक साथ लेकर जाते नहीं देखा है।

शास्त्री जी ने कहा कि यह शास्त्रानुसार हम आपको हमेशा समझते हैं कि लोभ और मोह के कारण ही इस संसार में अधिकतर पॉप कर्म रखते हैं इसलिए लोभ और मोह को त्यागने का प्रयास करें। उन्होने कहा कि बड़े से बड़ा गड्ढा भर सकता है पर मनुष्य का मना नहीं भरता। जो मनुष्य लालसा और वासना से प्रभावित रहता है और जिनका मन कामनाओं का जाल बुनता रहता है वे कभी नृप्त और संतुष्ट नहीं हो सकता। शास्त्रीजी ने कहा यह धनी व निर्धन के संबंध में शास्त्रों में कहा गया है के अधिक धन सम्पन्न होने पर भी जो असंतुष्ट रहता है वह सदा निर्धन है और धन से रहित होने पर भी जो संतुष्ट है वह सदा धनी है। धन संपदा सांसारिक जीवन, भोग बिलास और विभिन्न प्रकार से स्वादिष्ट व्यंजनों के सेवन के मामले में सभी प्राणी अतृप्त रहकर चले गए, जाएंगे और जाते रहेंगे इसलिए कहा गया है यह सदा अपने धर्म का अनुसरण करें क्योंकि मृत्यु होने पर अपके मित्र आदि मृत शरीर को लकड़ी व मिट्टी के ढेले के समान समझकर मुँह फेर लेते हैं सिर्फ़ धर्म ही आपका साथ देता है।

हिन्दुस्थान/समाचार/सचिन//बलवान